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UAPA के तहत गिरफ्तारी में झारखंड पूरे देश में पांचवें नंबर पर, लेकिन सजा दिलाने में पीछे.

Saurav Singh Ranchi : गैरकानूनी गतिविधियों के खिलाफ लगाया जाने वाला यह एक्ट UAPA (Unlawful Activities Prevention Act) काफी कड़ा होता है. इसमें काफी कड़ी सजा का प्रावधान है. UAPA  के तहत गिरफ्तारी में झारखंड पूरे देश पांचवें नंबर पर, लेकिन आरोपियों को सजा दिलाने में पीछे है. लोकसभा में पेश किए आंकड़े के मुताबिक झारखंड में UAPA के तहत 69 लोग की गिरफ्तारी हुई.  जिनमें 46 लोग दोषमुक्त हो गए और 10 लोग बेल पर है. जबकि सिर्फ तीन को UAPA के तहत सजा सुनाई गई है. पूरे देश में इस एक्ट के तहत कुल 13 से 21 लोगों की गिरफ्तारी हुई है. जिनमें 116 लोग दोषमुक्त हो गये हैं. 80 लोगों को सजा मिली है और 223 लोग बेल पर है. इसे भी पढ़ें - नगड़ी">https://lagatar.in/advice-of-nigdi-co-santosh-kumar-shukla-drink-less-alcohol-in-holi/">नगड़ी

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UAPA के तहत झारखंड में 69 लोगों की हुई गिरफ्तारी

UAPA के तहत झारखंड में 69 लोगों की गिरफ्तारी हुई है. इसके अलावा आंध्र प्रदेश में 04, अरुणाचल प्रदेश में 03, असम में 49, बिहार में 39, छत्तीसगढ़ में 37, हरियाणा में 01, कर्नाटक में 02, केरला में 24, महाराष्ट्र में 07, मणिपुर में 225 ,मेघालय में 02, नागालैंड में 07, पंजाब में 44, तमिलनाडु में 92, त्रिपुरा में 02, उत्तर प्रदेश में 361, पश्चिम बंगाल में 05, दिल्ली में 12 और जम्मू कश्मीर में 346 लोगों की गिरफ्तारी हुई है. इसे भी पढ़ें - Bloomberg">https://lagatar.in/bloomberg-billionaries-index-facebook-founder-mark-zuckerberg-out-of-top-10-elon-musk-at-number-one/">Bloomberg

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1967 में आया कानून, 2019 में संशोधन के बाद और मजबूत हुआ

यूएपीए कानून 1967 में लाया गया था. इस कानून को संविधान के अनुच्छेद 19(1) के तहत दी गई बुनियादी आजादी पर तर्कसंगत सीमाएं लगाने के लिए लाया गया था. पिछले कुछ सालों में आतंकी गतिविधियों से संबंधी POTA और TADA जैसे कानून खत्म कर दिए गए, लेकिन UAPA कानून अब भी मौजूद है और पहले से ज्यादा मजबूत है. अगस्त 2019 में ही इसका संशोधन बिल संसद में पास हुआ था, जिसके बाद इस कानून को ताकत मिल गई कि किसी व्यक्ति को भी जांच के आधार पर आतंकवादी घोषित किया जा सकता है. पहले यह शक्ति केवल किसी संगठन को लेकर थी. यानी इस एक्ट के तहत किसी संगठन ​को आतंकवादी संगठन घोषित किया जाता था. सदन में विपक्ष को आपत्ति पर गृहमंत्री अमित शाह का कहना था कि आतंकवाद को जड़ से मिटाना सरकार की प्राथमिकता है, इसलिए यह संशोधन जरूरी है. इस कानून के तहत किसी व्यक्ति पर शक होने मात्र से ही उसे आतंकवादी घोषित किया जा सकता है. इसके लिए उस व्यक्ति का किसी आतंकी संगठन से संबंध दिखाना भी जरूरी नहीं होगा. आतंकवादी का टैग हटवाने के​ लिए उसे कोर्ट की बजाय सरकार की बनाई गई रिव्यू कमेटी के पास जाना होगा. हालांकि बाद में कोर्ट में अपील की जा सकती है. इसे भी पढ़ें - इस्लामोफोबिया">https://lagatar.in/pakistan-supported-resolution-passed-in-un-on-islamophobia-india-france-opposed/">इस्लामोफोबिया

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 कानून की कई धाराओं में कठोर प्रावधान

UAPA में धारा 18, 19, 20, 38 और 39 के तहत केस दर्ज होता है. धारा 38 तब लगती है जब आरोपी के आतंकी संगठन से जुड़े होने की बात पता चलती है. धारा 39 आतंकी संगठनों को मदद पहुंचाने पर लगाई जाती है. इस एक्ट के सेक्शन 43D (2) में किसी शख्स की पुलिस कस्टडी की अवधि दोगुना करने का प्रावधान है. इस कानून के तहत पुलिस को 30 दिन की कस्टडी मिल सकती है. वहीं न्यायिक हिरासत 90 दिन की भी हो सकती है. बता दें कि अन्य कानूनों में अधिकतम अवधि 60 दिन ही होती है. इसे भी पढ़ें - बिहार">https://lagatar.in/bihar-board-inter-result-will-be-released-today-education-minister-will-announce-at-3-pm/">बिहार

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