Kiriburu (Shailesh Singh) : लिपुंगा गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चे नदी का प्रदूषित पानी इस्तेमाल को मजबूर है. इससे इन्हें गंभीर बिमारी होने का खतरा है. स्कूल में एक चापाकल है, जो महीनों से खराब है. लगभग एक किलोमीटर दूर एक चापाकल से बच्चे पानी ढोकर लाते हैं, तब बच्चों के लिये मध्याहन भोजन पकाया जाता है. भोजन खाने से पहले व बाद में अपने-अपने थाली व बर्तन बच्चे नदी के लाल व प्रदूषित पानी अथवा गड्ढे में जमा बारिश का प्रदूषित पानी से धोने को मजबूर हैं. नदी में बर्तन धोने के दौरान पैर फिसलने से किसी बच्चे के बहने व डूबने से मौत भी हो सकती है. ऐसे हालात के लिए जिम्मेदार कौन हैं.
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alt="" width="600" height="400" /> दूर से खाना बनाने हेतु पानी ढोकर लाते बच्चे[/caption]
बनाया जा रहा अलग-अलग बहाना
गांव केसामाजिक कार्यकर्ता दारा सिंह चाम्पिया ने कहा कि हमारे बच्चों का बचपन शिक्षा विभाग बर्बाद कर रहा है. स्कूल का खराब चापाकल को लंबे समय से ठीक नहीं किया जाना दुर्भाग्य की बात है. सिर्फ चापाकल मुख्य समस्या का कारण है. बच्चों पर पानी ढोकर लाने का अतिरिक्त बोझ है. नदी में डूबने का खतरा निरंतर बना रहता है. उन्होंने कहा कि गांव के मुंडा एवं उन्होंने सेल की गुआ प्रबंधन को पत्र लिखकर डीप बोरिंग एवं चापाकल लगाने की मांग की थी. इस पर प्रबंधन ने अपने अभियंता को एक वर्ष पूर्व भेज सर्वे कराया था. कहा था कि जल्द समस्या दूर हो जाएगी. अब फंड नहीं होने का बहाना बनाया जा रहा है. पीएचईडी विभाग भी इस चापाकल को ठीक नहीं करा पाया है. आखिर इस समस्या का समाधान कैसे होगा. [wpse_comments_template]
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