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खरसावां : ...या कुंदेंदु तुषार हार धवला या शुभ्र वस्त्रावृता, बसंत पंचमी कल

Kharsawan : सरायकेला-खरसावां जिला में विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा की तैयारी पूरी कर ली गयी है. शनिवार को बसंत पंचमी के मौके पर विद्या की देवी की पूजा की जायेगी. माता सरस्वती को ज्ञान, संगीत, कला, विज्ञान और शिल्प-कला की देवी माना जाता है. पंचमी तिथि बसंत के मौसम के आगमन का संकेत भी देता है. सरायकेला-खरसावां जिला में शनिवार को मां सरस्वती की प्रतिमा स्थापित कर पूजा अर्चना की जायेगी. लोग दुकानों से मां सरस्वती की प्रतिमा अपने घर ले जा रहे हैं. बाजार में पांच सौ रुपये से लेकर तीन हजार रुपये तक की प्रतिमा बिक रही हैं. मूर्तिकारों ने अपनी कल्पनाओं के जरिये मां शारदे की मूर्तियों को विभिन्न तरह की थीम पर सजा कर आकर्षित किया है. मां शारदे कहीं हंस पर सवार हैं, तो कहीं वीणा-पुस्तक धारण की हुई हैं. किसी प्रतिमा में मां को प्रकृति से जोड़ते हुए पेड़-पौधों के बीच दिखाया गया है. जितनी कल्पना उतनी प्रतिमा.

बाजार में शृंगार सामग्री की भी बिक्री

बाजार में मां सरस्वती की शृंगार सामग्री की भी जम कर बिक्री हुई. पूजन सामग्री में विद्या की देवी के लिए सबसे महत्वपूर्ण कलम-दवात की मांग अधिक रही. वहीं मौली (कच्चे धागे), छोटे-छोटे बोतल में गंगाजल, मधु, गाय घी, अगरबत्ती, कपूर, जनेऊ, जौ, तिल, चावल, धान जैसी सामग्री मिल रही है. बड़ी संख्या में लोगों ने प्रसाद चढ़ाने के लिये फलों के साथ-साथ बुंदिया व लड्डू की खरीदारी की.

सरस्वती पूजा पर पढ़ाई शुरू करने का है प्रचलन

क्षेत्र में सरस्वती पूजा पर पढ़ाई शुरू करने का प्रचलन है. बड़ी संख्या में लोग अपने छोटे-छोटे बच्चों का सरस्वती पूजा पर विद्यारंभ कराते हैं. बसंत पंचमी का दिन विद्या आरम्भ या अक्षर अभ्यास के लिये काफी शुभ माना जाता है, इसीलिये माता-पिता इस दिन शिशु को माता सरस्वती के आशीर्वाद के साथ विद्या आरम्भ कराते हैं. इसमें मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष चॉक व स्लेट ले कर पूजा की जाती है. इसके बाद बच्चों को लिखवाना शुरू किया जाता है. इस वर्ष भी सरस्वती पूजा पर बच्चे विद्यारंभ करेंगे. मान्यता है कि सरस्वती मां की पूजा करने से अज्ञानी व्यक्ति भी ज्ञानी बन जाता है. इनकी आराधना करने से व्यक्ति को हर प्रकार का ज्ञान, कला, संगीत और वाणी का वरदान मिलता है. क्षेत्र में मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन राशि अनुसार अलग-अलग रंग की कलम मां सरस्वती को चढ़ाने से विद्या की अधिक प्राप्ति होती है. लोग ज्ञान प्राप्ति और सुस्ती, आलस्य एवं अज्ञानता से छुटकारा पाने के लिये, बंसत पंचमी के दिन देवी सरस्वती की उपासना करते हैं.

बसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त

माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि शनिवार को सुबह 03 बजकर 47 मिनट से प्रारंभ होगी, जो अगले दिन रविवार को सुबह 03 बजकर 46 मिनट तक रहेगी. बसंत पंचमी की पूजा सूर्योदय के बाद और पूर्वाह्न से पहले की जाती है. [wpse_comments_template]

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