Ranchi: झारखंड में बैंकों का क्रेडिट-डिपॉजिट (सीडी) अनुपात राष्ट्रीय औसत से काफी कम बना हुआ है. वर्तमान में यह केवल 50.22 प्रतिशत है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह 86.48 प्रतिशत है. वित्त विभाग द्वारा इसे बढ़ाने के लिए 15 फरवरी 2024 को एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया था, लेकिन अब तक अपेक्षित सुधार देखने को नहीं मिला है.
क्या है क्रेडिट-डिपॉजिट रेशियो?
क्रेडिट-डिपॉजिट रेशियो किसी बैंक द्वारा दिए गए कुल ऋण और ग्राहकों से प्राप्त कुल जमा राशि के अनुपात को दर्शाता है. इस अनुपात का कम होना यह संकेत देता है कि बैंक पर्याप्त मात्रा में ऋण नहीं दे रहे हैं, जिससे राज्य के आर्थिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.
झारखंड में सीडी रेशियो कम क्यों?
विशेषज्ञों के अनुसार, झारखंड में यह अनुपात कम होने का मुख्य कारण यह है कि राज्य में स्थापित अधिकांश विनिर्माण इकाइयों के मालिक और प्रमोटर अन्य राज्यों में रहते हैं. इसके कारण ऋण लेने की प्रक्रिया झारखंड से बाहर शिफ्ट हो जाती है और स्थानीय स्तर पर लोन वितरण कम हो जाता है.
सरकार ने जताई नाराजगी, बैंकों को निर्देश
राज्य सरकार पहले भी इस मुद्दे पर बैंकों के रवैये को लेकर नाराजगी व्यक्त कर चुकी है. बैंकों को निर्देश दिए गए हैं कि वे राज्य में ऋण वितरण को बढ़ावा दें और सीडी रेशियो सुधारें. राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति (SLBC) ने जिला लीड बैंक प्रबंधकों को निर्देश दिया है कि वे ऋण-जमा अनुपात को बढ़ाने के लिए सख्त कदम उठाएं.
दक्षिण और पश्चिम भारत से पीछे झारखंड
जहां झारखंड का क्रेडिट-डिपॉजिट अनुपात मात्र 50.22% है, वहीं दक्षिण और पश्चिम भारत के कई राज्यों में यह 100% से भी अधिक है. इससे स्पष्ट होता है कि झारखंड में बैंकों द्वारा ऋण देने की प्रक्रिया अपेक्षाकृत धीमी है, जो राज्य की आर्थिक प्रगति में बाधा बन सकती है.
समिति गठन के बावजूद सुधार नहीं
विगत छमाही में झारखंड का सीडी रेशियो 51.13 प्रतिशत था, जो और गिरकर 50.22 प्रतिशत पर आ गया है. सरकार द्वारा बनाई गई उच्च स्तरीय समिति के बावजूद बैंकों की स्थिति में सुधार नहीं हुआ है. विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस पर तत्काल ध्यान नहीं दिया गया, तो राज्य में औद्योगिक निवेश और आर्थिक विकास की गति प्रभावित हो सकती है.