kiriburu (Shailesh Singh) : सारंडा विकास समिति के बैनर तले 10 अक्टूबर को विभिन्न मांगों को लेकर टीएसएलपीएल खदान प्रबंधन के खिलाफ आयोजित अनिश्चितकालिन बंदी, आंदोलन के तीन घंटे बाद हीं त्रिपक्षीय व शांतिपूर्ण वार्ता के बाद समाप्त हो गया. यह बंदी रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, गांव के विकास आदि मांगों को लेकर सोमवार सुबह लगभग छह बजे से प्रारम्भ हुआ था. सारंडा के छोटानागरा एंव गंगदा पंचायत के विभिन्न गांवों के सैकड़ों ग्रामीण व महिलाएं पारम्परिक हथियारों के साथ अहले सुबह जंगल के रास्ते पैदल पहाड़ों पर चढ़कर तथा कुछ लोग वाहनों के माध्यम से गंगदा पंचायत के मुखिया राजू सांडिल एंव सारंडा पीढ़ के मानकी लागुड़ा देवगम व विभिन्न गांवों के मुंडाओं के नेतृत्व में टीएसएलपीएल खदान गेट पास पहुंचे. यहां पहुंचकर सभी ने खदान गेट को जाम कर दिया. बंदी की खबर के बाद खदान के खान प्रबंधक देवाशीष मुखर्जी, किरीबुरु के एसडीपीओ अजीत कुमार कुजूर, नोवामुंडी के अंचलाधिकारी सुनील चन्द्रा, इन्स्पेक्टर वीरेन्द्र एक्का, गुवा थाना प्रभारी अनिल कुमार यादव और अन्य अधिकारी आंदोलन स्थल पहुंचे. सभी ने आंदोलनकारियों से वार्ता कर आंदोलन समाप्त करने का आग्रह किया. इसके बाद सभी को कंपनी कार्यालय में वार्ता के ले जाया गया. तीनों पक्षों की मौजूदगी में शांतिपूर्ण वार्ता हुई एंव सहमति पत्र तैयार होने के बाद आंदोलन को सुबह लगभग 9 बजे खत्म किया गया.
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इन मांगों पर बनी सहमति
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वार्ता में योग्यता व कार्य के अनुरुप प्रभावित सारंडा के बेरोजगारों को रोजगार देने. छोटानागरा एंव दोदारी उच्च विद्यालय में गांव के हीं शिक्षित बेरोजगार को बतौर शिक्षक नियुक्त करने, खदान के मजदूरों को लाने व ले जाने के लिए सलाई चौक तक वाहन की सुविधा, टाटा स्टील की नोवामुंडी अस्पताल में सारंडा के मरीजों को मानकी व मुंडा के सत्यापन के बाद मुफ्त चिकित्सा सुविधा, छोटानागरा में एक स्थायी एम्बुलेंस की सुविधा, शुद्ध पेयजल की व्यवस्था, समिति को खदान में वेंडर लाईसेंस देना, शिक्षित युवक-युवतियों को आइटीआई की शिक्षा उपलब्ध कराना. कंपनी प्रबंधन ने इन मांगों को पुरा करने के लिए कम से कम एक माह का समय मांगा है.
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खदान प्रबंधन का सहयोग करें -खान प्रबंधक
इस दौरान टीएसएलपीएल के खान प्रबंधक देवाशीष मुखर्जी ने कहा कि खदान कठिन दौर से गुजर रहा है. इसके बावजूद विकाश कार्य किया जा रहा है. वर्तमान में खदान में लगभग 700 कर्मचारी व अधिकारी कार्यरत है. हाईवा के चालक व खलासी तथा सुरक्षा गार्ड को मिला दिया जाये तो यह संख्या लगभग 1200 से अधिक हो जाता है. काफी छोटा खदान होने के बावजूद कंपनी ने इतने लोगों को रोजगार दिया है. इसमें 87 फीसदी लोग स्थानीय हैं. अगर ग्रामीणों का सहयोग नहीं मिला और खदान बंद हो जाता है तो हजारों लोग बेरोजगार हो जायेंगे. ऐसे में सभी खदान प्रबंधन का सहयोग करें.
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ये थे उपस्थित
इस वार्ता में खान प्रबंधक देवाशीष मुखर्जी, किरीबुरु के एसडीपीओ अजीत कुमार कुजूर, नोवामुंडी के अंचलाधिकारी सुनील चन्द्रा, इन्स्पेक्टर वीरेन्द्र एक्का, गुवा थाना प्रभारी अनिल कुमार यादव, मुखिया राजू सांडिल, मानकी लागुडा़ देवगम, मुंडा जामदेव चाम्पिया, मुंडा कुशु देवगम, मुंडा बुधराम सिद्धू, मंगल कुम्हार, मुंडा लेबेया देवगम, मुंडा सोमा चाम्पिया, मुंडा जुरा सिद्धू, मुंडा बुधराम बहंदा, मुंडा जानुम सिंह चेरोवा, मुंडा रेंगो चाम्पिया, रामो सिद्धू, मुंडा इस्राईल गोडसरा, मोहन लाल चौबे, मुंडा दुखिया सोरेन आदि सैकड़ों लोग उपस्थित थे.
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