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खड़गे ने  पूछा, किन शर्तों पर सीजफायर हुआ,आतंकी पहलगाम में आये कहां से, पीएम  मोदी अहंकारी हैं

New Delhi : ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान आज राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार पर हल्ला बोला. कहा कि 2016 में उरी हमला हुआ, 2019 में पुलवामा हुआ और अब पहलगाम हमला हुआ.  

 

 

 

 

मल्लिकार्जुन खड़गे  ने कहा कि  इन वारदातों से जाहिर है कि देश की सुरक्षा में चूक हो रही है. इसके लिए कौन जिम्मेदार है?  क्या पीएम की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए यही गंभीरता है?   

 

 


कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि देश ने पहलगाम में अपनों को मरते देखा, मेहंदी वाले हाथों ने लाश उठाई. जब गृह मंत्री ने कहा कि घाटी में जीरो टेरर पॉलिसी थी तो आतंकी पहलगाम में आये कहां से?

 

 

खड़गे ने सरकार से चार सवाल पूछे. उन्होंने पूछा कि किन शर्तों पर भारत पाकिस्तान के बीच सीजफायर हुआ? पाकिस्तान के बैकफुट होने के बावजूद आपने यह सीजफायर क्यों  स्वीकार किया. पूछा कि क्या इस सीजफायर में अमेरिका का कोई दखल था? अगर हां तो किसके कहने पर और किन शर्तों पर यह हुआ.

 


कांग्रेस अध्यक्ष ने पूछा कि क्या ट्रंप ने सीजफायर कराया.  अगर हां तो क्या यह भारत की नो थर्ड पार्टी मीडिएशन पॉलिसी के खिलाफ नहीं है.क्या ट्रेड थ्रेट की वजह से सीज फायर किया गया.  प्रधानमंत्री को इसके बारे में जवाब देना चाहिए. 

 

 मल्लिकार्जुन खड़गे ने ने कहा कि 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम आतंकी हमला हुआ.  तब नेता विपक्ष राहुल गांधी   और मैंने पीएम  मोदी को पत्र लिख कर विशेष सत्र बुलाने की मांग की, लेकिन हमें इस पत्र का कोई जवाब नहीं दिया गया. खड़गे ने कहा पीएम  मोदी के अंदर इतना अंहकार है कि वह विपक्ष के पत्र का जवाब देना भी जरूरी नहीं समझते. एक दिन आयेगा, जब आपका अहंकार टूटेगा.

 

 

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि  पीएम  मोदी को लोगों के गले पड़ने की फुर्सत है, लेकिन विपक्ष के नेताओं को जवाब देने का समय नहीं है. खड़गे ने कहा कि कहा कि पहलगाम हमले से तीन दिन पहले  मोदी ने अपना दौरा रद्द कर दिया था. क्या सरकार को पहले से किसी हमले की आशंका थी?  अगर हां, तो आपने वहां पर्यटकों को क्यों जाने दिया?

 

 

खड़गे ने सरकार से पूछा कि जब हम इतने एक्टिव थे तो आईएमएफ से पाकिस्ता न को मदद कैसे मिल गयी. हमने उन्हेंक रोका क्यों नहीं. इतने लोगों से आपने दोस्ती‍ बनाई, लेकिन एक भी दोस्त ने साथ नहीं दिया. उल्टे  दूसरे पक्ष को कई लोगों ने मदद की.

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