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आंकड़ों की बाजीगरी- कम संक्रमण वाले राज्यों में झारखंड तीसरे नंबर पर, लेकिन गांवों में 60 फीसदी लोग बीमार

Ranchi: झारखंड में कोरोना संक्रमण कहर ढा रहा है. गांव-गांव में संक्रमण पहुंच चुका है. हालात बिगड़े हुए हैं. गांवों में कोरोना टेंस्टिंग की व्यवस्था नहीं है, दवाइयां नहीं हैं, अस्पताल, ऑक्सीजन और बेड नहीं हैं. मरीजों का इलाज करने वाले डॉक्टर तक नहीं हैं. गांवों की जमीनी हकीकत जानने कोई सरकारी बाबू नहीं जाता. एसी कमरों में बैठकर कागजी रिपोर्ट तैयार हो जा रही है कि हम कम संक्रमण वाला राज्य बन गये हैं. सरकारी दावा है कि कम संक्रमण वाले राज्यों में झारखंड तीसरे नंबर पर है. सख्त लॉकडाउन टेस्टिंग और ट्रेसिंग के कारण स्थिति सुधर गई है. कम संक्रमण वाले राज्यों में हमसे आगे सिर्फ यूपी और तेलंगाना है.

एक हफ्ते में संक्रमण दर 15.08 फीसदी थी से घटकर 07.09 फीसदी हो गई. यह दावा उन मरीजों की रिपोर्ट पर आधारित है जिनका कोविड टेस्ट हुआ है. यानी शहरी, अनुमंडलीय और कुछ प्रखंडों से मिले मरीजों की कोविड रिपोर्ट पर आधारित है, लेकिन गांवों में रहने वाली 60 फीसदी आबादी अभी भी सरकारी रिपोर्ट में शामिल नहीं हो पाई है. क्योंकि गांव के लोग भगवान भरोसे हैं. 60 फीसदी आबादी वाले गांव ट्रेंड एमबीबीएस डॉक्टर्स के भरोसे नहीं बल्कि एएनएम, नर्स और जल सहिया के भरोसे हैं. जहां न कोविड जांच होती, न लोगों को जांच के लिए जागरूक किया जाता है. बस बुखार होने पर पारासीटामोल मिल जाता है. दवा खाकर बच गये तो बच गये नहीं तो भगवान ही मालिक है.

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एसी कमरे में नहीं पता चलेगा हकीकत, गांव का रुख करें अधिकारी

झारखंड कोरोना संक्रमण के किस स्टेज पर है यह एसी कमरे में बैठकर नहीं जाना जा सकता है. जो सरकारी बाबू यह रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं वो जरा एक बार गांव का रुख कर आयें. हर गांव में हर घर में कोई न कोई शख्स बीमार पड़ा हुआ है. गांव-गांव में दर्जनों लोगों की अर्थियां उठ गई. जो हफ्तों से बीमार थे. उनका कोविड टेस्ट नहीं हुआ इसलिए उनकी मौत सरकारी खाते में दर्ज नहीं कर पाई. सरकार में बैठे लोग आंकड़ों की कलाबाजी कर अपनी पीठ भले ही थपथपा लें, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स आपकी नाकामी के पोल खोल रहे हैं. लगातार के अलावा राज्य के सभी प्रमुख अखबार हर रोज दर्जनों गांवों की हालात से आपको रूबरू करवा रहे हैं. इसके बाद भी आपकी नींद नहीं खुल रही है.

मीडिया दिखा रही गांव की तस्वीर, लेकिन सरकार नहीं देखना चाहती हकीकत

19 मई (प्रभात खबर)- झुमरा पहाड़ के गांवों तक कोरोना घुस चुका है. लोग झोलाझाप डॉक्टरों के भरोसे हैं. गांव के डॉक्टर बाबू एक दिन में 20 से 25 मरीज देख रहे हैं. कोविड जांच की कोई सुविधा नहीं है. दवा के सहारे जान बचाने की कोशिश जारी है. घर-घर में बीमार लोग हैं. चतरोचट्टी पंचायत में 10 दिन में 12 लोगों की मौत हो चुकी है.

18 मई (जी न्यूज) - घाटशिला के चाकुलिया में 3 लोगों की सर्दी-खांसी और बुखार से मौत हो गयी. इनका कोरोना टेस्ट नहीं हुआ था. बाद में स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव पहुंची और लोगों की जांच हुई तो 67 लोग पॉजिटिव मिले. बोकारो के सतनपुर गांव में भी 30 फीसदी लोग बीमार हैं. झोलाछाप डॉक्टर इलाज कर रहे हैं, लेकिन अबतक किसी ने कोविड टेस्ट नहीं कराया.

18 मई (न्यूज 18)- गुमला के चुंदरी नवाटोली गांव में बीमारी से एक पूरा परिवार उजड़ गया. चार बच्चे अनाथ हो गये. 10 दिन में 6 लोगों की मौत हो गई. मरने वाले लोगों में कोरोना के प्रारंभिक लक्षण थे. अभी भी गांव के आधे से ज्यादा लोग बीमार हैं, लेकिन न जांच हो रही न स्वास्थ्य सेवा पहुंच पा रही है.

15 मई (दैनिक भास्कर)- डॉक्टर्स की कमी को देखते हुए जामताड़ा डीसी ने झोलाछाप डॉक्टरों से ग्रामीणों का इलाज करने की गुहार लगायी. जिले के 118 पंचायतों में 400 से ज्यादा गैर डिग्रीधारी नीम-हकीमों से जिला प्रशासन मरीजों के इलाज में मदद ले रहा है.

13 मई (दैनिक जागरण)- गुमला के बिशुनपुर प्रखंड के कई गांवों में लोग बीमार हैं. 15 दिन में 10 लोगों की सर्दी-खांसी और बुखार से जान चली गई. उनका कोविड टेस्ट नहीं हुआ था. कई लोग अभी भी गंभीर रूप से बीमार हैं.

11 मई- (lagatar.in) - नगड़ी प्रखंड के बालालौंग में 20 दिनों में 14 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई. किसी का कोविड टेस्ट नहीं हुआ था. वहीं अभी भी गांव के 50 घरों में बीमार लोग हैं. इनमें से 4 गंभीर हालत में हैं. बारीडीह गांव में भी 3 की मौत, भंडराटोली में 24 बीमार.

11 मई- (lagatar.in) - बोकारो के पिंडराजोड़ा में 20 फीसदी लोग बीमार हैं. जिनमें कोरोना संक्रमण के लक्षण दिख रहे हैं. अबतक 4 लोगों की मौत हो चुकी है.

12 मई- (lagatar.in) - ओरमांझी के गुडू गांव में 20 दिन में 3 लोगों की मौत हो गई. उनमें से एक कोरोना पॉजिटिव था, जबकि 2 लोगों की जांच नहीं हुई थी. वहीं पांचा गांव में भी 3 लोगों की मौत हो गई. किसी का भी कोविड टेस्ट नहीं हुआ था. रांची के ही ब्रांबे गांव में डेढ़ महीने में 24 लोगों की मौत हो गई. इनमें से सिर्फ दो का कोविड टेस्ट हुआ था.

भगवान ही गांव और गरीबों का मालिक!

गांव की हकीकत को बयां करने वाली यह महज कुछ खबरे हैं. महीने भर से ऐसी दर्जनों खबरें हर रोज हर अखबार, चैनल और न्यूज पोर्टलों में आ रहे हैं, लेकिन अबतक सरकार के अधिकारी इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं. अगर गंभीरता दिखती तो ऐसी खबरें आनी बंद हो जाती, लेकिन जब सरकार अपनी छोटी सी उपलब्धि पर अपनी पीठ थपथपाए. गांव और गरीब की हकीकत आंखें चुराये तब राज्य का भगवान ही मालिक हैं.

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