Ranchi : सनातनी पूर्णिमा व्रत-पूजन को अति महत्व देते
हैं. मान्यता है कि इस व्रत को धारण कर
श्रीहरि और
श्रीलक्ष्मी जी की पूजा-अर्चना करने
वालों की सारी मनोकामनाएं पूरी होती
है. विद्वान बताते हैं कि पूर्णिमा में चंद्रमा 16
कलाओं से परिपूर्ण होते हैं, ऐसे में चंद्र दर्शन से मानसिक लाभ भी प्राप्त होता
है. लेकिन इस बार दो तिथि मिलने से संशय की स्थिति
है. आचार्य अजय मिश्रा और पंडित सुरेंद्र इंद्र गुरु ने पंचांगों की गणना कर बताया कि
21और 22 जून
दोनों दिन पूर्णिमा मान्य
है. इन तिथियों में व्रत-पूजन और स्नान, दान-पुण्य किये जा सकते हैं, लेकिन पूर्णिमा में सूर्योदय और चंद्रोदय का ध्यान रखना जरूरी होता
है. सुंरेंद्र इंद्र गुरु ने बताया कि पूजा-अर्चना कर चंद्रदेव को अर्घ्य अर्पित नहीं करने से व्रत फलीभूत नहीं
होते. 21 जून को चंद्रोदय शाम 6.28 बजे के बाद होगा, जबकि 22 जून को चंद्रोदय 7.48 बजे
होगा. इससे पहले आषाढ़ मास की शुरुआत हो
जायेगी. इस कारण शुक्रवार को व्रत धारण कर पूजा-अर्चना और चंद्र देव को अर्घ्य अर्पित करना शास्त्रसम्मत रहेगा, जबकि स्नान, दान-पुण्य और भगवान सत्यनारायण जी की कथा श्रवण के लिए
शिनवार का दिन शुभकारी
होगा. पूर्णिमा तिथि आज सुबह 7.31 से
आचार्य श्रीकृष्ण ने बताया कि शुक्रवार को सुबह 7.31 बजे से पूर्णिमा की शुरुआत हो रही है, जबकि इस तिथि का समापन शनिवार 22 जून सुबह 6.37 बजे
होगी. उन्होंने बताया कि स्नान-दान सुबह 07.31 के बाद और पूजन के लिए 10.38 तक अति शुभ मुहूर्त
है. आचार्य ने बताया कि पूर्णिमा तिथि में चंद्रमा के उदय रहने से शुक्रवार को ही व्रत रख कर चंद्रमा की पूजा करना
शस्त्रानुसार माना
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