Ranchi: पूरे विश्व के साथ-साथ भारत भी कोरोना महामारी के भयावह दौर से गुजरा है. महामारी का दंश ऐसा था कि झारखंड में 5318 लोगों की मौत असमय हो गई. अपने ही अपनों को कंधा देने से पीछे हटने लगे थे. कोरोना से बचाव को लेकर वैज्ञानिकों ने गहन शोध करते हुए वैक्सीन बनायी. देश के लोगों को वैक्सीनेट कर उन्हें महामारी से बचाने की तैयारी शुरू हुई. फ्रंटलाइन वर्कर्स, बुजुर्गों, युवाओं और बच्चों को भी वैक्सीनेट करने की शुरुआत हुई. रांची की लेटेस्ट खबरों के लिए यहां क्लिक करें…
रांची में 27% बच्चों को पहली, जबकि 7 प्रतिशत बच्चों को लगी दूसरी डोज
12 से 14 साल के बच्चों के लिए 16 मार्च से शुरू हुए इस अभियान की रफ्तार रांची में सुस्त पड़ गई है. जिले में इस आयु सीमा के बच्चों की संख्या 1,40,818 है. इनमें सिर्फ 38,184(27%) बच्चों को ही टीके की पहली डोज लगी है. जबकि 9707 (7%) बच्चों को वैक्सीन की दूसरी डोज लगाई गयी है.
सिमडेगा में 93% वैक्सीनेशन
वहीं राज्य का सिमडेगा जिला वैक्सीनेशन ड्राइव में राज्य भर में सबसे अव्वल है. यहां 28,972 बच्चों को टीका देने का लक्ष्य रखा गया है. जिसमें 27,062 (93%) बच्चों को टीके की पहली डोज लगाई गयी. वहीं दूसरी डोज के मामले में भी यह जिला बेहतर काम कर रहा है. यहां 17,128(59%) बच्चों को टीके की दूसरी डोज लगा दी गई है.
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गुमला जिले में 84% वैक्सीनेशन
जबकि गुमला जिले में 49,539 बच्चों को टीका देने का लक्ष्य रखा गया है. इनमें 41558 (84%) बच्चों को टीके की पहली डोज लगाई गई है. जबकि 26,025 (53%) बच्चों को दूसरी डोज लगाई गई है.
वैक्सीनेशन को लेकर छात्रों में नहीं है जागरूकता
वहीं वैक्सीनेशन की धीमी रफ्तार पर रांची के सिविल सर्जन डॉ विनोद कुमार ने कहा कि स्कूलों के छात्र वैक्सीनेशन को लेकर आगे नहीं आ रहे हैं. जिसका परिणाम है कि जिले में टीकाकरण की रफ्तार कम है.
फंड की कमी भी है एक बड़ी वजह
वहीं जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ शशि भूषण खलखो ने कहा कि राजधानी के वैक्सीनेशन सेंटर्स पर छात्रों का रुझान वैक्सीन को लेकर नहीं है. जिस तरह से दूसरे जिलों में है. डॉ खलखो कहते हैं कि रांची एक बड़ा जिला है. यहां फंड की कमी है. हर एक स्कूल पहुंच पाना संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि जिन स्कूलों ने हमसे संपर्क किया वहां टीम भेजकर वैक्सीनेशन करवाया गया है. जबकि सुदूर इलाकों के स्कूल वैक्सीनेशन को लेकर आगे नहीं आ पा रहे हैं, क्योंकि फंड की कमी है. जिस वजह से वैक्सीनेशन धीमी है.
युवाओं में जागरुकता और स्कूलों की तत्परता से हम आगे
वहीं सिमडेगा जिले के सिविल सर्जन डॉ पीके सिन्हा का कहना है कि शिक्षा विभाग की मदद की वजह से आज यह जिला वैक्सीनेशन में सबसे आगे है. उन्होंने कहा कि हमने सभी स्कूलों में टीम भेजकर प्रत्येक छात्रों का वैक्सीनेशन सुनिश्चित करवाया है. इस अभियान को सफल बनाने में अभिभावक और बच्चों के साथ मिला.
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वहीं गुमला जिले के सिविल सर्जन डॉ राजू कच्छप ने कहा कि अभियान को सफल बनाने में वैक्सीनेशन टीम, जिला प्रशासन, शिक्षा विभाग, स्कूल, अभिभावक और छात्र सभी ने अपना योगदान दिया. उन्होंने कहा कि हमारा मूल मंत्र था कि हम सभी स्कूलों का विजिट करेंगे और अधिक से अधिक संख्या में 12 से 14 साल के युवा छात्रों को वैक्सीनेट करेंगे.
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