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राज्य में पर्याप्त मात्रा में यूरेनियम, परमाणु हथियार बनाने में झारखंड दे सकता है खास योगदानः CM

  • 'ईस्ट टेक सिम्पोजियम-2025' का आयोजन सकारात्मक पहल
  • झारखंड में उद्योग विस्तार की असीम संभावनाएं
  • रक्षा क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने के लिए राज्य सरकार हर संभव सहयोग करेगी

Ranchi : सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड संभावनाओं का प्रदेश है. यहां रक्षा सेक्टर में उपयोग होने वाले रॉ-मैटेरियल प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. यहां पर्याप्त मात्रा में यूरेनियम की भी उपलब्धता है. परमाणु हथियार बनाने में झारखंड खास योगदान दे सकता है. 

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झारखंड में कई बड़े-बड़े उद्योग संस्थान स्थापित हुए है. उद्योग के विस्तार में भी इस राज्य का देश में अलग पहचान रहा है. कई छोटे-बड़े उद्योग यहां पले-बढ़े हैं. सीएम शुक्रवार को टाना भगत इंडोर स्टेडियम, खेलगांव, में आयोजित 'ईस्ट टेक सिंपोजियम 2025' (डिफेंस एक्सपो) कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह में बोल रहे थे.

 

 उन्होंने कहा कि ये आयोजन अपने आप में एक विशिष्ट कार्यक्रम है जिसमें रक्षा क्षेत्र के कई नए आयाम जोड़ने की पहल की जा रही है. इस आयोजन के उद्देश्य को पूरा करने में हमें जरूर सफलता मिलेगी.

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 झारखंड ने देश को बहुत कुछ दिया है, इस राज्य में डिफेंस सेक्टर से जुड़े उद्योग क्षेत्र के विस्तार की भी प्रबल संभावनाएं हैं. हमारी सरकार रक्षा क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने के लिए केंद्र के साथ पूरा सहयोग करने हेतु प्रतिबद्ध है.
 

कई बार गलत नीति के कारण कई चीजें समाप्त होती नजर आती है

मुख्यमंत्री ने कहा कि कई बार गलत नीति निर्धारण के कारण कुछ चीजें समाप्त होती नजर आती है. हम सभी लोग ये जानते हैं कि एचईसी जैसी उद्योग संस्थान रांची में स्थापित है. इस संस्थान के सहयोग से देश के भीतर कई अन्य औद्योगिक संस्थाएं आगे बढ़े हैं.

 

उन्होंने कहा कि एचईसी सैटेलाइट तथा परमाणु कॉम्पोनेंट्स बनाने में भी अहम भूमिका निभाता रहा है. मुख्यमंत्री ने कहा कि एचईसी की स्थिति आज बहुत अच्छी नहीं है, यह जानकर काफी तकलीफ होती है आखिर किस वजह से इतना बड़ा उद्योग संस्थान आज उम्मीद के अनुरूप खरा नहीं उतर पा रहा है. 

 

राज्य सरकार का मिलेगा पूरा सहयोग

मुख्यमंत्री ने कहा कि जरूरत है कि केंद्र एवं राज्य सरकार समन्वय स्थापित कर आपसी सहयोग से उद्योग संस्थाओं को आगे बढ़ाने में अपनी भूमिका का निर्वहन करे ताकि उद्योग के क्षेत्र में राज्य तथा देश आत्मनिर्भरता की ओर आगे बढ़ सके.

 

उन्होंने कहा कि मिलजुलकर प्रयास करने से डिफेंस से जुड़े इंडस्ट्री सेक्टर में नए आयाम जोड़े जा सकते हैं. कहा कि सौभाग्य की बात है कि भारतीय सशस्त्र सेना के रक्षा प्रमुख आज हमारे बीच यहां उपस्थित हैं. एमएसएमई के क्षेत्र में भी इनके द्वारा किया जा रहा प्रयास एक सकारात्मक पहल है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की ओर से डिफेंस सेक्टर को पूरा सहयोग प्रदान किया जाएगा.

 

हथियारों का रणनीतिक चयन सर्वोपरि सीडीएस

सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने ईस्ट टेक 2025 में एक महत्वपूर्ण संदेश दिया है, जिसमें उन्होंने रक्षा विनिर्माण में स्वदेशीकरण की आवश्यकता पर जोर दिया है. उन्होंने कहा कि भारत में रक्षा विनिर्माण का स्वदेशीकरण देर से शुरू हुआ है, लेकिन देश सही रास्ते पर है.

 

सीडीएस जनरल अनिल चौहान का यह संदेश रक्षा विनिर्माण में स्वदेशीकरण के महत्व को उजागर करता है और आधुनिक तकनीकों के उपयोग की आवश्यकता पर जोर देता है. यह संदेश देश की रक्षा नीति और रणनीति के लिए महत्वपूर्ण है.

 

कृत्रिम बुद्धिमत्ता

जनरल चौहान ने कहा कि रक्षा विनिर्माण आधार का विस्तार करने की आवश्यकता है, और कृत्रिम बुद्धिमत्ता तथा अन्य आधुनिक तकनीकों का पता लगाना होगा. हथियारों का रणनीतिक चयन सर्वोपरि है और आधुनिक आवश्यकताओं के अनुरूप अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) की समीक्षा की जानी चाहिए.

 

राज्य की सक्रिय भागीदारी

जनरल चौहान ने कहा कि केंद्र की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति और रक्षा में आत्मनिर्भरता के उद्देश्यों को झारखंड और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों की सक्रिय भागीदारी से साकार किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि युद्ध विज्ञान है, युद्ध कला है और वर्तमान संदर्भ में एक योद्धा को रचनात्मक होने की आवश्यकता है.

 

डिफेंस एक्सपो का राज्यपाल और सीएम ने लिया जाएजा

इस अवसर पर राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार एवं मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन सहित अन्य गणमान्य अतिथियों एवं रक्षा मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों ने डिफेंस एक्सपो का अवलोकन किया. जाना और समझा भी इस डिफेंस एक्सपो में देशभर से रक्षा क्षेत्र के विशेषज्ञ, औद्योगिक संस्थाएं, तकनीकी संस्थान तथा लघु एवं मध्यम उद्योगों से जुड़े लोग शामिल हुए.

 

इस अवसर पर केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ,  भारतीय सशस्त्र सेना के रक्षा प्रमुख (सीडीएस) अनिल चौहान,मुख्य सचिव, झारखंड अलका तिवारी, पूर्वी कमान प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल रामचंद्र तिवारी, पूर्वी कमान एयर ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ सूरत सिंह, रक्षा मंत्रालय के अन्य वरीय अधिकारी सहित अन्य गणमान्य मौजूद थे.

 

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