पुलिस को मदद करना उसको भारी पड़ा था
विमल लोहरा ने बताया कि पुलिस को मदद करना उसको भारी पड़ा. बताया कि एक दिन पुलिस की पार्टी गांव की ओर गयी थी. उसी समय पुलिस की बाईक खराब हो गयी थी और विमल ने पुलिस वालों की मदद की थी. इसकी जानकारी नक्सलियों को हुई, तो उस पर पुलिस मुखबिरी का आरोप लगा कर मारा-पीटा गया. घर से अगवा कर कई महीनों तक नक्सलियों साथ रखा. विमल लोहरा को कुंदन पाहन ने संगठन विस्तार का जिम्मा सौंपा था. उसे एरिया कमांडर का दर्जा मिला था. उसने बताया कि हाल के दिनों में नक्सली संगठन सिर्फ लेवी वसूली और शोषण का काम करने लगे हैं, जिससे क्षुब्ध होकर उसने संगठन छोड़ दिया और चोरी छिपे अपने घर आने- जाने लगा. इसी बीच सायको थानेदार नरसिंह मुंडा के बारे सुना. उनसे संपर्क कर आत्मसमर्पण करने की इच्छा जतायी. इसे भी पढ़ें – आय">https://lagatar.in/disproportionate-assets-case-decision-on-bandhu-tirkey-on-28-in-cbi-court-cbi-has-presented-21-witnesses-information-about-income-and-expenditure-and-assets/">आयसे अधिक संपत्ति मामला : बंधु तिर्की पर 28 को CBI कोर्ट में फैसला, CBI ने पेश किये हैं 21 गवाह, आय-व्यय और संपत्ति की जानकारी [wpse_comments_template]

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