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मणिपुर हिंसा से झारखंड का आदिवासी समुदाय उद्वेलित

  • Nilay Singh
Ranchi : मणिपुर पिछले करीब दो महीने से अशांत है. वहां हिंसा का दौर जारी है. मामला मैतेई जाति को अनूसूचित जनजाति का दर्जा देने का है, जिसका विरोध वहां की कुकी जनजाति कर रही हैं. इस मुद्दे को लेकर झारखंड में भी आदिवासी समाज चिंतित और उद्वेलित है. यहां भी कई अन्य समुदाय अपने आपको आदिवासी घोषित करने की मांग कर रहे हैं. पिछले दिनों कुड़मीकुरमी समाज द्वारा जोरदार आंदोलन किया गया था और इसकी धमक बंगाल और ओड़िशा तक पहुंची थी. झारखंड के आदिवासी नेताओं की क्या है इस मुद्दे पर राय, यह जानने की कोशिश की गयी. [caption id="attachment_561347" align="alignnone" width="601"]https://lagatar.in/wp-content/uploads/2023/02/SALKHAN-1.jpeg"

alt="" width="601" height="400" /> पूर्व सांसद सह आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू.[/caption]

एसटी दर्जे के लिए संविधानसम्मत ठोस नीति का निर्धारण हो – सालखन 

आदिवासी सेंगेल अभियान के संयोजक और पूर्व सांसद सालखन मुर्मू का कहना है कि मणिपुर में हुई जातीय हिंसा दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने इस मामले को लेकर राष्ट्रपति को पत्र भी लिखा है. उनका कहना है कि जिस प्रकार 53% मैतेई जाति को मणिपुर में एसटी अर्थात अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने का मामला गरमाया है, उससे पूर्व से अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल 40% कुकी एवं अन्य आदिवासी को अपने अस्तित्व, पहचान, हिस्सेदारी के लुटने- मिटने की चिंता स्वाभाविक है. हाल के दिनों में झारखंड, बंगाल, ओड़िशा आदि आदिवासी बहुल क्षेत्रों में भी असली आदिवासियों के बीच भी चिंता जगजाहिर है. महतो - कुड़मी जैसी जाति जबरन एसटी बनना चाहते हैं, जो गलत है. उन्होंने मांग की है कि एसटी सूची में किसी जाति को शामिल करने के लिए अविलंब एक संविधान सम्मत ठोस नीति का निर्धारण करें.

शांति बहाली करवाएं केंद्र और राज्य सरकार - प्रेम शाही मुंडा

आदिवासी जन परिषद् के अध्यक्ष प्रेम शाही मुंडा का कहना है कि इसके लिए भारत सरकार और राज्य सरकार दोषी है. क्योंकि मणिपुर में मैतेई समाज के लोग आदिवासी सूची में डालने के लिए मांग कर रहे हैं. मैतेई जाति को मणिपुर में आदिवासी सूची में डालने के लिए राज्य सरकार समर्थन कर रही है. भारतीय जनता पार्टी कहीं ना कहीं वोट लेने के लिए राजनीति कर रही है. इस कारण मणिपुर में गृह युद्ध की स्थिति आ गयी है. इसलिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार को शांति बहाल करने के लिए स्थानीय सामाजिक एवं राजनीतिक संगठन से वार्ता करनी चाहिए. https://lagatar.in/wp-content/uploads/2023/07/661.jpg"

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राज्य और केंद्र सरकार दोषी - देव कुमार धान

आदिवासी समन्वय समिति के संयोजक देव कुमार धान का कहना है कि इसके लिए पूरी तरह से केंद्र और राज्य सरकार जिम्मेदार हैं. सिर्फ वोट बैंक की राजनीति के लिए ऐसा करना गलत है. अभी झारखंड में भी कमोबेश यही स्थिति है और यह आग देश के अन्य राज्यों में भी फैल सकती है.

लोकतंत्र में हिंसा का कोई स्थान नहीं - रामकुमार पाहन

भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के संरक्षक रामकुमार पाहन का कहना है कि इस पूरे मामले में राजनीति हो रही है. आपस में टकराव से राज्य को ही क्षति हो रही है. लोकतंत्र में हिंसा का कोई स्थान नहीं है और किसी भी मुद्दे को मिल- बैठकर तय करना चाहिए, ना कि मुद्दे को तूल देना चाहिए. केंद्र सरकार वहां शांति बहाली के लिए प्रयासरत है . इसे भी पढ़ें – पथ">https://lagatar.in/the-decision-to-form-road-transport-corporation-should-be-reconsidered-chamber/">पथ

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