SHAKEEL AKHTER
RANCHI: जेपीएससी-2 में आयोग के पदाधिकारियों के अलावा दूसरे मनपसंद परीक्षार्थियों को नंबर बढ़ा कर मुख्य परीक्षा में पास कराया गया. इसके बाद इंटरव्यू में ज्यादा नंबर देकर अलग अलग सेवाओं में बेहतर रैक दिया गया. सीबीआइ ने जांच रिपोर्ट में इन तथ्यों का उल्लेख किया है. साथ ही किस परीक्षार्थी को किन किन विषयों में नंबर बढ़ाया गया उसके उल्लेख किया है.
सीबीआइ की रिपोर्ट में कहा गया है कि जेपीएससी की तत्कालीन सदस्य शांति देवी के भाई विनोद राम को परीक्षा में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी कर लाभ दिया गया. सीबीआइ ने जांच में पाया है कि विनोद राम का मुख्य परीक्षा में 750 नंबर मिले थे. प्रशासनिक सेवा में चुने जाने के लिए अनुसूचित जाति (एससी) का कटऑफ मार्क्स 979 था. इसलिए विनोद का चयन प्रशासनिक सेवा के लिए नहीं किया जा सकता था. लेकिन उन्हें गलत तरीके से इंटरव्यू में बुलाया गया और राज्य प्रशासनिक सेवा के लिए चुन लिया गया.
जेपीएससी के तत्कालीन सदस्य राधा गोविंद नागेश की बेटी मौसमी नागेश का चयन वित्त सेवा के लिए किया गया. वह मुख्य परीक्षा में फेल थीं. लेकिन मुख्य परीक्षा के कई विषयों में नंबर बढ़ा कर उन्हें सफल घोषित किया गया. सीबीआइ ने जांच में पाया कि मौसमी नागेश को मुख्य परीक्षा में 774 नंबर मिले थे. अनुसूचित जनजाति के लिए वित्त सेवा का कटऑफ मार्क्स 784 था. कटऑफ मार्क्स के आलोक में मौसमी नागेश को इंटरव्यू में शामिल नहीं किया जाना चाहिए था. लेकिन मुख्य परीक्षा में नंबर बढ़ा कर उन्हें इंटरव्यू में बुलाया गया और वित्त सेवा के मेरिट लिस्ट में उन्हें 71 वां रैंक दिया गया.
आयोग के तत्कालीन सदस्य गोपाल प्रसाद सिंह के पुत्र को राज्य प्रशासनिक सेवा का अफ़सर बनाने के लिए बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की गयी. सीबीआइ ने जांच में पाया कि रजीनश कुमार को मुख्य परीक्षा में 853 नंबर मिले थे. अनारक्षित वर्ग से राज्य प्रशासनिक सेवा में चुने जाने के लिए कट ऑफ मार्क्स 872.67 था. यानी वह मुख्य परीक्षा में ही फेल थे. उन्हें अफसर बनाने के लिए नंबर बढ़ा कर मुख्य परीक्षा में पास कराया गया. इंटरव्यू में 99.33 नंबर देकर राज्य प्रशासनिक सेवा के मेरिट लिस्ट में 10 वां रैंक दिया गया.
राधा प्रेम किशोर का चयन पुलिस सेवा के लिए किया गया. राधा प्रेम किशोर को मुख्य परीक्षा में कुल 763 नंबर मिले थे. पुलिस सेवा में अनुसूचित जाति के लिए कट ऑफ मार्क्स 913 था. इसलिए उन्हें इंटरव्यू में नहीं बुलाया जाना चाहिए था. लेकिन उन्हें मुख्य परीक्षा में नंबर बढ़ा कर इंटरव्यू में बुलाया गया और राज्य पुलिस सेवा के लिए सफल घोषित करते हुए डीएसपी के पद पर नियुक्ति की अनुशंसा की गयी.
मुकेश कुमार महतो का चयन ओबीसी श्रेणी से राज्य पुलिस सेवा के लिए किया गया था. सीबीआइ जांच में पाया गया कि उन्हें मुख्य परीक्षा में नंबर बढ़ा कर इंटरव्यू के लिए बुलाया गया और इंटरव्यू में 120 नंबर दे कर पुलिस सेवा के मेरिट लिस्ट में छठा रैंक दे दिया गया. ओबीसी श्रेणी से पुलिस सेवा में सफल घोषित होने के लिए मुख्य परीक्षा का कटऑफ मार्क्स 960 था. इसलिए उनका चयन पुलिस सेवा में नहीं किया जा सकता था.