- प्राचार्य कमरा के बाहर शिकायत करने वाले बारहवीं पास छात्र-छात्राएं.
- प्राचार्य की टेबल पर रखे प्रमाण पत्र.
- पैसा लेकर छात्र-छात्राओं को प्रमाण पत्र देते तस्वीर.
- मामला प्रोजेक्ट प्लस-टू उच्च विद्यालय, मेघाहातुबुरु का मामला
- जिसे पैसे नहीं देना वह चाईबासा जाकर प्रमाण पत्र ले: प्राचार्य
Kiriburu (Sailesh Singh) : जिस राज्य में प्रमाण पत्र के लिये विद्यार्थियों से खुलेआम डंके की चोट पर पैसे लिये जाते हों वहां शिक्षा व्यवस्था का फिर भगवान ही मालिक है. मामला प्रोजेक्ट प्लस-टू उच्च विद्यालय, मेघाहातुबुरु समेत पश्चिमी सिंहभूम जिले की अन्य स्कूलों का है. खुद स्कूल की प्राचार्य ही पैसा लेने की बात स्वीकार करते हुए शिक्षा व्यवस्था की पोल खोलते नजर आई. यहां झारखंंड एकेडमिक काउंसिल इंटरमीडिएट परीक्षा-2024 में उतीर्ण विद्यार्थियों से प्रोविजनल सर्टिफिकेट, आचरण प्रमाण पत्र, विद्यालय परित्याग प्रमाण पत्र देने के एवज में 300-300 रुपये खुलेआम लिये जा रहे हैं. इसके एवज में कोई रसीद भी नहीं दी जा रही. इस संबंध में प्राचार्य सरिता नूपुर कोड़ा से बात करने पर उन्होंने साफ कहा कि शिक्षा विभाग हमें प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं कराता. स्टेशनरी प्रिंट करवाने में खर्च होता है.
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इस समस्या से त्रस्त 12वीं पास बासु करुवा समेत अनेक विद्यार्थी, जो आज विद्यालय में उक्त प्रमाण पत्र लेने गये थे, ने शुभम संदेश/लगातार न्यूज को फोन कर इस घटना की जानकारी दी और विद्यालय बुलायास्कूल के इस डिमांड से प्राचार्य का खिलाफ अभिभावकों के बीच भारी आक्रोश है. कई गरीब छात्र-छात्राएं नक्सल प्रभावित सारंडा के सुदूरवर्ती करमपदा, नवागांव, भनगांव, थोलकोबाद आदि क्षेत्र के हैं जो मजबूरीवश 300-300 रुपये देकर जरूरी प्रमाण लेते नजर आये. क्योंकि उन्हें दूसरे कालेज में नामांकन कराकर अपनी आगे की शिक्षा जारी कर अपना भविष्य बनाना है. वहीं कुछ अत्यंत गरीब छात्र-छात्राएं जो पैसा देने में अक्षम होने के बावजूद कर्ज लेकर पैसा देना चाहते हैं वे जरूरी सरकारी रसीद की मांग कर रहे हैं. लेकिन प्राचार्य रसीद देने को तैयार नहीं है. ऐसे बच्चों के अन्य कालेज में नामांकन की संभावना व भविष्य अंधकारमय तथा धूमिल होता नजर आ रहा है.
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गौरतलब है कि इस वर्ष प्रोजेक्ट प्लस-टू उच्च विद्यालय मेघाहातुबुरु से 12वीं परीक्षा में 54 बच्चे शामिल हुये थे. इसमें से 15 बच्चे प्रथम श्रेणी, 33 बच्चे द्वितीय, एक बच्चा तृतीय श्रेणी से पास हुए. 4 बच्चे फेल एवं एक अनुपस्थित रहे. आरोप है कि विद्यालय की नयी प्राचार्य अपने सहकर्मी शिक्षक-शिक्षिकाओं की भी बात नहीं सुनती, बल्कि सारे नियमों को ताक पर रखकर काम करती हैं.
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बिना पैसा लिये हम प्रमाण पत्र नहीं देंगे: प्राचार्य
जब प्राचार्य सरिता नूपुर कोड़ा से छात्र-छात्राओं के सामने उनकी समस्याओं पर बात की गई तो उन्होंने स्वीकार किया कि वह प्रत्येक छात्र-छात्राओं से 300-300 रुपये ले रही हैं. जो नहीं दे रहा है उसको प्रमाण पत्र नहीं दे रही हूं. यह सिर्फ हम नहीं कर रहे हैं, बल्कि बडा़जामदा, नोवामुण्डी आदि पश्चिम सिंहभूम जिले के सभी विद्यालय कर रहे हैं. आप दूसरे विद्यालय में जाकर पता कर लें कि क्या वहां नहीं लिया जा रहा है! एक सवाल पर उन्होंने कहा कि पैसा लेने के एवज में हम कोई रसीद नहीं दे रहे हैं. हमारे पास रसीद नहीं है. सरकार व शिक्षा विभाग जब रसीद देगा तो हम देंगे. प्राचार्य ने कहा कि यह पैसा हम इसलिये ले रहे हैं क्योंकि उक्त तमाम प्रमाण पत्र हम सेल की मेघाहातुबुरु खदान प्रबंधन द्वारा संचालित सौभाग्य महिला स्वरोजगार केन्द्र में प्रिंट करवाते हैं.
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इसके एवज में हमारा पैसा खर्च होता है. सरकार का शिक्षा विभाग यह प्रमाण पत्र हमारे पास नहीं भेजता है. इसके अलावे हमें जिला मुख्यालय, चाईबासा में बैठक हेतु हमेशा आना-जाना पड़ता है, कुछ जरूरी कागजात वहां से लाना पड़ता है. इसके एवज में सरकार अथवा शिक्षा विभाग हमें यात्रा भत्ता नहीं देती है. हम बिना पैसा लिये उक्त प्रमाण पत्र छात्र-छात्राओं को नहीं देंगे. जो पैसा नहीं देगा वह चाईबासा जाकर स्वयं प्रमाण पत्र ले. प्राचार्या ने ही बताया कि स्कूल के एक छात्र कुंदन मूर्ति ने आज तक पैसा नहीं दिया जिस कारण उसका सर्टिफिकेट पिछले 2-3 साल से चाईबासा से नहीं आया है. वह परेशान है, उसका प्रमाण पत्र आज तक नहीं मिला है. वह कई बार चक्कर लगा चुका है. यह मेरी प्रॉब्लम नहीं है. बिना पैसा लिये हम प्रमाण पत्र नहीं देंगे.
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