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सरना धर्म कोड की मांग पर झामुमो का प्रदर्शन, कहा - राज्य हमलोगों को खैरात में नहीं मिला

Ranchi: सरना धर्म कोड की मांग को लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने मंगलवार को राज्यभर के जिला मुख्यालयों में धरना-प्रदर्शन किया. रांची पार्टी के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि राज्य हमलोगों को खैरात में नहीं मिला. सरना धर्म कोड भी हम बलिदान के बाद सौगात के रूप में लेंगे. जल जंगल जमीन बचाना है तो सरना को मानना होगा. जनगणना में इसका आंकड़ा भी देना होगा. भाजपा धर्म के नाम पर राजनीति कर रही है. आदिवासी इस देश के सबसे पुराने मालिक हैं. झामुमो की मांग है कि सरना धर्म को जनगणना फॉर्म में अलग कोड दिया जाए, जिससे आदिवासी समुदाय की धार्मिक पहचान को मान्यता मिल सके.
क्या है सरना धर्म कोड की मांग
सरना धर्म कोड की मांग आदिवासी समुदाय की धार्मिक पहचान और अस्तित्व को मान्यता देने के लिए है. झारखंड में सरना धर्म की पूजा पद्धति, संस्कृति और मान्यताएं अन्य सभी धर्मों से अलग हैं. झारखंड विधानसभा में सरना धर्म कोड की मांग को लेकर प्रस्ताव पारित हो चुका है, लेकिन केंद्र सरकार ने अभी तक इस पर कोई पहल नहीं की है.
झामुमो का केंद्र सरकार पर हमला
झामुमो ने केंद्र सरकार पर आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों का हनन करने का आरोप लगाया है. झामुमो के नेताओं ने कहा कि जब तक आदिवासी समाज को अलग धार्मिक पहचान नहीं दी जाती, तब तक जातीय जनगणना नहीं होने दी जाएगी. झामुमो ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो राज्यव्यापी आंदोलन शुरू किया जाएगा. झामुमो के नेता और कार्यकर्ता सरना धर्म कोड की मांग को लेकर एकजुट हैं और इसके लिए संघर्ष करने को तैयार हैं.

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