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झारखंड के वकील 6 साल से सीनियर एडवोकेट चुने जाने का कर रहे इंतजार

Vinit Abha Upadhyay Ranchi :  झारखंड हाईकोर्ट के कई अधिवक्ता वरिष्ठ अधिवक्ता (डेजिग्नेटेड सीनियर लॉयर) के रूप में चयन की उम्मीद लगाये बैठे हैं. लेकिन करीब 6 वर्षों से वरीय अधिवक्ताओं का चयन नहीं हो रहा है, जिससे उनके साथ-साथ हाईकोर्ट के अन्य अधिवक्ताओं में भी मायूसी है. डेजिग्नेटेड सीनियर एडवोकेट के चयन के लिए हाईकोर्ट ने रूलफ्रेम भी कर दिया है. सभी अहर्ताओं एवं शर्तों को पूरा करने वाले अधिवक्ताओं को झारखंड हाईकोर्ट डेजिग्नेटिड सीनियर के रूप में चयनित किया जायेगा. वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में चयनित होने के लिए क्या-क्या नियम हैं और कितने साल की प्रेक्टिस करने वाले अधिवक्ता वरिष्ठ अधिवक्ता बनने की अहर्ताएं पूरी करते हैं, ये हम आपको अपनी इस रिपोर्ट में बता रहे हैं. (पढ़ें,RSS">https://lagatar.in/rss-sarkaryavah-hosabale-said-the-british-left-india-but-their-agents-kept-their-ideas-alive/">RSS

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2017 के बाद से अब तक नहीं हुई फुल कोर्ट की बैठक

वर्ष 2017 के बाद से अब तक फुल कोर्ट की बैठक नहीं हुई है, जिसके कारण पिछले लगभग 6 वर्षों से झारखंड हाई कोर्ट के किसी भी अधिवक्ता को वरीय अधिवक्ता के रूप में नहीं चुना गया है. नये नियमों के मुताबिक, डेजिग्नेटिड सीनियर के रूप में चयनित होने के लिए अधिवक्ताओं को अपनी प्रैक्टिस, अपने जूनियर वकीलों की जानकारी और महत्वपूर्ण मुकदमों में उनके द्वारा की गयी पैरवी के अलावा कई बातों की जानकारी देना अनिवार्य कर दिया गया है. वकीलों को इस बात की भी जानकारी देनी है कि जिला बार एसोसिएशन या स्टेट बार काउंसिल में उक्त अधिवक्ता पर मिसकंडक्ट या फिर प्रोफेशनल कंडक्ट का कोई आरोप तो नहीं है. इसे भी पढ़ें : कोडरमा">https://lagatar.in/koderma-five-smugglers-arrested-with-huge-amount-of-drugs/">कोडरमा

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वरिष्ठ अधिवक्ता बनने के बाद बढ़ जाती है जिम्मेदारी

वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में चयन होना एक वकील को काफी ज्यादा जवाब देह बना देता है. जुडिशल डिसिप्लिन मेंटेन करने के साथ-साथ वरिष्ठ अधिवक्ताओं को वकालतनामा साइन नहीं करना होता है और ना ही क्लाइंट से खुद डील करनी होती है. जब किसी अधिवक्ता का चयन वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में होता है तो उन्हें एक अलग पहचान मिलती है. मान सम्मान मिलता है और उनकी जिम्मेदारी भी काफी बढ़ जाती है. न्यायालय और वकीलों के साथ-साथ वरिष्ठ अधिवक्ता मुवकिलों के प्रति भी काफी जिम्मेदार और जवाब देह हो जाते हैं. https://lagatar.in/wp-content/uploads/2023/07/Untitled-4-23-350x233.jpg"

alt="" width="350" height="233" /> हाईकोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन की अध्यक्ष ऋतू कुमार कहती हैं कि वरीय अधिवक्ताओं का चयन समय समय पर होते रहना चाहिए, अगर ये प्रक्रिया लम्बे समय तक रुकी रहती है तो इससे बेहतर काम करने वाले वकीलों का उत्साह काम होता है और नए एवं युवा वकीलों के पास भी सीनियर चुनने और वरीय अधिवक्ताओ से सिखने का ऑप्शन सिमित हो जाता है. दूसरे राज्य के अदालतों में भी जब कोई वरीय अधिवक्ता बहस के लिए जाते हैं तो हाईकोर्ट का नाम होता है. https://lagatar.in/wp-content/uploads/2023/07/Untitled-3-21-350x233.jpg"

alt="" width="350" height="233" /> हाईकोर्ट के वरीय अधिवक्ता और वर्ष 2008 में झारखंड हाईकोर्ट के वरीय अधिवक्ता के रूप में चयनित वरीय अधिवक्ता ए के अल्लाम कहते हैं कि एक वकील के लिए वरीय अधिवक्ता के रूप में चुना जाना उसके जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि होती है. सभी मापदंडो को पूरा करने पर एक वकील का चयन वरीय अधिवक्ता के रूप में होता है.अगर यह प्रक्रिया लम्बे समय तक रुकी रहती है तो इसका सीधा नुक्सान वकीलों को होता है. इसे भी पढ़ें : SP-SDO">https://lagatar.in/raid-in-gumla-jail-under-the-leadership-of-sp-and-sdo/">SP-SDO

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