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पुंदाग मौजा का खाता नं 383 : सीओ-एलएआरडीसी ने कहा-भूमि गैरमजरुआ, तथ्य की अनदेखी कर डीसी ने सुनाया फैसला-नामांतरण करो

Vinit Abha Upadhyay Ranchi : पुंदाग मौजा, खाता नंबर 383 के जिस भूखंड की रसीद काटी गयी है, उसमे नए तथ्य सामने आए हैं. रांची के डीसी राहुल कुमार सिन्हा के आदेश पर जमीन का नामांतरण एक साथ लगभग 60 साल की रसीद काट दी गयी है. उपायुक्त सिन्हा ने नगड़ी के अंचलाधिकारी (सीओ) और रांची के एलआरडीसी (भूमि उपसमाहर्ता) के आदेश (वाद संख्या 82 आर-15/2012/13) को दरकिनार कर 10.50 एकड़ भूमि की जमाबंदी लाल यशवंत नाथ शाहदेव और लाल हेमंत नाथ शाहदेव के नाम पर करने का आदेश दिया है. हालांकि उपायुक्त के आदेश पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है, लेकिन जमीन हस्तांतरण.में हुए खेल की सच्चाई परत दर परत समाने आ रही है.

पूर्व से जमाबंदी कायम करने और लगान वसूली का कोई आधार नहीं

नगड़ी सीओ और रांची एलआरडीसी ने अपने आदेश में कहा है कि "यह भूमि गैरमजरुआ खाते की है, पंजी 2 में लाल महेश्वर नाथ शाहदेव के नाम से जमाबंदी कायम है, लेकिन जमाबंदी कायम करने और लगान वसूली का कोई आधार नहीं दिया गया है. इतना ही नहीं अपने आदेश में तत्कालीन एलआरडीसी ने यह भी लिखा था कि भूतपूर्व जमींदार लाल महेश्वर नाथ शाहदेव को बिहार भूमि सुधार अधिनियम 1950 के प्रावधानों का उल्लंघन कर गैरमजरुआ मालिक भूमि की बंदोबस्ती की गयी थी. ये वजहें बताते हुए नगड़ी सीओ ने भी नामांतरण के दावे को खारिज कर दिया था और नगड़ी सीओ के आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं बनता है".

1955-56 से वर्ष 2022-23 तक की रसीद काटी गयी

राजधानी रांची के पुंदाग मौजा के खाता नं 383 की जिस 10 एकड़ 50 डिसमिल भूमि की जमाबंदी का आदेश उपायुक्त राहुल सिन्हा ने दिया, आनन-फानन में उसकी जमाबंदी लाल यशवंत नाथ शाहदेव और लाल हेमंत नाथ शाहदेव के नाम पर कर दी गयी. नगड़ी अंचल के अंचल अधिकारी ने डीसी कोर्ट में दाखिल- खारिज पुनरीक्षण (रिवीजन) वाद का फैसला आने के बाद वर्ष 1955-56 से लेकर वर्ष 2022-23 तक यानि करीब 60 साल से ज्यादा समय का लगान रसीद एकसाथ काट दिया है. हालांकि इस मामले में हाईकोर्ट स्टे लगा चुका है.

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