Kaushal Anand
Ranchi : लोकसभा चुनाव के ठीक पहले तत्कालीन सीएम हेमंत सोरेन को जेल जाना पड़ा. शिबू सोरेन बीमार चल रहे हैं. बसंत सोरेन स्टेट लेवल के नेता बन नहीं बन पाए थे. बीच चुनाव में शिबू सोरेन परिवार की बड़ी बहु भाजपा ज्वाइन कर ली. खुद कल्पना सोरेन गांडेय सीट से विधानसभा चुनाव लड़ने जा रही थीं. इन कठिन परिस्थिति के समक्ष पूरी पार्टी में एक बड़े कद के प्रचारक की अचानक कमी हो गयी. हालांकि पार्टी के पास पुराने मंझे हुए नेता और मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन थे, मगर पार्टी को एक ऐसे चेहरे की जरूरत थी जो सोरेन परिवार का है. झंझावतों के बीच आखिरकार पार्टी ने एक चेहरा ढ़ुंढ़ लिया. न केवल पार्टी एवं परिवार ने कल्पना सोरेन को चुनावी समर में उतारा, बल्कि उसे पूरे स्टेट में पार्टी का एक बड़ा चेहरा एवं कद्दवार नेता के रूप में पेश किया. कल्पना सोरेन ने भी निराश नहीं किया. सोरेन परिवार का गांव नेमरा से कल्पना की लांचिंग हुई. इसके बाद कल्पना सोरेन ने न्याय उलगुलान महारैली आयोजित करके खुद के चयन को सही साबित किया, इसके बाद वे पीछे मुड़ कर नहीं देखी.
इंडिया गठबंधन के हर प्रत्याशी के लिए लगातार कर रही हैं धुआंधार प्रचार, प्रत्याशी पीछे, कल्पना रहीं फ्रंट लाइनर
पूरे चुनावी अभियान में कल्पना सोरेन बड़े-बड़े पार्टी के दिग्गज और धुरंधर यहां तक कि कांग्रेस और माले प्रत्याशी की भी खेवनहार बन कर उभरीं. न केवल अपने विधानसभा सीट को खुद संभाला, पहली बार चुनावी समर में उतरी कल्पना ने अपने नैया खुद ही पार लगाने की ठान ली. गांडेय के साथ-साथ कल्पना पूरे इंडिया गठबंधन के प्रत्याशियों के लिए धुआंधार प्रचार में जुट गयीं जो 30 मई तक जारी रहेगा. पूरे चुनावी अभियान में कल्पना ने हर सीट पर तीन से चार चुनावी सभा को संबोधित किया. प्रमुख राष्ट्रीय नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ मंच भी शेयर किया.
कल्पना के चुनावी सभा के फोटो को गौर से आकलन किया जाए तो स्पष्ट हो गया कि मंच पर कल्पना फ्रंट लाइनर रहीं और प्रत्याशी उनके पीछे खड़े रहे. अपने सारे सीनियर नेता और प्रत्याशियों का हाथ अपने हाथ में लेकर वोट देने की अपील की. जिसमें पूर्व मंत्री जोबा मांझी, मथुरा महतो, नलिन सोरेन, प्रदीप यादव, विनोद सिंह, समीर मोहंती, केएन त्रिपाठी, विजय हांसदा, सुबोधकांत सहाय आदि प्रमुख रहें. यह सारे कल्पना के आगे सीनियर नेताओं में सूमार रहे हैं. इन्हें सम्मान देने में ये सीनियर नेता भी नहीं चुके, मंच पर कल्पना को ही फ्रंट लाइनर रखने में पूरी मदद की. फिलहाल कल्पना सहित पूरे इंडिया गठबंधन का कूनबा संथाल शिफ्ट ओ चुका है. खुद बसंत सोरेन दुमका में शुरू से ही कैंप किए हुए हैं.
क्या विस चुनाव के लिए झामुमो का हो गया पिच तैयार, जेल से बाहर आने के बाद हेमंत रहेंगे किस भूमिका में
लोकसभा चुनाव देश का बड़ा चुनाव होता है. मगर इस चुनाव में जिस प्रकार से कल्पना को पार्टी ने प्रोजेक्ट किया है उसमें अभी तक वह खरी उतरीं. उनका स्पीच भी बहुत अक्रामक है. वे अपने स्पीच से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ-साथ पूरे भाजपा को काऊंटर करने में सफल रही हैं. शायद भाजपा को भी इसका अनुमान नहीं होगा कि हेमंत के जेल जाने के बाद झामुमो की ओर कोई ऐसा नेता बचा होगा जो फ्रंट लाइनर की भूमिका में हो. यही सोच कर भाजपा अपने रणनीति के तहत सोरेन परिवार में बड़ी सेंधमारी करके सीता सोरेन को अपने पाले में ले गयी.
मगर सीता सोरेन पूरे चुनावी समर में केवल दुमका तक ही सीमित रहीं. अब एक जून को चुनाव समाप्त हो जाएगा. किसे, कितनी सीट मिलती है, वह भी सामने आ जाएगा. मगर एनडीए को सीटिंग 12 सीट में से चार-पांच सीट का भी नुकसान होता है तो इसका श्रेय निश्चित रूप से कल्पना सोरेन को जाना तय है. लोस चुनाव के बाद ठीक पांच महीने बाद झारखंड विधानसभा का चुनाव है. हो सकता है कि हेमंत सोरेन जेल से बाहर भी आएं. अगर झामुमो के रणनीति के हिसाब से देखें तो विधानसभा चुनाव का पिच तैयार हो चुका है. तो सवाल अब उठने लगा है कि हेमंत के जेल से बाहर आने और विधानसभा चुनाव और चुनाव के बाद हेमंत और कल्पना किस रोल होंगे. इस पर अब पूरे राज्य की नजरें टिक गयी हैं.