Shailesh Singh Kiriburu : सारंडा के कुमडीह गांव के ग्रामीणों को क्या पता था कि भ्रष्टाचार की बुनियाद पर प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत आरोहण कंस्ट्रक्शन कंपनी ने सड़क बनाई है. अत्यंत नक्सल प्रभावित सारंडा के कोलायबुरु से कुमडीह गांव तक बनायी गयी लगभग साढे़ बारह किलोमीटर लंबी सड़क आज ग्रामीणों के लिये जानलेवा साबित हो गई. आक्रोशित ग्रामीणों ने वर्ष-2019 से ही इस घटिया सड़क का निर्माण कार्य का विरोध करते हुये और सड़क दिखाते हुये कहा था कि किसने ऐसे ठेकेदार को सड़क बनाने का लाईसेंस एंव सड़क निर्माण की देखरेख करने वाले अधिकारियों को इंजीनियरिंग का प्रमाण पत्र दिया है. इससे अच्छा तो किसी गदहे को दिया होता तो शायद वह इससे अच्छी सड़क बनाता. ग्रामीणों ने पथ निर्माण विभाग व सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुये कहा था कि नक्सल प्रभावित सारंडा में ऐसी घटिया स्तर की सड़क बनाकर सरकार हमारे विकास की सबसे बड़ी बाधक बन रही है. ऐसी सड़क की उच्च स्तरीय जांच निष्पक्ष एजेंसी से कराई जाये, अन्यथा ऐसी घटिया सड़क का निर्माण कार्य रोकने पर मजबूर होंगे. ग्रामीणों ने कहा था कि हम पर पहले से नक्सल समर्थक व विकास का विरोधी होने का गलत आरोप लगाया जाता रहा है, लेकिन कौन ग्रामीण सड़क का विरोध कर रहा है. ऐसी घटिया सड़क निर्माण का विरोध करने पर हमें रंगदारी, नक्सल समर्थक आदि का आरोप लगा मुकदमा दर्ज करा दिया जाता है और इस भ्रष्टाचार पर पर्दा डाल दिया जाता है.
इस सड़क निर्माण में मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी भी नहीं मिली थी
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alt="" width="300" height="169" /> घटिया सड़क निर्माण का विरोध करते कोलायबुरु गांव के लोग. फाइल फोटो.[/caption] उल्लेखनीय है कि आजादी के बाद पहली बार इस सड़क को उक्त कंपनी द्वारा बनाई गई. सड़क निर्माण प्रारम्भ होने से सारंडा के कुमडीह, कुदलीबाद, कोलायबुरु, बहदा, बालिबा आदि गांवों के ग्रामीण काफी खुश थे कि इस सड़क के रास्ते न सिर्फ हमारे गांवों तक विकास योजनायें पहुंचेंगी बल्कि ग्रामीण भी जिला व प्रखंड मुख्यालय के अलावे अस्पताल, बाजार से सीधे जुड़ सकेंगे. घंटों का काम मिनटों में होने लगेगा. ग्रामीणों को नहीं पता था कि ऐसा घटिया सड़क बनाकर ठेकेदार न सिर्फ ग्रामीणों का सपना चकनाचूर कर रहा है, बल्कि इस सड़क निर्माण में लगे मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी नहीं देकर रक्त पीपासु बना हुआ है. इस घटिया सड़क निर्माण का विरोध प्रारम्भ से ही सारंडा ग्राम परिषद और उक्त गांवों के मुंडा व ग्रामीण करते हुये तमाम विभागों, सांसदों व जनप्रतिनिधियों को पत्र दिया था, लेकिन जांच कर दोषियों पर कार्यवाही नहीं हुई. सांसद गीता कोड़ा ने भी जांच कराने की मांग अवश्य की लेकिन आज तक न तो जांच हुई और न ही ठेकेदार व इंजीनियर के खिलाफ दोष तय हुआ. सड़क आगे से बनता जा रहा था और पीछे से उखड़ता जा रहा था. विश्व का यह पहला ऐतिहासिक सड़क होगा जिसे हाथ की उंगली से उखाड़ने पर पूरी सड़क चटाई की तरह उखड़ जाती थी.
हल्की वर्षा में नीचे की जमीन धंस गई थी
पांच फरवरी को हुई जीप दुर्घटना इसी घटिया सड़क निर्माण की मुख्य वजह है. क्योंकि हल्की वर्षा मात्र से सड़क के नीचे की जमीन खिसक गई थी, जिस पर जीप गुजरते समय सड़क धंसी और अनियंत्रित होकर पलटते हुये गहरी खाई में जा गिरी. बड़ा सवाल है कि इस बड़ी घटना के बाद भी क्या सरकार व जिला प्रशासन इस सड़क की उच्च स्तरीय जांच करवा कर दोषियों पर कार्रवाई करेगी या फिर ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति आगे भी होती रहेगी. [wpse_comments_template]
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