Palamu : झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय समिति सदस्य चन्दन प्रकाश सिन्हा ने पलामू के उपायुक्त को पत्र लिखकर सिविल सर्जन अनिल कुमार सिंह के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है.पत्र में सिविल सर्जन को अबतक का सबसे भ्रष्ट सिविल सर्जन करार देते हुए लिखा है कि उन्होंने पलामू की पूरी स्वास्थ्य व्यवस्था को बर्बाद कर दिया है. आमजन स्वास्थ्य सेवा के लिए त्राहिमाम कर रहे हैं और प्राइवेट अस्पतालों पर निर्भर हैं. आरोप लगाया गया है कि पीएचसी एवं सीएचसी में जिन डॉक्टरों की नियुक्ति की गयी है, वे वहां सेवा नहीं देकर प्राइवेट क्लीनिक चलाने में मशगूल है. अच्छे डॉक्टरों को पीएससी एवं सीएचसी से हटाकर जिला अस्पताल में डेपुटेशन कर दिया गया है, ताकि वे डाल्टनगंज में अपना क्लीनिक चला सके.
स्वास्थ्य विभाग पर सिविल सर्जन का कोई नियंत्रण नहीं है
स्था नीय स्वास्थ्य केंद्रों में डायरिया तक का इलाज नहीं हो पा रहा है. लोगों की जान जा रही है. स्वास्थ्य विभाग पर सिविल सर्जन का कोई नियंत्रण नहीं है. पूरा का पूरा स्वास्थ्य विभाग (झोलाछाप) ग्रामीण डॉक्टरों पर निर्भर है. दुर्भाग्य की बात है कि सरकारी अस्पतालों में बंध्याकरण का ऑपरेशन तक झोलाछाप डॉक्टरों से करवाया जाता है. प पलामू में कहीं भी सरकारी दिशा निर्देश के अनुसार एएनसी और पीएनसी नहीं किया जाता है. वीएचएसएनडी के दिन एएनएम मात्र एक से दो घंटे संबंधित आंगनबाड़ी केंद्र जाती है और महज खाना पूर्ति करके लौट जाती है. वीएचएसएनडी लिए आवश्यक उपकरण किसी भी नर्स के पास उपलब्ध नहीं रहता है. सिर्फ आयरन और कैल्शियम की गोली देना ही काफी नहीं है. क्षेत्र में 70% से अधिक गर्भवती महिलाओं के पास एमसीपी कार्ड नहीं है.यदि कुछ महिलाओं को एमसीपी कार्ड दिये भी जाते हैं तो उसे नियमित तरीके से नहीं भरा जाता है.
कमीशन के चक्कर में वैसी दवाओं की खरीद की जाती है, जिनकी एक्सपायरी डेट नजदीक हो
पत्र में आरोप लगाया गया है कि कमीशन के चक्कर में वैसी दवाओं की खरीद की जाती है, जिनकी एक्सपायरी डेट नजदीक हो. सीएचसी स्तर पर विभिन्न प्रकार की जांच के लिए मेडौल से एमओयू किया गया है. मेडौल के द्वारा खून का सैंपल तो लिया जाता है लेकिन रिपोर्ट नहीं दी जाती है. उन पर कार्रवाई के बदले सिविल सर्जन के द्वारा उसे भुगतान किया जा रहा है. पलामू में चलने वाले कुछ प्राइवेट अस्पतालों एवं जांच घरों को छोड़कर अधिकतर अस्पताल एवं जांच घर सरकार के दिशा निर्देशों का पालन नहीं करते, फिर भी सिविल सर्जन के सांठगांठ से लगातार संचालित हो रहे हैं. समय-समय पर इन सभी अस्पतालों एवं जांच घरों की जांच किया जाना और बिना कोई कार्रवाई के छोड़ दिया जाना स्पष्ट बतलाता है कि बड़े स्तर पर गड़बड़ी की जा रही है.
मैनपॉवर उपलब्ध कराने के लिए बालाजी संस्था से एमओयू किया गया है
चंदन प्रकाश सिन्हा ने बताया कि पलामू में मैनपॉवर उपलब्ध कराने के लिए बालाजी संस्था से एमओयू किया गया है लेकिन जितने लोग विभाग में कार्यरत हैं उससे अधिक लोगों को पैसे का भुगतान विभाग द्वारा संस्था को किया जाता है. जो कर्मी कार्यरत हैं, उन्हें सरकारी निर्देश को ताक पर रखकर न्यूनतम मजदूरी दर से भी कम भुगतान किया जाता है. सरकार से इन कर्मियों के नाम पर वर्ष में 12 माह का भुगतान लिया जाता है लेकिन उन्हें वर्ष में 12 माह का भुगतान नहीं किया जाता है. इससे संबंधित शिकायत मुख्यमंत्री स्वास्थ्य मंत्री एवं मुख्य सचिव से भी की गयी है.