Kharsawan : इंडियन हैबिटैट सेंटर, नई दिल्ली में आयोजित “जनजातीय शिक्षा की स्थिति और नयी शिक्षा नीति” पर आयोजित संवाद कार्यक्रम को केंद्रीय जनजातीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने संबोधित किया. अर्जुन मुंडा ने कहा कि जनजातीय समुदाय में शिक्षा के प्रति जागरुकता लाने के लिए समाज की सहभागिता सुनिश्चित करनी होगी. इस कार्य में समाज के शिक्षित युवा पीढ़ी को आगे आना होगा. युवा वर्ग गांव के सरकारी प्राइमरी स्कूलों में अपने समय की उपलब्धता के अनुसार बच्चों को शिक्षा प्रदान करें. मुंडा ने कहा कि यह कार्यक्रम हम सबके लिए संकल्प बने जहां हमारा लक्ष्य संपूर्ण जनजातीय समाज को ज्ञान-विज्ञान आधारित शिक्षित बनाना हो.
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जन्म से लेकर मृत्यु संस्कार तक उसकी पहचान है
हमारे धर्म ग्रंथों में हमारे पूर्वजों के हथियार तीर धनुष ही थे. आज हजारों साल बाद भी जनजातीय समाज ही है,जो तीर धनुष के विरासत के साथ है. जो जन्म से लेकर मृत्यु संस्कार तक उसकी पहचान है. आज़ादी के आंदोलन में जनजातीय समाज पीछे नहीं था. लेकिन उनके योगदान की बातें इतिहास में सामने नहीं आई. शोध के जरिये वह समाज के सामने आने चाहिए ताकि उनके योगदान को लोग जान सकें.
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विरासत और संस्कृति के संरक्षण पर ध्यान केंद्रित किया
अर्जुन मुंडा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि भारत तभी समृद्ध होगा जब हमारा जनजातीय समुदाय समृद्ध होंगा . भारत सरकार ने उनके ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए अपने समृद्ध आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण में जनजातियों के विकास और उनकी विरासत और संस्कृति के संरक्षण पर ध्यान केंद्रित किया है. यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि ‘आत्मनिर्भर आदिवासी’ “आत्मनिर्भर भारत” की अवधारणा का ही प्रतीक है. कार्यक्रम में वी.सतीश, आयोग के अध्यक्ष हर्ष चौहान, सदस्य अनंत नायक और पद्मश्री से सम्मानित महेश शर्मा सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थिति थे.