Ranchi: शिबू सोरेन की 10वीं बार जेएमएम अध्यक्ष के पद पर ताजपोशी हुई है. रांची के सोहराय भवन मे हुए जेएमएम के 12वें केंद्रीय महाधिवेशन में शिबू सोरेन निर्विरोध अध्यक्ष चुने गये. वहीं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन फिर से कार्यकारी अध्यक्ष चुने गये हैं. महाधिवेशन को संबोधित करते हुए पार्टी सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा गरीब गुरबे, मूलवासी, आदिवासी, दलित, पिछड़ों की पार्टी है. हम सत्तारूढ़ दल की भूमिका में काम कर रहे हैं. यह हमारी मंजिल नहीं, सिर्फ एक पड़ाव है. मंजिल के लिए हमें लंबा सफर तय करना है. राज्य के लोगों के लिए हमेशा खड़े रहने का प्रयास करना चाहिए. उन्होंने कहा कि झारखंड 21 साल का हो चुका है. 21 साल में जो लोग अधिकतर समय सत्ता में रहे उन लोगों ने कभी राज्य के प्रति अपनी गंभीरता अपनी संवेदनशीलता नहीं दिखाई.
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राजनीतिक प्रस्ताव में जेएमएम ने कहा खैरात में नहीं लड़कर मिला है झारखंड
महाधिवेशन में पारित राजनीतिक प्रस्ताव में कहा गया कि झारखंड खैरात में नहीं मिला है. शिबू सोरेन के नेतृत्व में लंबा आंदोलन चला है, सैकड़ों आंदोलनकारियों ने शहादत दी है तब जाकर राज्य बना है, लेकिन राज्य गठन के साथ ही राजनीतिक व्यवस्था के तहत अधिकांश बीजेपी के हाथ में रही. बीजेपी ने शोषक-अराजक और कारपोरेट लुटेरों के स्वार्थ पूर्ति के लिए नियम कानून बनाए और उन्हें लाभान्वित करने की योजना बनाई. झारखंडी पहचान और अस्तित्व को खत्म करने की पराकाष्ठा तब हुई तब 2014 में केंद्र और राज्य में बीजेपी की सरकार बनी. तात्कालीन मंत्रिमंडल ने आदिवासी-मूलवासियों की जमीन, रोजगार की लूट की गई.
विस्थापन और पलायन की समस्या पर जेएमएम ने जताई चिंता
8 पन्ने के राजनीतिक प्रस्ताव में जेएमएम ने कहा कि झारखंड में आदिवासियों की जमीन की लूट हुई है. विकास योजनाओं में हजारों लोग विस्थापित हुए हैं. गरीबी के कारण पलायन की समस्या बढ़ी है. रोजगार, शिक्षा और समाजिक सशक्तिकरण से ही राज्य को सदृढ़ किया जा सकता है. कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुधारने की जरूरत है. उद्योग और खनन के लिए जिन भूमि का उपयोग नहीं हुआ है उसे रैयतों को वापस किया जाना चाहिए.
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पदों की घट सकती है संख्या
पार्टी सूत्रों के मुताबिक 12 वें अधिवेशन में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए हैं. महाधिवेशन में उपाध्यक्ष के पदों को घटाने का फैसला लिया गया है. पहले जहां 15 उपाध्यक्ष हुआ करते थे, अब यह संख्या घटकर 11 हो सकती है. वहीं, महासचिव के पदों की संख्या 12 से घटाकर 09 की जा सकती है. इसी तरह केंद्रीय समिति सदस्यों की संख्या 451 से घटाकर 351 करने की बात सामने आ रही है. यह भी बताया जा रहा है कि जेएमएम सभी जिलों में कार्यालय सचिव का पद भी सृजित करेगा. मतलब जिलों में भी पार्टी के कार्यालय सचिव होंगे.
धनबाद के गोल्फ ग्राउंड में 1973 में हुआ था JMM का गठन
गौरतलब है कि जेएमएम का गठन 15 नवंबर 1972 को हुआ था, लेकिन विधिवत रूप से 4 फरवरी 1973 को धनबाद के गोल्फ ग्राउंड में जेएमएम की बुनियाद रखी गई थी. विनोद बिहारी महतो जेएमएम के पहले अध्यक्ष चुने गए थे. वहीं शिबू सोरेन पार्टी के महासचिव चुने गए थे. तब से पार्टी का राजनीतिक सफर अब तक जारी है.
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