Washington : अमेरिका से एक अच्छी खबर आयी है. भारतीय मूल के पहले FBI (कानून प्रवर्तन एजेंसी) डायरेक्टर काश पटेल के बयान से खालिस्तानी आतंकियों में खलबली मच गयी है.
बता दें कि हाल ही में भारत के एक मोस्ट वॉन्टेड खालिस्तानी आतंकी हरप्रीत सिंह उर्फ हैप्पी पासिया को FBI ने गिरफ्तार किया है. पंजाब में सिलसिलेवार धमाकों के लिए जिम्मेदार पासिया की गिरफ्तारी भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए भी बड़ी कामयाबी मानी जा रही है.
CAPTURED: HARPREET SINGH, part of an alleged foreign terrorist gang here illegally in the United States, who we believe was involved in planning multiple attacks on police stations both in India and the United States.@FBISacramento conducted the investigation coordinating with… pic.twitter.com/JKB1dfjo2P
— FBI Director Kash Patel (@FBIDirectorKash) April 21, 2025
सूत्रों के अनुसार खालिस्तानी ग्रुप बब्बर खालसा और आईएसआई के सहयोग से महाकुंभ के दौरान हैप्पी पासिया आतंकी वारदात को अंजाम देने की कोशिश में लगा हुआ था. पंजाब में कई आतंकी वारदातों में शामिल हैप्पी पासिया पाकिस्तान की आईएसआई और खालिस्तानी ग्रुप बब्बर खालसा इंटरनेशनल के लिए काम करता है.
काश पटेल ने कहा कि हैप्पी पासिया को 18 अप्रैल को अमेरिका में FBI और अमेरिकी कस्टम अधिकारियों ने एक जॉइंट ऑपरेशन में गिरफ्तार किया था. पटेल ने एक्स पर एक पोस्ट कर कहा, हरप्रीत सिंह, अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे विदेशी आतंकवादी गिरोह का सदस्य है. ह
मारा मानना है कि वह भारत और अमेरिका दोनों जगहों पर पुलिस स्टेशनों पर कई हमलों की साजिश में शामिल था. कहा कि अमेरिकी एजेंसियों ने भारत में अपने पार्टनर्स के साथ कॉर्डिनेट करते हुए मामले की जांच की है.
काश पटेल ने कहा कि एफबीआई हिंसा करने वालों को कहीं से भी खोज लायेगी, चाहे वे कहीं भी हों. पासिया पर राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (NIA) ने भी पांच लाख का इनाम रखा था. भारत उसके प्रत्यर्पण की कोशिश में लग गया है. अमेरिका और कनाडा को भारत विरोधी खालिस्तानियों का सेफ हाउस माना जाता रहा है, लेकिन ट्रंप के आने के बाद स्थिति बदली है.
हाल में अमेरिका से मुंबई अटैक के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा के प्रत्यपर्ण और खालिस्तानी आतंकी हरप्रीत सिंह की गिरफ्तारी से लगभग तय है कि अमेरिका अब भारत के साथ मिलकर आतंक के खिलाफ सख्त कार्र्वाई करने को तैयार हैं. ट्रंप प्रशासन और FBI की भूमिका इसमें अहम मानी जा रहा है.
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