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केयू की सीनेट सदस्य के लिये वीमेंस कॉलेज से डॉ. मनीषा निर्विरोध निर्वाचित
रांगरिंग, नुईयागड़ा व बोड़दाभट्ठी गांव के बच्चे पैदल जाते हैं स्कूल
[caption id="attachment_255403" align="aligncenter" width="169"]alt="" width="169" height="300" /> पहाड़ और जंगल से होकर पैदल स्कूल जाते बच्चे.[/caption] सारंडा के रांगरिंग, नुईयागड़ा औरव बोड़दाभठ्ठी गांव के लगभग 43 आदिवासी छात्र-छात्रायें आज भी लगभग 12 किलोमीटर पैदल जंगल व ऊंची पहाड़ को चढ़कर किरीबुरु-मेघाहातुबुरु स्थित स्कूलों में पढ़ने आते और पैदल ही गांव लौटते हैं. इन 43 बच्चों में वर्ग 1 से 8 तक के बच्चे शामिल हैं. उक्त तीनों गांवों से किरीबुरु-मेघाहातुबुरु स्थित स्कूलों तक आने-जाने हेतु यातायात की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है. इसे भी पढ़ें : तमाड़">https://lagatar.in/tamad-a-fire-broke-out-in-the-barn-during-the-elephant-extermination-the-chaos/">तमाड़
: हाथी भगाने के दौरान खलीहान में लगी आग. मची अफरा तफरी
डोमन सुबह साढ़े तीन बजे उठकर सभी बच्चों को जगाता है स्कूल जाने के लिए
alt="" width="300" height="154" /> बोड़दाभट्ठी गांव का छात्र डोमन पूर्ति जो उत्क्रमित उच्च विद्यालय किरीबुरु के छठी कक्षा का छात्र है. उसने बताया कि उसके गांव से स्कूल की दूरी लगभग 12 किलोमीटर है. वह सुबह लगभग साढे़ तीन बजे उठकर गांव के सारे बच्चों को उठाकर स्कूल जाने के लिये तैयार कराता है. उसके बाद गांव से सुबह 5 बजे स्कूल के लिये सारे बच्चों के साथ पैदल घने जंगल व ऊंची पहाड़ी को पार कर लगभग 9 किलोमीटर दूर (आना-जाना 18 किलोमीटर) सेल की मेघाहातुबुरु खदान के कुमडीह मोड़ के पास पहुंचता है. वहां से सेल की बस में सवार होकर मेघाहातुबुरु शहर पहुंचता है. वहां से पैदल स्कूल सुबह 8 बजे पहुंचता है. स्कूल से दोपहर दो बजे छुट्टी होने के बाद उसी तरह पैदल वापस अपने गांव शाम 5 बजे लौटता है. उसने बताया कि बस नहीं मिलने से सभी एक साथ लगभग 24 किलोमीटर पैदल आना व जाना करते हैं. कभी-कभी जंगली जानवर रास्ते में होने की जानकारी मिलने पर वे बीच रास्ते से वापस अपने-अपने गांव लौट जाते हैं. ऐसा ही हाल बोड़दाभट्ठी, नुईयागड़ा व रांगरिंग गांव के बच्चों के साथ है, क्योंकि सभी एक साथ पैदल स्कूल आते हैं. इसे भी पढ़ें : जमशेदपुर">https://lagatar.in/hfhf-jamshedpur-gudabandha-police-caught-cattle-smuggler-from-dhalbhumgarh-dulki-was-absconding-for-8-months/">जमशेदपुर
: गुड़ाबंधा पुलिस ने पशु तस्कर को धालभूमगढ़ दुलकी से दबोचा, 8 माह से था फरार
पिछले माह से 100 बच्चे भी नहीं जा पा रहे स्कूल
alt="" width="350" height="250" /> दूसरी ओर, सारंडा के थोलकोबाद, धर्नादिरी, चेरवालोर, जम्बईबुरु, करमपदा, नवागांव, भनगांव आदि गांवों के लगभग 100 बच्चे भी पिछले एक माह से स्कूल जाने से वंचित हैं. करमपदा निवासी छात्रा अल्विना तिर्की व अन्य ने बताया की सेल प्रबंधन हमारे गांवों के बच्चों को गांव से स्कूल तक लाने व ले जाने के लिए दो बस उपलब्ध कराई थी, लेकिन स्कूल खुलने के बाद से दोनों बसें बंद हैं. इस कारण लगभग सारंडा के 100 छात्र-छात्रायें स्कूल जाने से वंचित हैं. गांव के कुछ बच्चे मार्च में होने वाली बोर्ड परीक्षा के मद्देनजर किरीबुरु स्थित अपने-अपने रिश्तेदारों के यहां रहकर पढ़ रहे हैं.
मार्च में बोर्ड परीक्षा है : प्रधानाध्यापक
[caption id="attachment_255396" align="aligncenter" width="350"]alt="" width="350" height="250" /> फ्रांसिंस लोम्गा.[/caption] उत्क्रमित उच्च विद्यालय किरीबुरु के प्रधानाध्यापक मो. आलम ने बताया कि मार्च में बोर्ड की परीक्षा है. सारंडा के दर्जनों बच्चे जो परीक्षा में शामिल होंगे व स्कूल बस के अभाव में पढ़ने नहीं आ रहे हैं. यह चिंता का विषय है. उन्होंने कहा कि सेल प्रबंधन से इस समस्या को दूर करने का आग्रह किया गया है, लेकिन अभी समस्या दूर नहीं हो रही है. सारंडा के गांवों में बच्चों को एस्पायर संस्था की ओर से पढ़ाने का कार्य करने वाले फ्रांसीस लोम्गा ने बताया कि वह बोड़दाभट्ठी, रांगरिंग, नुईयागड़ा गांव के बच्चों के लिये स्कूल बस उपलब्ध कराने के लिए सेल की मेघाहातुबुरु खदान के सीएसआर अधिकारी श्रीराम से मुलाकात कर आग्रह किया था. लेकिन उन्होंने कहा कि वह सभी इन्क्रोचमेंट गांव है. वहां के लिये कोई सुविधा उपलब्ध नहीं करा सकते हैं.