Saraikela / Kharsawan : खरसावां वन क्षेत्र में करीब एक दर्जन जंगली हाथी पिछले एक पखवाड़े से जमे हुए हैं. शाम होते ही जंगली हाथी पास के जंगल से बाहर निकल कर धान के खेतों में पहुंच जा रहे है और फसलों को बर्बाद कर रहे हैं. बिटापुर के सोखानडीह टोला में विगत 25 अगस्त की रात खेत से लौट रहे मुकुंद उरांव (35) को एक जंगली हाथी ने सुंढ़ से उठा कर फेंक दिया. इसमें वह बाल-बाल बच गया. इस दौरान ग्रामीणों के शोर मचाने के बाद हाथी वहां से भागे. घायल मुकुंद उरांव का खरसावां सीएचसी में इलाज किया गया. विगत 16 अगस्त की रात भी जंगली हाथी ने खरसावां के विषेयगोड़ा में एक युवक की पटक कर जान ले ली थी.
वन विभाग निष्क्रिय, हाथियों को भगाने का कोई इंतजाम नहीं
हाथियों के बढ़ते उपद्रव के बावजूद भी वन क्षेत्र पदाधिकारी निष्क्रिय हैं. किसान वन विभाग के कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं, परंतु वन क्षेत्र पदाधिकारी अपने कार्य क्षेत्र से बाहर रह रहे हैं. पिछले एक सप्ताह में जंगली हाथियों ने कदमबेड़ा के मनोज उरांव, मंगल उरांव, घासिया उरांव, ललीता उरांव, गुरु चरण उरांव, काशीडीह के बाउरी महतो, काठुराम महतो व अंबिका महतो, बिटापुर के रमेश केराय, मंगल केराय, सुशील बोदरा, गंभीर महतो, धनेश्वर महतो, आसनी महतो, वीर सिंह उरांव, जगन्नाथ उरांव, छोटे सिंह उरांव, विभीषण उरांव, बहादुर महतो, अक्षय गुंजा, रायडीह के अरविंद महतो, सुखदेव महतो, जयसिंह सरदार, भिष्मा महतो आदि के खेतों में जाकर धान के पौधों को पैरों तले रौंद कर बर्बाद किया. खरसावां के ग्रामीण क्षेत्र के किसान जंगली हाथियों के उत्पात तथा किये जा रहे नुकसान को लेकर काफी चिंतित हैं. बरसात का मौसम होने के कारण हाथियों को खेतों से खदेड़ने में भी परेशानी हो रही है. हाथियों को खदेड़ने के दौरान खेत की दलदल मिट्टी में फंसने का डर बना रहता है. दूसरी ओर हाथियों को घने जंगलों की ओर खदेड़ने की दिशा में भी वन विभाग पहल नहीं कर रही है. विभागीय सुस्ती के कारण जंगली हाथी क्षेत्र में ही जमे हुए हैं. हाथियों को खदेड़ने के लिए न तो वन विभाग के कर्मी बाहर निकलते हैं और न ही हाथियों को भगाने के लिए किसी तरह का दस्ता लाया गया है. इस कारण किसानों के साथ-साथ आमलोगों में भी वन विभाग के खिलाफ काफी आक्रोश देखा जा रहा है.