Thiruvananthapuram : केरल के सिस्टर अभया मर्डर केस मामले में लगभग 29 साल बाद फैसला आया है. दोषी करार दिये गये फादर थॉमस कोट्टुर और सिस्टर सेफी को उम्रकैद की सजा मिली है. साथ ही दोनों पर पांच-पांच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. बता दें कि दोनों को एक दिन पहले सीबीआई की विशेष अदालत ने दोषी माना था. इस मामले में 28 साल 9 महीने बाद फैसला आया. फैसला आने के बाद दोनों को जेल भेजे जाने की खबर है. दोनों के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 (हत्या) और 201 (सबूतों को नष्ट करना) के तहत केस दर्ज था. दोनों 2009 से जमानत पर बाहर थे. जान लें कि सीबीआई ने कोट्टुर और सिस्टर सेफी को इस मामले में पहला और तीसरा आरोपी बनाया था. सीबीआई ने दूसरी पादरी फादर जोस पुथरीक्कल को दूसरा आरोपी बनाया था, लेकिन कोर्ट ने सुनवाई से पहले सबूतों के अभाव में उनकी डिस्चार्ज पिटीशन स्वीकार कर ली थी.
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संगठन झुकने को तैयार नहीं, आंदोलन तेज करने का निर्णय, कहा, सरकार ठोस प्रस्ताव पेश करे, तो हम चर्चा को तैयार सिस्टर अभया फादर और नन को आपत्तिजनक स्थिति में देखा था
मामले की तह में जायें तो 19 साल की सिस्टर अभया की हत्या से पूरे केरल में सनसनी फैल गयी थी. सिस्टर अभया का शव 27 मार्च 1992 को कोट्टायम के एक कॉन्वेंट के कुएं में पाया गया था. सीबीआई के अनुसार, अभया प्री डिग्री कॉलेज छात्रा थीं. बताया गया कि उन्होंने दो पादरियों और नन सेफी को पायस कॉन्वेंट हॉस्टल के किचन में आपत्तिजनक स्थिति में देखा था. सिस्टर अभया द्वारा मामले का खुलासा कर दिये जाने के डर से कोट्टूर ने अभया का गला घोंट दिया, जबकि सेफी ने कुल्हाड़ी से उस पर वार किया. हत्या के बाद उन्होंने अभया का शव कुएं में फेंक दिया.
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अभया केस में आरोपी घटना के 16 साल बाद नवंबर 2008 में गिरफ्तार हुए थे. केस के ट्रायल के दौरान 49 अभियोजन गवाह अपने बयान से मुकरे. इनमें से अधिकतर चर्च से जुड़े थे. बता दें कि केस के मुख्य गवाहों में में शामिल अडक्का राजू का बयान सबसे महत्वपूर्ण साबित हुआ.