Ranchi: जमीन घोटाला मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) जांच कर रहा है. आज सोमवार को चेशायर होम रोड जमीन खरीद बिक्री से जुड़े मामले को लेकर कारोबारी विष्णु अग्रवाल ईडी के रांची जोनल ऑफिस में उपस्थित हुए. इसके बाद ईडी के अधिकारियों के द्वारा उनसे पूछताछ शुरू कर दी गयी. इसके अलावा इस मामले में सोमवार को ही राजेश राय, लखन सिंह और भरत प्रसाद को भी ईडी के समक्ष उपस्थित होना है. सभी को निलंबित आईएएस छवि रंजन से आमने सामने बैठाकर ईडी पूछताछ करेगी. ताकि कोई अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज न कर पाये.
छवि रंजन ने अमित अग्रवाल और प्रेम प्रकाश को पहचानने से किया इनकार
रिमांड अवधि के दौरान ईडी ने छवि रंजन से पहले दिन पूछताछ की थी. इस दौरान अमित अग्रवाल और प्रेम प्रकाश से छवि रंजन ने किसी भी तरह के संबंध होने से इनकार किया. पूछताछ के दौरान ईडी के अधिकारियों ने जब छवि रंजन से प्रेम प्रकाश और अमित अग्रवाल से उनके संबंधों के विषय में पूछताछ की, तब छवि रंजन ने दोनों से किसी भी तरह के परिचय होने से ही इनकार कर दिया. लेकिन ईडी के अधिकारियों ने जब दोनों से परिचय के संबंध में सबूत दिखाये, तो छवि रंजन ने चुप्पी साध ली.
छवि रंजन के लिए गोवा ट्रिप का इंतजाम किया गया था
छवि रंजन को गिरफ्तार करने के बाद ईडी छह दिनों की रिमांड पर लेकर पूछताछ कर रही हैं. अब तक की जांच में एजेंसी ने दावा किया है कि वर्ष 2020-2022 के दौरान रांची के डीसी के रूप में छवि रंजन ने अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया. साथ ही व्यक्तिगत लाभ के लिए कई भू-माफियाओं को अनुचित लाभ पहुंचाया. उन्होंने पैसों की रिश्वत भी स्वीकार की. पावर ब्रोकर के नाम से मशहूर प्रेम प्रकाश के माध्यम से बड़गाईं मौजा स्थित एक भूखंड को प्रतिबंधित सूची से हटाया और कई व्यक्तियों से एक करोड़ रुपये की वसूली की गयी.
इतना ही नहीं ,चेशायर होम रोड की विवादित भूमि का म्यूटेशन विष्णु अग्रवाल और उनकी पत्नी के नाम पर करने के लिए बड़गाईं सीओ मनोज कुमार पर भी रांची डीसी रहते हुए छवि रंजन ने दबाव बनाया था. इसके एवज में विष्णु अग्रवाल ने छवि रंजन के लिए गोवा ट्रिप का इंतजाम किया और ताज अगोडा होटल में उनके रहने और घूमने की व्यवस्था करवाई.
भूमि की खरीद बिक्री के लिए छवि ने षड्यंत्र रचा
जेल की सलाखों के पीछे बंद रांची के पूर्व डीसी छवि रंजन ने खाता संख्या 140 की लगभग 7.16 एकड़ क्षेत्रफल वाली भूमि की खरीद बिक्री के लिए षड्यंत्र रचा. एक डमी व्यक्ति बिनोद सिंह के नाम पर म्यूटेशन के लिए फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया गया. नामांतरण के बाद यह संपत्ति श्याम सिंह और रवि सिंह भाटिया को बेच दी गई और उनके नाम से ही जमाबंदी दर्ज की गई. कागजों में इस जमीन की खरीद बिक्री 15.10 करोड़ रुडपे में दिखाई गई, जबकि इस भूखंड का वास्तविक मूल्य 29 करोड़ है.
पूर्व में सीओ और एलआरडीसी द्वारा वर्ष 2021 में बिनोद सिंह के आवेदन को खारिज कर दिया गया था, लेकिन छवि रंजन ने अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया और बिनोद सिंह के नाम पर नामांतरण की अनुमति दी. छवि रंजन द्वारा इस जमीन की पिछली जमाबंदी भी रद्द कर दी गई थी, जो कि साहू परिवार के नाम पर थी. जिला मजिस्ट्रेट ने पुलिस को उक्त स्थल पर चहादीवारी खड़ी करने में इन व्यक्तियों की सुविधा के लिए निर्देश जारी किये थे.