Kiriburu (Shailesh Singh) : पश्चिम सिंहभूम जिले के तमाम अनुमंडल व प्रखंडों के दर्जनों पंचायत, खासकर सारंडा व चाईबासा वन प्रमंडल के सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्र के लोग शुद्ध पेयजल की समस्या से जूझ रहे हैं. ग्रामीणों की इस समस्या को दूर करने में पेयजल विभाग पूरी तरह से असफल साबित हो रही है. यह समस्या नव निर्वाचित जिला परिषद सदस्यों, पंचायत प्रतिनिधियों, पेयजल विभाग के अधिकारियों व जन प्रतिनिधियों के लिये सबसे बड़ी समस्या व चुनौती बनी हुई है. नोवामुंडी भाग-एक की जिला परिषद सदस्य (पार्षद) देवकी कुमारी ने बताया कि गर्मी के मौसम के दौरान से ही दूधबिला, दिरीबुरु, बड़ाजामदा, कोटगढ़ आदि विभिन्न पंचायतों के ग्रामीण अपने-अपने गांव के खराब चापाकल की वजह से पेयजल समस्या से जूझ रहे हैं. लेकिन बरसात के मौसम में यह समस्या और बढ़ गई है.
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सांसद व डीडीसी के अलावा कई अधिकारियों को कराया गया समस्या से अवगत
उन्होंने कहा कि गर्मी में ग्रामीण नदी-नालों में चुआं बनाकर कुछ साफ पानी भी ले पाते थे. लेकिन अब बरसात में उक्त सभी नदी-नालों का पानी लाल व प्रदूषित हो गया है, जहां चुआं भी नहीं बना सकते. जिस वजह से वह दूषित पानी पीकर बीमार होने को मजबूर हैं. उन्होंने बताया कि पश्चिम सिंहभूम के तमाम जिला परिषद के सदस्यों ने पिछले दिनों सांसद गीता कोड़ा व डीडीसी के अलावा विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ इस समस्या के समाधान हेतु बैठक की थी. इसके अलावा पीएचडी विभाग से निरंतर शिकायत भी की जा रही है. लेकिन विभाग के उच्च अधिकारी चापाकल ठीक करने वाले मिस्त्री, पाइप अथवा तमाम संसाधन विभाग के पास नहीं होने की बात कह हाथ खड़ा कर दे रहे हैं.
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शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने में जिला प्रशासन फेल
जिप सदस्य ने कहा कि जब विभाग के निचले अधिकारी को पाइप, समान, मिस्त्री व संसाधन ही नहीं मिलेगा तो वह इस समस्या को कैसे दूर करेंगे. विभाग ने पूर्व में भी अपना व्हाट्सऐप नंबर जारी किया था की इस नंबर पर खराब चापाकल की शिकायत करने पर तत्काल शिकायत को दूर किया जायेगा. लेकिन सब झूठा साबित हो रहा है. जिला प्रशासन का पहला दायित्व है कि वह सबसे जरूरी शुद्ध पेयजल की सुविधा ग्रामीणों को उपलब्ध कराये, लेकिन उसमें भी वह फेल हो रही है. ऐसे में सरकार अथवा विभाग के साथ-साथ हम जनप्रतिनिधि ग्रामीणों की इन समस्याओं को कैसे दूर करेंगे.
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विभाग के पास नहीं है एक ईंच भी नई पाइप
विदित हो कि बीते दिनों पेयजल एवं स्वच्छता विभाग, चाईबासा के एसडीओ प्रभु दयाल मंडल ने भी कहा था कि विभाग के पास वर्तमान समय में एक ईंच भी नई पाइप उपलब्ध नहीं है. ऐसी स्थिति में जिले के विभिन्न पंचायतों के अंतर्गत आने वाले गांवों के खराब चापाकल को फिलहाल ठीक कर पाना संभव नहीं है. उन्होंने कहा था कि चापाकल जहां खराब है, उसकी सूची अथवा शिकायत भेजिए हम ठीक करने की कोशिश करेंगे. हालांकि, यह जरूरी नहीं कि वह ठीक हो ही जाए. अगर चापाकल का पाइप सड़ा होगा तो हम ट्यूब बांध कर ठीक करने की कोशिश करेंगे. अगर इससे भी ठीक नहीं हुआ तो हम कुछ नहीं कर सकते हैं. क्योंकि, हमारे पास एक ईंच भी नई पाइप नहीं है.
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14-15वें वित्त आयोग से बने जलमीनार को नहीं कर सकते ठीक
उन्होंने कहा था कि सरकार जब नया पाइप का टेंडर करेगी और हमारे पास नया पाइप आयेगा तब हम पाइप बदलेंगे. साथ ही जो चापाकल बनाने के लिये खोले जायेंगे और वह डेड पाया गया अर्थात बोरिंग भरा होगा तो उसे भी हम रिपेयर नहीं कर पायेंगे. उसे स्पेशल रिपेयर की सूची में डाला जाएगा, जिसे बनाने का टारगेट जून-जुलाई में आयेगा. इसके बाद ही टेंडर कर रिपेयर करेंगे. लेकिन जिस चापाकल में सिलेंडर, चैन, नट जैसी छोटी-मोटी खराबी है, उसे ही ठीक किया जा सकता है. उन्होंने बताया था कि मुखिया द्वारा भी अपने-अपने पंचायतों में जितने भी सोलर चालित जलमीनार लगाये गए हैं, वह सब खराब है. उसे ठीक करने के लिये काफी शिकायतें हमारे पास आ रहीं है. लेकिन हम यही कह रहे हैं कि वह 14-15वें वित्त आयोग से बना है, जिसे हम ठीक नहीं कर सकते हैं. इसका जबाब उपायुक्त व डीपीआरओ ही दे सकते हैं कि यह किस एजेंसी से और कैसे बना, क्या खराबी है और कैसे ठीक होगा.
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