Ranchi : झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी पर आक्रामक है. झामुमो ने बाबूलाल मरांडी के पुराने बयानों को सामने लाते हुए एक तरह से अभियान चला रखा है. जिसका नाम है- एक थे बाबूलाल कभी सच बोलते थे. रविवार की सुबह झामुमो ने अपने सोशल मीडिया एकाउंट से लगातार पांच ट्विट किये. पहले में बाबूलाल मरांडी के उस बयान को कोट किया गया है, जिसमें वर्ष 2018 में उन्होंने झाविमो के प्रमुख रहते हुए कहा था कि विधायकों की खरीद-फरोख्त की जांच होनी चाहिए. इसमें लिखा गया है कि वह बतायें कि अमर बाउरी, नवीन जयसवाल, रणधीर सिंह कितने करोड़ में बिके थे.
एक थे सच्चे बाबूलाल जी ..
उस समय की उनकी सोच उन्ही की जुबानी …. pic.twitter.com/1xiGzjh2GN
— Jharkhand Mukti Morcha (@JmmJharkhand) October 27, 2024
एक थे सच्चे बाबूलाल जी …
उस समय रघुबर दास जी की उड़ते हाथी से तकलीफ़ थी ..
फिर ख़ुद उस हाथी पर बैठ उड़ गए .. pic.twitter.com/lKar5jZoPF
— Jharkhand Mukti Morcha (@JmmJharkhand) October 27, 2024
एक थे सच्चे बाबूलाल जी।
अमर बाउरी कितने करोड़ में बिके थे ?
नवीन जयसवाल कितने में बिके थे ?
रणधीर सिंह कितने में बिके थे ?
आज शायद फिर बाबूलाल जी सच बोलने की हिम्मत दिखा दें। pic.twitter.com/k7jDYuKEaq
— Jharkhand Mukti Morcha (@JmmJharkhand) October 27, 2024
रघुवर सरकार ने पांच साल में हाथी उड़ा दिया
दूसरे ट्विट में झामुमो ने कहा है कि बाबूलाल मरांडी कहते थे कि अब दूसरे दल वाले उनके पास आयेंगे, लेकिन वह खुद दूसरों के पास चले गये. तीसरे ट्विट में झामुमो ने बाबूलाल मरांडी के दो पोस्ट को शेयर किया है. एक में उन्होंने अमित शाह के जय श्रीराम के नारे को अचार संहिता का उल्लंघन बताया था. दूसरे में वह भाजपा सरकार को झूठा व मक्कार बता रहे थे. इसी तरह झामुमो ने एक ट्विट में बाबूलाल मरांडी के उस बयान को साझा किया है, जिसमें उन्होंने 16 अक्टूबर 2019 को कहा था कि चिड़िया उड़ते देखा होगा, रघुवर सरकार ने पांच साल में हाथी उड़ा दिया.
भाजपा छोड़ने के बाद बाबूलाल ने अपनी पार्टी बनायी थी
दरअसल, बाबूलाल मरांडी लंबे समय तक भाजपा से दूर रहे हैं. भाजपा छोड़ने के बाद उन्होंने अपनी पार्टी बनायी थी, जिसका नाम झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) था. वर्ष 2014 में चुनाव परिणाम आने के बाद भाजपा ने झाविमो के विधायकों को तोड़ करके ही बहुमत का आंकड़ा पार किया था. करीब डेढ़ साल पहले उन्होंने पार्टी का विलय भाजपा में कराया. भाजपा छोड़ने और वापस लौटने के बीच वह लगातार भाजपा की खिलाफत करते रहे हैं. अब झामुमो उन्हीं के पुराने बयानों को सामने लाकर सवाल खड़ा कर रहा है. ऐसे सवाल बाबूलाल मरांडी को असहज जरूर करते होंगे.