Search

संत मेरी कैथेड्रल में हुई ख्रीस्मा मिस्सा, ईस्टर को लेकर जारी की गई गाइडलाइन

Ranchi :  ईस्टर">https://en.wikipedia.org/wiki/Easter">ईस्टर

के चार दिन पूर्व डॉ. कामिल बुल्के पथ स्थित संत मेरी कैथेड्रल चर्च में मंगलवार को ख्रीस्मा मिस्सा हुई. धर्माध्यक्ष फेलिक्स टोप्पो ने बिशप थिओडोर मस्करेंहस और फादर सेबेस्टियन तिर्की रांची धर्मप्रांत में कार्यरत पुरोहितों और धर्म-बहनों के साथ-साथ ख्रीस्मा मिस्सा व पवित्र तेलों की आशिष किया गया. इस मौके पर बिशप फेलिक्स टोप्पो ने कहा कि ख्रीस्मा का मिस्सा एक ऐसा विशिष्ट अवसर है, जब धर्मप्रांत विशेष के बिशप और पुरोहितगण अपने आध्यात्मिक और मानवीय अनन्य संबंध का समारोही अनुष्ठान करते हैं. इसके साथ ही इस मिस्सा में पुरोहितों कलीसिया की धर्मसेवा करने के अपने समर्पण को ईश्वरीय प्रजा के समक्ष दुहराते हैं और इस मिस्सा में प्राचीन रिवाज के अनुसार बीमारों और दीक्षार्थियों का ख्रीस्मा तेलों से आशिष किया जाता है. उन्होंने उपदेश दिया कि ‘ईश्वर और उसके पुत्र येशु ने ख्रीस्त ने, हसारी कल्पना से परे, हमारे अयोग्य होते हुए भी हमें अपार मान- मर्यादा, प्रतिष्ठा और महिमा दी है. हमें चाहिए कि हम नम्र और दीन हृदय से ईश्वर को जीवन के हर क्षण में धन्यवाद दें.’ इसे भी पढ़ें : अतिक्रमण">https://lagatar.in/the-shopkeeper-who-went-to-remove-the-encroachment-got-entangled-with-the-police-amba-prasad-publicly-listened-to-the-in-charge-of-the-station/43643/">अतिक्रमण

हटाने गयी पुलिस से उलझे दुकानदार, अंबा प्रसाद ने थाना प्रभारी को सरेआम सुनाई खरी-खोटी

ख्रीस्तयोग तीन भाग में संपन्न किया गया 

1.शब्द-समारोह 2.पुरोहितों द्वारा पुरोहिताई समर्पण का नवीनीकरण 3.तीन पवित्र तेलों की आशिष पहला तेल दीक्षार्थियों का तेल- इस तेल के अभ्यंजन द्वारा नवदीक्षितों को बपतिस्मा दिया जाता है. दूसरा तेल  बीमारों का तेल- इस तेल का प्रयोग और अभ्यंजन द्वारा बीमारों को चंगा किया जाता है, ताकि उन्हें ईश्वरीय शक्ति, धीरज और सांत्वना मिले. तीसरा तेल पवित्र विलेपन का तेल- इस पवित्र तेल का प्रयोग और अभ्यंजन पुरोहित-अभिषेक और दृढ़ीकरण संस्कार के उम्मीदवारों को, अभ्यंजित किया जाता है. यह पवित्र विलेपन, नए गिरजाघरों की बेदी, या पात्रों के अभ्यंजन के लिए किया जाता है.

ईस्टर पर गिरजाघरों में गाइडलाइन के तहत होगा कार्यक्रम

4 अप्रैल 2021 ईस्टर के साथ ही खत्म हो जाएगा. रांची में भी इस वर्ष ईस्टर पर कोरोना का कहर देखने को मिलेगा. पिछले वर्ष कोरोना और लॉकडाउन के कारण दुनियाभर के गिरजाघरों में पुरोहितों ने बिना विश्वासिय़ों के गुड फ्राइडे और ईस्टर का मिस्सा-आराधना की थी. इस वर्ष भी रांची के गिरजाघरों में कोविड 19 से बचाव के गाइडलाइन का पालन करते हुए पर्व मनाया जाएगा.

लाइव टेलिकास्ट मिस्सा में शामिल होने की अपील

रांची महाधर्मप्रांत के सहायक बिशप थियोदोर मस्करेंहस ने बताया कि इस पवित्र सप्ताह पर होने वाली हर मिस्सा-आराधना में सरकार द्वारा जारी सभी गाइडलाइन्स का पूर्ण रूप से पालन करने का प्रयास किया जा रहा है. पहले ईस्टर पर लोयोला मैदान में काफी बड़े स्तर पर मिस्सा कार्यक्रम होता था. कोरोना के बढ़ते मामलों और दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए अब इसे गिरजाघरों में ही किया जाएगा. चर्चों में लोगों को थर्मल स्कैंनिंग और सैनिटाइजेशन के बाद ही प्रवेश दिया जाएगा. भीड़ कम से कम करने की कोशिश होगी. इसके साथ ही मिस्सा के दौरान भी लोगों का आपस में कम से कम संपर्क बने इसके लिए भी उचित प्रबंधन किए गए है. इसके अलावा जो लोग बीमार, बुजुर्ग और गिरजाघर आने में असमर्थ हैं, उनके लिए विशेष लाइव टेलिकास्ट मिस्सा का आयोजन किया जा रहा है.

ईस्टर पर्व का है खास महत्व

रांची महाधर्मप्रांत के सचिव फादर सुशील टोप्पो ने बताया कि इस समय विश्वासी येशु ख्रीस्त के दुखभोग, प्रेम, मृत्यु और फिर से जी उठने की घटना को याद करते हैं. इस पूरे सप्ताह में पांच दिन विशेष होते हैं - पाम संडे, पवित्र गुरुवार, गुड फ्राइडे, पास्का जागरण और ईस्टर.
  • पाम संडे - पाम संडे या खजूर रविवार येशु के येरुसलेम में प्रवेश की घटना, दुखभोग और मृत्यु को याद करते हैं. विश्वासी उनका स्वागत खजूर के पत्ते और कपड़े बिछा कर करते हैं.
  • पवित्र गुरुवार - पवित्र गुरुवार को विश्वासी प्रभु येशु के अंतिम ब्यारी की तीन घटनाओं को याद करते हैं. पहला – येशु ने अपने शिष्यों के पैर धोकर प्रेम, नम्रता और सेवा का उदाहरण दिया. दूसरा- मानव प्रेम के लिए उन्होंने भोज के रूप में अपना शरीर और रक्त दिया. तीसरा– येशु ने अपने चेलों को आज्ञा देकर पवित्र पुरोहिताई की स्थापना की.
  • गुड फ्राइडे – कलीसिया शुक्रवार को मसीह के दुखभोग और मृत्यु का स्मरण करती है. इस दिन मिस्सा नहीं होता है. केवल प्रभु के दुखभोग का समारोह संपन्न किया जाता है.
  • पास्का जागरण - पास्का जागरण की धर्मविधि रात में होती है. इस रात की धर्म-विधि पास्का मोमबत्ती जलाकर होती है. इसमें विश्वासी ईश्वर द्वारा किए गए चमत्कारो पर मनन–चिंतन, उसके वचनों और प्रतिज्ञाओं को याद करती है.
  • ईस्टर – ईस्टर प्रभु का पुनरुत्थान रविवार से भी जाना जाता है, क्योंकि आज के दिन प्रभु येशु मर कर वापस जी उठे थे.
https://lagatar.in/coroner-scare-in-chhattisgarh-government-considering-lockdown/43613/

https://lagatar.in/instructions-for-corona-investigation-of-employees-of-restaurant-and-big-shops-and-students-of-school-and-college/43635/

Comments

Leave a Comment

Follow us on WhatsApp