Kodarma: आरजेडी नेता खालीद खलील ने आरजेडी ने नाता तोड़ लिया है. आरजेडी की टिकट पर बरकट्ठा से विधानसभा चुनाव लड़ चुके खालीद खलील ने कहा कि आरजेडी ने शहाबुद्दीन की वफा का कर्ज अदा नहीं किया इससे आहत होकर वे पार्टी छोड़ रहे हैं, लेकिन देश मे साम्प्रदायिक शक्तियों और मौकापरस्त दलों से संघर्ष जारी रहेगा. बता दें कि खालीद खलील आरजेडी से पहले जेवीएम में केंद्रीय महासचिव थे. वे जेवीएम में बाबूलाल मरांडी के करीबी नेताओं में से थे. आरजेडी छोड़ने के बाद खालीद खलील ने कहा कि राजनीति में सेवा, त्याग और वफादारी मायने रखती है. लेकिन इसका फायदा उठाकर सच्चे और समर्पित लोगों को हासिए पर धकेल दिया जाता है.
शहाबुद्दीन की मौत की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए
उन्होंने कहा कि सीवान के पूर्व सांसद मो शहाबुद्दीनकी मौत सवालों को जन्म देती है. उनकी मौत के मामले में उच्चस्तरीय न्याययिक जांच होनी चाहिए. शहाबुद्दीन के लाखों करोड़ों चाहने वाले है, सबों को लग रहा है कि कोरोना काल मे गहरी साजिश रचकर उनकी हत्या की गयी है. मौत के बाद भी उनका शव सीवान नहीं लाने दिया जाना गहरा शक पैदा करता है. खालीद ने कहा कि इस पूरे प्रकरण में आरजेडी के आला नेताओं ने अपने वफादार और हमसफ़र मो शहाबुद्दीनकी वफ़ा का कर्ज अदा नही किया. मो शहाबुद्दीनकी वफादारी का जो सिला दिया गया, वो इतिहास में काला दिन बनकर उभरेगा.
पार्टी की बेरूखी याद रखी जाएगी
खालीद ने कहा कि जिस पार्टी के लिए उन्होंने अपना जीवन दिया. कार्यकर्ताओ की फौज खड़ी की. हर मोर्चे पर कठिन समय मे संकट मोचन बने रहे. लेकिन उस सख्स की अंतिम घड़ी में पार्टी के आला नेताओ की दूरी ने गहरा झटका दिया है. पार्टी की बेरुखी याद रखी जाएगी. अल्पसंख्यक, दबे, कुचले समाज को गहरा झटका लगा है. पार्टी में अब बने रहना उचित नही है. इसलिए वे आरजेडी से नाता तोड़ रहे हैं.
शहाबुद्दीन की मौत को लेकर खालीद ने उठाये सवाल
खालीद खलील ने शहाबुद्दीन की मौत को लेकर उठाये सवाल हैं. उन्होंने कहा कि आखिर जेल में रहकर शहाबुद्दीन कोरोना पॉजिटिव कैसे हुए. अगर वे कोरोना पॉजिटिव थे तो उन्हें कैदियों के बीच जेल में क्यों रखा गया? चार बार सांसद जैसे पद पर रह चुके शहाबुद्दीन को इलाज के लिए एम्स में ना भेजकर दिन दयाल उपाध्याय अस्पताल में भर्ती क्यों करवाया गया?