Ranchi : राजधानी रांची में कई जगहों, खासकर शहरी क्षेत्र में प्रवेश द्वार पर इन दिनों बड़े अक्षरों में एक बोर्ड नजर आता है कि स्मार्ट सिटी में आपका स्वागत है. पर यह सिटी कितनी स्मार्ट है इसकी पोल शहर के बस पड़ावों में स्थित शौचालयों से खुल जाती है. यकीन मानिये यदि राजधानी के बस पड़ावों में शौचालयों की स्थिति इतनी बदतर है तो झारखंड के अन्य शहरों में शौचालयों की स्थिति क्या होगी इसका अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है. किसी भी शहर को जन सुविधाओं के आधार पर ही स्मार्ट शहर का दर्जा दिया जाता है. इस मापदंड पर राजधानी रांची ही खरी नहीं उतरती है तो दूसरे शहरों की क्या बात की जाये.
देखें वीडियो-
रांची शहर के बस पड़वों में स्थित शौचालयों की स्थिति इतनी दयनीय है कि वे व्यवहार के लायक ही नहीं हैं. सभी टूटे फुटे और जीर्ण अवस्था में हैं. इन बस पड़ावाें में महिलाओं काे सबसे अधिक परेशानी झेलनी पड़ती है. सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि ऐसी स्थिति में महिला यात्रियों की क्या दुर्दशा होती होगी. इस लिहाज से झारखंड में बस यात्रा को सुखद नहीं कहा जा सकता है. सच तो यह है कि बस पड़ावों में ही गंदगी का अंबार लगा होता है और शौचालयों में पानी की व्यवस्था नहीं रहने के कारण स्थिति और भी विकट है. राजधानी रांची समेत 13 शहरों में बस पड़ाव की क्या है स्थिति देखें इस रिपोर्ट में…
Deoghar: देवघर का बस स्टैंड शौचालय और मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. जबकि बड़ी संख्या में यहां हर दिन यात्री आते हैं और अपने गंतव्य स्थान की ओर प्रस्थान कर जाते हैं. यह बस स्टैंड 1980 में बना था. इतने सालों के बाद व्यवस्था में सुधार होना चाहिए था, लेकिन हाल बदहाल है. स्थानीय प्रबंधक ने बताया कि तकरीबन 120 बस रोजाना यहां से चलती है. यहां से अंतरराज्यीय बस भी चलती है. जाहिर है ऐसे में काफी संख्या में यात्री आते होंगे. जबकि यहां पेयजल और अन्य बुनियादी सुविधाओं की कमी है.
देखें वीडियो-
यहां सुलभ शौचालय तो है, लेकिन काफी गंदा रहता है. शौचालय जाना तो दूर पास में खड़ा रहना भी मुश्किल है. इतना ही नहीं एक ही शौचालय में महिला और पुरुष दोनों को ही जाना पड़ता है. देवघर नगर निगम द्वारा एक साल के लिए सोमेश पंडित को ठेका दिया गया है. इसके लिए 9 लाख 8 हजार रुपए दिये गये हैं. इस राशि को विकास मद में खर्च करना है. लेकिन सुविधा नदारद है.
Dhanbad: धनबाद का बरटांड़ बस स्टैंड 1984-85 में चालू हुआ था. इस बस स्टैंड के ठेकेदार का नाम हरीश है. यहां से झारखंड और दूसरे राज्यों के लिए लगभग 200 बस प्रतिदिन खुलती है. प्रति वर्ष बस स्टैंड का टेंडर किया जाता है. इसमें लगभग एक करोड़ 6 लाख 50000 की राशि जीएसटी सहित तय होती है. यह बस स्टैंड लगभग 19 एकड़ में है. लेकिन सिर्फ 4 एकड़ का ही इस्तेमाल किया जा रहा है. बाकी में यात्री शौचालय है और नगर नगर निगम द्वारा कचरा गिराया जाता है. इससे गंदगी फैली रहती है.
देखें वीडियो-
बरटांड़ बस स्टैंड में पुरुषों के लिए दो शौचालय और महिलाओं के लिए भी दो शौचालय है. साथ ही दिव्यांग के लिए भी शौचालय है. इस शौचालय में पानी की व्यवस्था बोरिंग द्वारा की गई है. बस स्टैंड में सफाई की व्यवस्था नगर निगम द्वारा की जाती है. बस स्टैंड में सुलभ शौचालय की व्यवस्था भी की गई है. लेकिन स्थिति यह है कि स्टैंड के चारों ओर यात्री खुले में शौच करते हैं. ऐसे में हर जगह गंदगी फैली रहती है.
धनबाद शहर में दूसरा रेलवे स्टेशन बस स्टैंड है. रेलवे स्टेशन बस स्टैंड 1972 से संचालित है. पहले यह बस स्टैंड धनबाद रेलवे स्टेशन कैंपस में था. बाद में रेलवे की ओर से इसे कैंपस से बाहर कर दिया गया. यहां से झारखंड और दूसरे राज्यों के लिए लगभग 100 बसें प्रतिदिन चलती हैं. यहां मात्र एक यूरिनल है. यहां न तो महिला शौचालय है और ना ही पुरुष शौचालय है. जो यूरिनल है वह काफी गंदा रहता है. मोटर यूनियन संघ के अनन्त कुमार सिन्हा ने बताया कि सरकार की ओर से कोई सुविधा नहीं है. यहां तक कि शौचालय तक नहीं है. स्टैंड में सफाई और पानी की व्यवस्था खुद यूनियन के द्वारा की जाती है.
Hazaribagh: हजारीबाग में दो बड़े बस पड़ाव हैं. एक सरकारी बस पड़ाव है, जबकि दूसरा जिला परिषद बस पड़ाव है. दोनों बस पड़ावों में सुविधा का अभाव है. सरकारी बस पड़ाव 60 के दशक से संचालित है. यहां से प्रतिदिन लगभग 35-40 बसों का संचालन होता है. परिवहन विभाग के जिम्मे आने वाला यह बस पड़ाव अब नगर निगम को हस्तांतरित किया जा रहा है. हाल में इसका टेंडर भी किया गया, जिसे पुरुषोत्तम लाल सरोज ने लिया है. यहां नगर निगम के कर्मचारी तीन चार दिनों में एक बार कूड़ा उठाकर ले जाते हैं. तब तक कचरा जमा होता रहता है. पूरे परिसर में केवल एक सुलभ शौचालय है. जबकि परिसर के अंदर बनाए गए प्रसाधन केंद्र प्रयोग में नहीं लाए जाते हैं. वह टूटा-फूटा है और गंदा है. पीने के पानी के लिए एक वॉटर एटीएम लगाया गया है. लेकिन पीने के लिए पानी नहीं मिलता है.
देखें वीडियो-
जिला परिषद बस पड़ाव की बात करें तो यहां की स्थिति भी ऐसी ही है. इस बस स्टैंड से रोजाना 100 से अधिक बसें संचालित होती हैं. साफ-सफाई भी स्थानीय दुकानदार ही मिलकर करवाते हैं. कभी-कभी नगर निगम की गाड़ी आती है तो थोड़ी बहुत सफाई हो जाती है. पड़ाव के पीछे एक सुलभ शौचालय संचालित है. लेकिन परिसर के अंदर बस पड़ाव का कोई भी प्रसाधन या शौचालय नहीं है. महिलाओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. पुरुष खुले में ही शौच करते हैं. पेयजल का कोई इंतजाम नहीं है. यहां भी एक वाटर एटीएम लगाया गया था. जिसमें कभी पानी आया ही नहीं. इस बस पड़ाव के भी ठेकेदार पुरुषोत्तम लाल सरोज ही हैं. इन्होंने लगभग चौबीस लाख रुपए में इसका टेंडर लिया है. सफाई का जिम्मा ठेकेदार पर है, लेकिन सफाई होती नहीं है.
Koderma: इस बस स्टैंड का निर्माण 1969 में हुआ था. 1984 में भवन का निर्माण किया गया था. यहां से प्रतिदिन लगभग 35 बसें खुलती हैं. इस स्टैंड की स्थिति ठीक नहीं है. हाल में यहां स्थित बिल्डिंग को ध्वस्त कर दिया गया. 2021-22 वित्तिय वर्ष में इस बस स्टैंड की बंदोबस्ती धर्मेंद्र कुमार के नाम हुआ है. इसकी राशि 275000 तय की गई है.
देखें वीडियो-
बस स्टैंड में एक सुलभ शौचालय है. इसमें पुरुषों के लिए पांच, महिलाओं के लिए पांच और दिव्यांगों के लिए दो शौचालय हैं. इसके बाद भी लोग खुले में शौच के लिए जाते हैं. हालांकि यहां सुलभ शौचालय की स्थिति सफाई के दृष्टिकोण से काफी बेहतर है. सुलभ शौचालय के संचालक अनिल सिंह ने बताया कि हमारे यहां शौचालय की टंकी भर गई है. इसकी सूचना नगर परिषद को कई बार दी गयी है. इसके बाद भी अब तक इसकी सफाई नहीं हो पाई है. उन्होंने यह भी बताया कि पिछले एक वर्ष से लगातार इसकी सूचना नगर परिषद को दी जा रही है, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है.
इसे भी पढ़ें- मोहन भागवत ने कहा, हमें किसी का धर्म परिवर्तन नहीं करना, बल्कि जीने का तरीका सिखाना है
Ramgarh: रामगढ़ छावनी बस पड़ाव की स्थापना दो दशक पहले हुई थी. यहां से रोजाना 200 गाड़ियों का आवागमन होता है. यहां के ठेकेदार अनंजय कुमार सिंह हैं, जो महीने में 374000 छावनी परिषद रामगढ़ को शुल्क देते हैं. इस बस पड़ाव में दो सुलभ शौचालय हैं. इसमें एक महिला सुलभ शौचालय है, जिसमें ताला लटका रहता है.
देखें वीडियो-
दूसरा ठेकेदारी में चल रहा है. इसमें 3 महिलाओं का शौचालय है और 6 पुरुषों का शौचालय है. शौचालय पर पानी की टंकी लगी हुई है. लेकिन अंदर से शौचालय की स्थिति ठीक नहीं है. इस स्टैंड में तीन ऐसे स्थान हैं जहां पुरुष खुले में शौच करते हैं. इसकी सफाई का जिम्मा छावनी परिषद रामगढ़ का है. ठेकेदार अनंजय कुमार सिंह का कहना है कि विभाग को कई बार कहने के बाद भी बस पड़ाव में सफाई नहीं होती है. इसके कारण पड़ाव परिसर में गंदगी का अंबार लगा रहता है.
Dumka: दुमका में दो बस स्टैंड है. दोनों बस स्टैंड सर्किट हाउस के सामने है. मुख्य बस स्टैंड की स्थापना 1989 में की गई थी. तभी जगह की कमी के कारण मुख्य बस स्टैंड से सटे ही एक और स्टैंड बनाया गया था. इसे मैक्सी स्टैंड कहा जाता है. दोनों ही बस स्टैंड दुमका नगर परिषद के अधीन है. इस वर्ष बस स्टैंड टोल टैक्स वसूली का निविदा संवेदक निरंजन किशोर सिंह को मिला है. उन्होंने लगभग 40 लाख रुपए में दोनों बस स्टैंड लिए हैं. मुख्य बस स्टैंड से प्रत्येक दिन 240 से 250 बसें खुलती हैं. यहां एक शौचालय है. इसी के अंदर पुरुष और महिला दोनों की व्यवस्था की गई है. शौचालय के बगल में तीन पुरुष यूरिनल बना है. बस स्टैंड के स्टाफ को छोड़ कर कोई भी यात्री इस यूरिनल का इस्तेमाल नहीं करते हैं.
देखें वीडियो-
पानी के लिए नगर पालिका ने मुख्य बस पड़ाव में एक टंकी लगाया है. इसमें सप्लाई वाटर आता है. बस स्टैंड की सफाई की जिम्मेदारी स्टैंड के संवेदक की है. नगर पालिका के कर्मी इसकी मॉनिटरिंग करते हैं. मैक्सी स्टैंड से प्रतिदिन लगभग 30 से 40 वाहन खुलते हैं. यात्री सुविधा के नाम पर इस स्टैंड में सुलभ शौचालय है. साथ ही महिलाओं के लिए एक अलग से शौचालय बना है. पुरुषों के लिए भी अलग से यूरिनल बना है. लेकिन यहां पानी की कोई व्यवस्था नहीं है. बस स्टैंड के कर्मी अनवर ने बताया कि मैक्सी स्टैंड और मुख्य बस स्टैंड में नगर पालिका के द्वारा दो तीन बार बोरिंग किया गया. लेकिन पानी नहीं निकला. फिलहाल मैक्सी स्टैंड में पानी का कोई टैंकी नहीं लगा है. ऐसे में शौचालय जाने में यात्रियों को काफी दिक्कत होती है. खासकर महिला यात्रियों को अधिक परेशानी का सामना करना पड़ता है.
Bokaro: बोकारो के नया मोड़ में अंतरप्रांतीय बस स्टैंड है. यहां यात्रियों को मिलने वाली सुविधाएं नदारद हैं. जबकि लाखों रुपये प्रतिवर्ष राजस्व मिलता है. इसकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है. इस बस स्टैंड की बंदोबस्ती बोकारो स्टील प्रबंधन करता है. निजी हाथों में इसका कमान होने के कारण मनमानी होती है. पेयजल और स्वच्छता का घोर अभाव है.
देखें वीडियो-
यहां मात्र एक सुलभ शौचालय है. इसमें दो लेडिज शौचालय और चार पुरूष शौचालय है. लेकिन यह पर्याप्त नहीं है. इस वजह से यात्री बस स्टैंड में खुले में शौच करते हैं. यहां हर तरफ कूड़े का अंबार लगा रहता है. सफाई की व्यवस्था नहीं है. गंदगी की वजह से यात्री यहां रूकना नहीं चाहते हैं. यात्रियों को आने जाने की जानकारी भी नहीं मिल पाती है.
Bermo: बेरमो अनुमंडल के गोमिया में आधिकारिक रूप से बस स्टैंड नहीं है. जबकि यहां से बीस से अधिक बसें रोजाना गुजरती हैं और कई जिलों में जाती हैं. कुछ बस बिहार भी जाती है. बस स्टैंड नहीं होने के कारण यात्रियों को काफी परेशानी होती है. बस सड़क किनारे खड़ी होती है और यात्रियों को लेकर जाती है.
देखें वीडियो-
कुछ बस गोमिया से भी खुलती है जो रांची, बोकारो और धनबाद जाती है. बताया जाता है कि जिला परिषद की ओर से बस स्टैंड का टेंडर होता है. लेकिन पिछले दो वर्ष में वह भी नहीं हुआ है. यात्री यहां से कई जगह जाते हैं. लेकिन उनके लिए कोई सुविधा नहीं है. गोमिया चौक पर एक शौचालय है. इसे एक संस्था द्वारा इसका संचालित किया जाता है.
इसे भी पढ़ें- कृषि कानून वापस लेने पर सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा, चीन ने कब्जाई है हमारी जमीन, क्या मोदी यह कबूलेंगे और हर इंच छुड़ाएंगे!
Khunti: खूंटी से रोजाना सौ से अधिक यात्री वाहन खुलते हैं, लेकिन कोई बस स्टैंड नहीं है. यात्री वाहन खूंटी थाना के सामने, ऊपर चौक और बाजार टांड़ के पास लगाये जाते हैं. इससे यात्रियों को काफी परेशानी होती है. यात्री सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं है. वैसे नगर पंचायत के द्वारा स्टील सेड वाला टॉयलेट दिया गया है. लेकिन यहां सफाई और पानी की समस्या रहती है.
देखें वीडियो-
वैसे बस पड़ाव की हर साल बंदोबस्ती होती है. नगर पंचायत बस पड़ाव से बंदोबस्ती से सलाना लाखों का राजस्व अर्जित करती है. इसके बाद भी सुविधा के नाम पर कुछ नहीं है. ठेकेदार भी सड़क पर खड़े वाहनों से ही वसूली कर लाखों की उगाही करते हैं. पिछले दो महीने के अंदर खूंटी के नामकोम के पास एक बस पड़ाव का निर्माण कार्य जरूर चल रहा है, लेकिन जिस धीमी गति से कार्य चल रहा है उससे लगता नहीं है कि लोगों के लिए बस पड़ाव का सपना जल्द पूरा हो पाएगा.
Giridih: गिरिडीह में बस स्टैंड 1986 में बना था. यह कई एकड़ में फैला हुआ है. बस स्टैंड के ठेकेदार शंकर यादव हैं. उन्होंने 24 लाख रुपए सालाना में बस स्टैंड का ठेका लिया है. गिरिडीह बस स्टैंड से प्रत्येक दिन कई शहरों के लिए करीब 90 बसें खुलती हैं. जहां तक सुविधा की बात है तो बस स्टैंड परिसर में तीन पुरुष शौचालय और एक महिला शौचालय है. सभी शौचालय की स्थिति बेहद खराब है. शौचालय काफी गंदा रहता है.
देखें वीडियो-
बस स्टैंड परिसर में स्थित शौचालय की सफाई का जिम्मा ठेकेदार के पास है. शौचालय गंदा होने के कारण लोग इसका इस्तेमाल नहीं करते हैं और बाहर पेशाब करते हैं. स्टैंड परिसर में चार सुलभ शौचालय है. इसकी स्थिति कुछ ठीक है. लेकिन परिसर में गंदगी का अंबार लगा रहता है. कई स्थानों पर कचरा जमा रहता है. शौचालय की स्थिति ठीक नहीं होने के कारण महिलाओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है.
Garhwa: गढ़वा के सोनपुरवा में अंतरराज्यीय बस स्टैंड है. इसका निर्माण 1993 में हुआ था. यहां प्रति दिन कई बसें अलग-अलग राज्यों के लिए खुलती हैं. बस स्टैंड की स्थिति की बात करें तो हालत जर्जर है. गढ़वा बस स्टैंड में एक सुलभ शौचालय के अलावा तीन सुलभ शौचालय नगर परिषद के द्वारा बनाये गये हैं.
देखें वीडियो-
बता दें कि इसमें दो ही शौचालय यात्रियों के प्रयोग में है. एक शौचालय बस स्टैंड से पीछे है, जहां यात्री शौच के लिए नहीं जाते हैं. पानी की व्यवस्था तो सुलभ शौचालय में है, लेकिन पेयजल की समुचित व्यवस्था नहीं है. बस स्टैंड में नगर परिषद के द्वारा ही सफाई की नियमित व्यवस्था है.
Medininagar (Palamu): मेदिनीनगर में 1980 के दशक में बस स्टैंड बनाया गया था. लेकिन सरकारी बसें बंद होने के बाद से इस बस डीपो से निजी बसें संचालित होती हैं. यहां की स्थिति ठीक नहीं है. लाइट की व्यवस्था नहीं है. दिन में नशेड़ियो का जमावड़ा रहता है. इससे यात्रियों को परेशानी होती है. हर तरफ गंदगी का अंबार लगा रहता है नगर निगम की ओर से शौचालय का निर्माण किया गया है. बस डिपो का अपना कोई शौचालय नहीं है. पीने के पानी की व्यवस्था भी नहीं है.
देखें वीडियो-
वहीं एक निजी बस स्टैंड करीब 1978 से संचालित हो रही है. इस बस स्टैंड से डेढ़ सौ गाड़ियों का आवागमन होता है. इस स्टैंड में यात्री शेड बना है. यहां भी गंदगी फैली रहती है. इससे यात्री शेड में भी बैठना पसंद नहीं करते हैं. यह बस स्टैंड खासमहाल के जिम्मे है. खासमहाल ही टैक्स वसूलती है. यात्रियों के बैठने के लिए यात्री शेड के अलावा स्टैंड में कुछ भी नहीं है. स्टैंड में नगर निगम की ओर से शौचालय का निर्माण कराया गया है. जहां पर यात्री पैसे देकर शौचालय का इस्तेमाल करते हैं. महिला और पुरूषों के लिए अलग-अलग शौचालय है. वैसे शौचालय की सफाई ठीक है.
Jamshedpur: जमशेदपुर में मानगो में अंतरराज्यीय बस पड़ाव है. इसकी स्थापना 2008 में हुई थी. यहां से झारखंड के अलावा बिहार, बंगाल और ओडिसा के लिए बसें चलती हैं. लेकिन यहां यात्रियों के लिए सुविधाएं नहीं हैं. बस पड़ाव में तीन शौचालय हैं. इसका संचालन सुलभ इंटरनेशनल की ओर से किया जाता है.
देखें वीडियो-
बता दें कि शौचालय का भवन और भीतरी हिस्सा तो ठीक है. लेकिन इसके आसपास के क्षेत्र में काफी गंदगी फैली रहती है. इससे यहां आनेवाले यात्रियों को परेशानी होती है. शौचालय के बाहरी परिसर की सफाई की जिम्मेवारी बस स्टैंड का ठेका लेने वाली एजेंसी पर है. लेकिन पिछले दो वर्षों से इस स्टैंड की बंदोबस्ती नहीं हो पायी है. इस कारण इसका संचालन जेएनएसी (जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति) की ओर से किया जा रहा है.
Jamtara: जामताड़ा में बस स्टैंड की स्थापना 1995-96 में हुई थी. इस बस स्टैंड से प्रत्येक दिन 40-50 बसें खुलती हैं. इसलिए यात्रियों की काफी संख्या रहती है. यहां से कई जिलों के लिए बसें खुलती हैं. बस स्टैंड में यात्री सुविधाओं का पूरा इंतजाम है. स्टैंड पर पेयजल के लिए प्याउ की व्यवस्था है. स्टैंड में चापाकल है, जो पेयजल के काम आ रहा है. यहां समस्या पास के एक तालाब से है. इसका पानी यहां आ जाता है. इससे कई जगह पानी फैल जाता है. बस स्टैंड का एक हिस्सा सूखा है, जहां यात्री बस पर चढ़ते-उतरते हैं. बस स्टैंड की सफाई नगर पंचायत की ओर नियमित कराई जाती है.
देखें वीडियो-
बस स्टैंड में एक सामुदायिक शौचालय है. इसमें महिला और पुरुष के लिए अलग-अलग शौचालय की व्यवस्था है. यहां एक समस्या बस के रूकने को लेकर भी है. नाइट बसें स्टैंड पर नहीं रुकती हैं. कुछ बसें बांसनली और पोसोई मोड़ में यात्रियों को उतार देती हैं. इससे यात्रियों को काफी परेशानी होती है. इस स्टैंड की नीलामी एक साल के लिए 5 लाख 30 हजार रुपए में हुई है.
इसे भी पढ़ें- कृषि कानूनों की वापसी पर झामुमो नेता ने बांटी मिठाई