इन ठगों ने सॉफ्टवेयर इंजीनियर से ऐप बनाना सीखा
इन ठगों ने पहले सॉफ्टवेयर इंजीनियर से ऐप बनाना सीखा. इसके बाद चैट जीपीटी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से खुद ही ऐप बनाने के विशेषज्ञ बन गये हैं. अब ये अपना ऐप दूसरे ठगों को 20-25 हजार रुपये में बेच रहे हैं. 10वीं-12वीं पास इन साइबर अपराधियों द्वारा बनाये गये ऐप को डाउनलोड करते ही मोबाइल, लैपटॉप का नियंत्रण उनके पास चला जाता है और वे अपनी मर्जी से कुछ भी करने में सक्षम हो जाते हैं.जांच के दौरान पाये गये 100 से ज्यादा ऐप
जामताड़ा पुलिस को साइबर अपराधियों की गिरफ्तारी के बाद जारी जांच-पड़ताल के दौरान इन तथ्यों की जानकारी मिली है. साथ ही 100 से ज्यादा इस तरह के ऐप पाये गये हैं. पुलिस की जांच में पाया गया कि इन अपराधियों ने एक साल पहले एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर से ऐप बनाना सीखा. इसके बाद खुद ही ऐप बना कर बेचने लगे, ताकि पुलिस की नजर से बचे रहें. इन साइबर अपराधियों द्वारा ऐप बनाने में किसी तरह की परेशानी होने पर चैट जीपीटी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद ली जाती है. ऐप बना कर बेचने से पहले उसे वायरस पोर्टल पर डालकर यह देखते हैं कि इसमें कोई वायरस है या नहीं. इसके बाद चैट जीपीटी की मदद से वायरस हटाने और कोडिंग करने के बाद इसे दूसरे साइबर अपराधियों को बेचते हैं Whatsapp Channel: https://whatsapp.com/channel/0029VaAT9Km9RZAcTkCtgN3q">https://whatsapp.com/channel/0029VaAT9Km9RZAcTkCtgN3q">https://whatsapp.com/channel/0029VaAT9Km9RZAcTkCtgN3qTwitter (X): https://x.com/lagatarIN">https://x.com/lagatarIN">https://x.com/lagatarIN
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