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झारखंड मुक्ति मोर्चा बिहार में 6 सीटों पर उतारेगा उम्मीदवार

Ranchi : हरमू स्थित पार्टी कार्यालय में झारखंड मुक्ति मोर्चा के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने शनिवार को प्रेस वार्ता की. उन्होंने कहा कि पार्टी ने फैसला किया है कि बिहार विधानसभा चुनाव में संगठनात्मक मजबूती के साथ 6 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी. झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि सीटों की यह संख्या 10 तक भी जा सकती है.

 

भट्टाचार्य ने बताया कि पार्टी ने महागठबंधन के सभी घटक दलों राजद, कांग्रेस और वंदल खासकर राजद से बातचीत की थी, क्योंकि वह वहां की सबसे बड़ी राज्य स्तरीय पार्टी है. उन्होंने कहा कि जिन सीटों पर हमारे कार्यकर्ता लंबे समय से भाजपा गठबंधन के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं, उन स्थानों पर हमें टिकट मिलने की उम्मीद थी.

 

उन्होंने कहा कि झारखंड में 2019 के चुनाव में भी हमने राजद और कांग्रेस को अपना समर्थन दिया था. हमने न सिर्फ राजद को सीटें दीं बल्कि उनके एकमात्र विजयी उम्मीदवार को मंत्री बनाया और मुख्यमंत्री ने उन्हें हर कार्यक्रम में सम्मानजनक स्थान दिया. 2024 के चुनाव के बाद भी हमने राजद को 6 सीटें दीं और उनके प्रतिनिधि को वर्तमान कैबिनेट में महत्वपूर्ण पद दिया.

 

भट्टाचार्य ने बताया कि पार्टी अब बिहार के चकाई, धमडाहा, कटोरिया, मनीहारी, जमुई और पीरपैंती सीटों से अपने उम्मीदवार उतारेगी. इनमें कटोरिया और मनीहारी अनुसूचित जनजाति आरक्षित सीटें हैं, जबकि पीरपैंती अनुसूचित जाति आरक्षित सीट है.

 

उन्होंने कहा कि पार्टी ने अपने प्रचारकों की सूची जारी कर दी है, जिसका नेतृत्व मुख्यमंत्री और पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष हेमंत सोरेन करेंगे. उनके साथ स्टीफन मरांडी, सरफराज अहमद, बैजनाथ राम, कल्पना मुर्मू सोरेन, बसंत सोरेन, विनोद कुमार पांडेय, फागू बेसरा, सुप्रियो भट्टाचार्य, दीपक बिरुआ, सुदीप्त कुमार, मिथिलेश ठाकुर, हफीजुल हसन, अभिषेक कुमार पिंटू, पंकज मिश्रा, हेमलाल मुर्मू, मोहम्मद ताजुद्दीन, उदय शंकर सिंह और सुनील कुमार श्रीवास्तव शामिल हैं. इस सूची को चुनाव आयोग को भेज दिया गया है.

 

भट्टाचार्य ने कहा कि भले ही बिहार में पार्टी को राज्य स्तरीय दल का दर्जा नहीं है, लेकिन हमें विश्वास है कि वहां की लड़ाई बहुमुखी होगी. एनडीए में भी मतभेद हैं, महागठबंधन में भी विरोधाभास है. हम अपने उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे और यह तय करेंगे कि बिहार की अगली सरकार झारखंड मुक्ति मोर्चा की मर्जी के बिना नहीं बनेगी.

 

उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि हम राज्य में भी गठबंधन की समीक्षा करें, क्योंकि हर बार झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ताओं के साथ धोखा हुआ है. हम मजबूती से लड़ेंगे और आगामी चुनाव में जीत हासिल करेंगे.

 

 

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