पेसा के औपबंधिक प्रारूप का कुछ संगठन कर रहे विरोध
इस प्रारूप को लेकर कुछ संगठन विरोध भी कर रहे हैं. आदिवासी बुद्धिजीवी मंच के प्रभाकर कुजूर कहते हैं कि झारखंड सरकार पांचवीं अनुसूची क्षेत्रों में पेसा कानून के नाम पर लागू करने वाली है. हालांकि इसके लागू होने से पेसा कानून के तहत आदिवासियों के अधिकारों, परंपरा, रीति-रिवाज, जल-जंगल जमीन सहित अन्य अधिकारों का हनन होगा. अभी जो प्रारूप प्रकाशित किया गया है, इसमें पंचायतों के संचालन के बारे नियम तय किये गये हैं. इस नियमावली का नाम ‘झारखंड पंचायत उपबंध अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार नियमावली-2022’ दिया गया है. इसमें सचिव का अर्थ ग्राम पंचायत का पंचायत सचिव होगा. ग्रामसभा अध्यक्ष से अभिप्रेत ग्राम प्रधान, ग्रामसभा अध्यक्ष, मांझी मुंडा, मानकी, डोकलो, सोहोर, पंच परगनैत, पड़हा राजा, पाहन, महतो होगा. ग्राम पंचायत की कार्यकारिणी समिति ग्राम पंचायत स्तर पर निर्वाचित मुखिया एवं वार्ड सदस्य होंगे. इस नियमावली में वन भूमि, लघु जल निकायों, लघु खनिज, मादक द्रव्य, प्राकृतिक संसाधन को परिभाषित किया गया है. जबकि आदिवासी परंपरा, स्वशासन व्यवस्था, ग्राम सभा के अधिकार, आदिवासी कस्टमरी सिस्टम को स्थान नहीं दिया गया है. मंच की ओर से अपनी आपत्तियां सरकार को तय समय पर सौंपी जायेगी, इसकी तैयारी की जा रही है.पेसा नियमावली को लेकर केंद्र सख्त
जानकारी के मुताबिक, झारखंड में अब तक पेसा नियमावली नहीं बनी है. नियमावली नहीं बनाने वाले राज्यों में झारखंड और ओड़िशा शामिल हैं. जिन राज्यों में नियमावाली नहीं बनी है, उसको लेकर भारत सरकार नाराजगी भी जाता चुकी है. भारत सरकार के पंचायती राज विभाग के सचिव ने राज्य सरकार को कहा है कि अगर कानून नहीं बना, तो केंद्र आर्थिक सहयोग रोक सकता है. पेसा एक्ट के तहत लागू प्रावधानों को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार आर्थिक सहयोग करती है. झारखंड में पांचवीं अनुसूची में 16 जिले आते हैं. राज्य को वित्त आयोग से करीब 1300 से 1400 करोड़ रुपये मिलते हैं. इसे भी पढ़ें – रांची">https://lagatar.in/ranchi-public-hearing-will-be-held-at-state-congress-office-on-monday-every-month-minister-will-be-present/">रांची: हर माह सोमवार को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय होगी जनसुनवाई, मंत्री रहेंगे मौजूद [wpse_comments_template]
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