New Delhi : वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने दिल्ली दंगों के आरोपी उमर खालिद को जमानत नहीं मिलने की आलोचना की है. कपिल सिब्बल ने इसे अन्याय करार देते हुए कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेंगे जान लें कि दिल्ली हाईकोर्ट ने पिछले दिनों उमर खालिद और शरजील इमाम सहित 10 आरोपियों को जमानत नहीं दी थी.
 
कपिल सिब्बल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि उमर खालिद को जमानत नहीं मिलना संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है. कहा कि इस बारे मे वकील, मध्यम वर्ग और समाज खामोश हैं.  उन्होंने निराशा जताते हुए पूछा कि   भारत का लोकतंत्र किस दिशा में जा रहा है.  राजनीतिक दल इस तरह के मुद्दे उठाने से बचते रहते हैं. वे  यह सोचते हैं कि ऐसा करेंगे तो उनकी राजनीति की दुकान बंद हो जायेगी. 
इस क्रम में कपिल सिब्बल ने पूर्व  CJI डीवाई चंद्रचूड़ के उस बयान पर भी निशाना साधा,  जिसमें उन्होंने कहा था कि खालिद के वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में कम से कम सात बार सुनवाई स्थगित करने की मांग की थी.  सिब्बल के अनुसार स्पष्ट सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में केवल दो बार स्थगन की मांग की गयी थी. 
जान लें कि दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को फरवरी 2020 में दिल्ली में हुए दंगों के आरोपी उमर खालिद, शरजील इमाम समेत 10 आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी थी. इन पर यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया था. न्यायमूर्ति नवीन चावला और शालिंदर कौर की खंडपीठ ने सभी नौ आरोपियों की जमानत याचिकाएं रद्द कर दी थी.
इसके अलावा न्यायमूर्ति सुब्रमोनियम प्रसाद और न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन शंकर की पीठ ने तसलीम अहमद की याचिका खारिज कर दी थी. उमर खालिद, शरजील इमाम, मोहम्मद सलीम खान, शिफा-उर-रहमान, अतहर खान, मीरान हैदर, अब्दुल खालिद सैफी, गुलफिशा फातिमा और शादाब अहमद की जमानत याचिकाएं हाईकोर्ट में 2022 से लंबित थी.
सिब्बल ने कहा, उमर खालिद पिछले चार साल, 11 महीने से हिरासत में है. कहा कि 2022 और 2024 में दायर की गयी दो अपीलें उच्च न्यायालयों ने खारिज कर द हैं. बताया कि एक विशेष अनुमति याचिका 2023 में दायर की गयी थी, हालांकि उसे 2024 में वापस ले लिया गया था.
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