Kiriburu (Shailesh Singh) : 20 जुलाई की सुबह लगभग 6 बजे किरीबुरु शहर के गाड़ा हाटिंग की चार महिलाओं का सामना किरीबुरु-बड़ाजामदा मुख्य मार्ग किनारे स्थित वायरलेस टावर के बगल में जंगल में हाथियों से हुआ. हाथियों ने उन्हें मारने के लिए दौड़ाना शुरू कर दिया, लेकिन महिलाओं ने किसी तरह भाग कर अपनी जान बचाई. महिलाओं ने बताया कि वह सुबह में अपने खाने व बेचने के उद्देश्य से प्राकृतिक मशरुम खोजने उक्त जंगल में गई थी. इस समय हल्की बारिश के साथ-साथ घना कोहरा भी छाया हुआ था. सभी मशरुम खोजते-खोजते हाथी के काफी करीब पहुंच गई. महिलाओं ने अपने से काफी करीब चार हाथी को देखा जो कुसुम पेड़ का पत्ता खा रहे थे. उसे देख चारों महिलाएं किसी तरह से जान बचाकर भागने में सफल रही.
उल्लेखनीय है कि हाथियों का बड़ा समूह किरीबुरु शहर से काफी करीब एवं किरीबुरु-बड़ाजामदा मुख्य मार्ग पर प्रतिदिन अपना डेरा जमाये हुए हैं. वे वहीं आस-पास ही घूमते रहते हैं. वन विभाग इन्हें भगाने का कोई प्रयास नहीं कर रहा है. हाथियों की मौजूदगी ने गरीब ग्रामीणों का रोजगार छीन लिया है. अनेक लोग बारिश के मौसम में जंगल से मशरूम, रुगड़ा आदि वनोत्पाद की खोज अथवा चुनकर अपनी जीविका चलाते हैं, जो प्रभावित हो रहा है. इससे लोगों में निरंतर आक्रोश बढ़ रहा है.
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उल्लेखनीय है कि सारंडा वन प्रमंडल एवं उसके अन्तर्गत आने वाले विभिन्न रेंज कार्यालय डीएफओ एवं रेंजर विहिन है. सारंडा वन प्रमंडल पोड़ाहाट के डीएफओ आलोक वर्मा प्रभार में है. किरीबुरु के प्रभारी रेंजर शंकर भगत हैं. वे भी 5-6 रेंज के प्रभार में हैं. हमेशा चाईबासा में रहते हैं. ऐसी स्थिति में एशिया का सबसे बड़ा सारंडा जंगल एवं जंगल के हाथियों से आम जनता को कौन बचायेगा. वन विभाग की गतिविधियां सारंडा के किसी भी क्षेत्रों में देखने को नहीं मिल रही है.