Ranchi : झारखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सह राज्यसभा सांसद दीपक प्रकाश ने कहा है कि झारखंड सरकार में शामिल झामुमो और कांग्रेस के बीच मुस्लिम तुष्टिकरण को लेकर आपस में ही होड़ मची है. दोनों ही राजनीतिक दलों का ऐसा अंदाज साबित करता है कि राज्य के विकास की बजाय एक खास वर्ग के तुष्टिकरण पर कहीं अधिक जोर है. दोनों दल अपने आप को उस खास वर्ग के लिए अधिक शुभचिंतक साबित करने में जुटे हैं.
अपराधियों को सरकार और पुलिस संरक्षण देने में जुटी है
दीपक प्रकाश ने कहा कि राज्य सरकार कुछ खास वर्ग के अपराधियों को संरक्षण देने में जुटी है. रूपेश पांडेय हत्याकांड में शामिल अपराधी हों या पेटरवार में दलित नाबालिग के साथ दुष्कर्म की घटना, अपराधियों को सरकार और पुलिस संरक्षण देने में जुटी है. अगर ऐसा नहीं है तो अब तक सभी आरोपी सलाखों के पीछे होते. वहीं संजू प्रधान मामले में भी आरोपी पुलिस गिरफ्त से दूर हैं. जब सरकार एक खास वर्ग के अपराधियों को संरक्षण देने में जुटी हो तो तुष्टिकरण की पर्याय बन चुकी सहयोगी पार्टी कांग्रेस भला क्यों पीछे रहती.
पीड़ित परिजनों से मिलकर सांत्वना का दिखावा करते हैं
उन्होंने कहा कि कांग्रेस विधायक उमाशंकर अकेला एक तरफ सरकार के प्रतिनिधिमंडल के साथ रुपेश पांडेय के पीड़ित परिजनों से मिलकर सांत्वना का दिखावा करते हैं, वहीं दूसरी तरफ पारसनाथ में आयोजित कांग्रेस पार्टी के चिंतन शिविर में रूपेश पांडेय मामले में हर हाल में अल्पसंख्यकों के साथ खड़े रहने की चिंता में दुबले होते हुए देखे जाते हैं. इनकी ऐसी दोहरी भूमिका से नाराज होकर मॉब लिंचिग के शिकार हुए रूपेश पांडेय के पीड़ित परिवार ने उनके द्वारा दी गई 50 हजार की सहयोग राशि को वापस लौटाकर तुष्टिकरण की इस राजनीति पर जोरदार तमाचा जड़ा है. मॉब लिंचिग को लेकर ऐसा राजनीतिक दृष्टिकोण और एक खास वर्ग के लिए यह अटूट प्रेम देश के किसी अन्य राज्य में देखने को नहीं मिलेगा. विधानसभा परिसर में नमाज कक्ष के आवंटन पर दोनों पार्टियों का रुख राज्य की जनता ने पूर्व में देख ही लिया है.
तुष्टिकरण की नीति लोकतंत्र के लिए बेहद खतरनाक
उन्होंने कहा कि तुष्टिकरण की नीति एक स्वस्थ लोकतंत्र के लिए बेहद खतरनाक है. दोनों ही पार्टियां मुस्लिम तुष्टिकरण की सारी हदें पार कर चुकी हैं. जनता बुनियादी सुविधाओं को लेकर त्राहिमाम कर रही है, प्रदेश जंगलराज में तब्दील हो चुका है और ऐसे में सरकार का झुकाव केवल एक खास वर्ग तक ही केंद्रित हो तो झारखंड की राजनीति के लिए इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या हो सकता है. बेहतर होता, दोनों दलों में यह प्रतिस्पर्धा झारखंड के विकास को लेकर छिड़ी होती.
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