Ranchi : झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से ही नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति को लेकर सवाल उठ रहे हैं. भाजपा द्वारा विधायक दल का नेता नहीं चुने जाने के कारण मुख्य सूचना आयुक्त समेत कई महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्ति नहीं हो पा रही है. इस मामले में सीपी सिंह और बाबूलाल मरांडी के नाम सबसे आगे हैं. सीपी सिंह को विधायक निधि अनुश्रवण समिति का सभापति मनोनीत किया जा चुका है. वहीं दूसरी तरफ बाबूलाल मरांडी को प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटाया जा सकता है. अगर ऐसा होता है, तो उनको कोई जगह देनी होगी.
मुख्य सचेतक और सचेतक पर भी सस्पेंस बरकरार
मुख्य सचेतक और सचेतक पदों पर सामाजिक समीकरण के हिसाब से सीनियर विधायकों को एडजस्ट किया जा सकता है. हालांकि, अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है. कयास लगाये जा रहे हैं कि इस माह के अंत तक प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बदला जा सकता है. अगर बाबूलाल मरांडी को प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटाया जाता है, तो उनको कोई जगह देनी होगी. इसके बाद प्रदेश अध्यक्ष पद पर नॉन ट्राइबल को लाया जा सकता है.
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद नेता प्रतिपक्ष नियुक्त करने में विलंब
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति में विलंब हो रहा है. कांग्रेस और झामुमो इस पर जमकर चुटकी भी ले रहे हैं. भाजपा का रटा रटाया जवाब आ रहा है कि यह फैसला राष्ट्रीय नेतृत्व को करना है. उचित समय पर उचित निर्णय आ जायेगा.
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