Hazaribagh : बिहार के किसानों को ऑनलाइन मार्केटिंग का गुर अब झारखंड सिखाएगा. मामूम हो कि हजारीबाग ई-नाम से डिजिटल पेमेंट करने में पूरे भारत में प्रथम है. ऐसे में बिहार में ई-नाम से कैसे मंडियों को चलाया जाए इसकी जानकारी लेने के लिए 2 लोगों की टीम आज हजारीबाग पहुंची.बिहार से चलकर अमित और नवीन भूषण आज हजारीबाग बाजार समिति पहुंचे ,जहां बाजार समिति के सचिव राकेश सिंह से मिलकर ई-नाम की बारीकियों को समझा.
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तीन घंटे चली बैठक
लगभग 3 घंटे चली इस बैठक में टीम के लोगों ने ई-नाम में किसानों के रजिस्ट्रेशन से लेकर ऑनलाइन ट्रेडिंग के बारे में जानकारी ली .टीम के बिहार से हजारीबाग और रांची जाने को लेकर के एक चिट्ठी बिहार के कृषि विभाग के बवास(बिहार एग्रीकल्चर प्रोड्यूस वेल्यू एडिसन सिस्टम) के उपनिदेशक सनत कुमार जयपुरियर ने झारखंड मार्केटिंग बोर्ड के एमडी रमेश घोलप को एक चिट्ठी लिखी है.
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झारखंड के किसानों को भी फायदा होगा
हजारीबाग के बाजार समिति के सचिव राकेश सिंह ने बताया कि बिहार से जो टीम आई है वह बिहार में नए खुलने वाले बाजार समितियों को ई-नाम के मार्फत चलाने के लिए जो भी तकनीकी जानकारी होती है, वह जानने के लिए यहां पहुंची है. बिहार में ई-नाम के शुरू हो जाने से झारखंड के किसानों को भी बहुत फायदा होगा. साथ ही साथ बिहार के किसानों को भी इससे बहुत फायदा होगा, क्योंकि नजदीकी राज्य होने से व्यापारी दोनों जगहों से ऑनलाइन ट्रेडिंग कर खाद्यान्न खरीद सकेंगे. जिससे किसानों को उचित मूल्य मिलेगा.
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ई-नाम के हो जाने से सारी चीजें ऑनलाइन होती हैं
हजारीबाग के प्रगतिशील किसान फुलेश्वर महतो ने कहा कि उन्हें पहले बिहार में अपने फसल को बेचने में बहुत डर रहता था, क्योंकि ऑन लाइन ट्रेडिंग नहीं रहने से पूरे कागजात नहीं हो पाते थे. उपज के सही रहने के बाद भी रास्ते में भय रहता था. लेकिन ई-नाम के हो जाने से सारी चीजें ऑनलाइन होती हैं, इसलिए सारे कागजात तुरंत मिल जाते हैं और पेमेंट भी आसानी से हो जाता है. इससे किसानों को बहुत फायदा होगा. खास कर हम जैसे किसान जो बिहार में अपनी फसल को बेचना चाहते हैं, उनके लिए और बिहार के जो किसान झारखंड में फसल बेचना चाहते हैं उनके लिए यह बहुत आसान हो जाएगा.बिहार सरकार ने बिहार में ई-नाम के तहत ऑनलाइन व्यापार शुरू करवाने के लिए बवास (बिहार एग्रीकल्चर प्रोड्यूस वेल्यू एडिसन सिस्टम ) बनाया है.