Kiriburu (Shailesh Singh) : जल संसाधन विभाग द्वारा अधिसूचना जारी होने के बाद अवधेश कुमार के आगे ग्रामीण कार्य विभाग और जल संसाधन विभाग के आदिवासी अभियंता और सामान्य जाति के अभियंता घुटने टेकने पर मजबूर हुए. दोनों विभाग के मंत्री और अधिकारी स्वतंत्र मुख्य अभियंता बनाते हुए फिर से ग्रामीण कार्य विभाग में सेवा देकर यह बतला दिया है कि जब तक हेमंत सोरेन की सरकार रहेगी, तब तक अवधेश कुमार ग्रामीण विकास विशेष में मुख्य अभियंता बने रहेंगे. 8 अक्टूबर को जारी अधिसूचना ने आदिवासी अभियंता वर्ग के भ्रम को तोड़ दिया है कि झारखंड में आदिवासी मुख्यमंत्री भी है. यहां माफिया अभियंताओं के आगे हेमंत सरकार नतमस्तक है. एक आदिवासी अभियंता ने हेमंत सोरेन पर कटाक्ष करते हुए कहा कि अवधेश कुमार को सेवानिवृत होने तक ग्रामीण विकास विशेष का मुख्य अभियंता बने रहने के लिए दोनों विभागों के सचिव को एमओयू करने जा रही है.
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चर्चा में रहे ललन सिंह को अवधेश कुमार ने अपनी ऊंची पहुंच और रणनीति से चारों खाने चित कर दिया है. रामनिवास को भी बड़ी चालाकी के साथ अपने रास्ते से हटा दिया. सूत्रों के अनुसार वर्तमान स्थिति में सरकार की मजबूरी बन चुकी है अवधेश कुमार को मुख्य अभियंता बनाए रखना. सूत्रों के अनुसार दोनों विभाग अवधेश के टेंडर घोटाले पर नियंत्रण करने और बचाए रखने की रणनीति के अनुसार अवधेश का साथ देने पर मजबूर हैं. मुख्यमंत्री ग्राम सेतु योजना अन्तर्गत पूर्व मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन के कार्यकाल में 79 पुल के टेंडर आचार संहिता के लागू होने के बाद डिसाइड किया गया है, जो लगभग 400 करोड़ बताई जा रही है. वहीं 500 करोड़ के लगभग जिला के डीएमएफटी फंड की टेंडर का डिसाइड अधीक्षण अभियंता की हैसियत से निष्पादन किए हैं.
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सूत्र बताते हैं आचार संहिता के समय में जितने टेंडर डिसाइड हुए हैं, अधिकांश टेंडर में फेल को पास कर भारी कमीशन वसूली की चर्चा हो रही है, जिसकी जांच के लिए भाजपा के पूर्व मंत्री बड़कुंवर गागराई ने गृह मंत्री अमित शाह को एक गोपनीय पत्र लिखा गया है. जल संसाधन विभाग की अधिसूचना ने सेवा नियम की मापदंड और नियम प्रक्रिया को स्वयं कटघरे में खड़ा कर दिया है. एक गैर सरकारी संगठन इस अधिसूचना को आधार पर पीआईएल करने पर विचार कर रही है. बीरेन्द्र राम की हैसियत से भी ऊपर हो गई है अवधेश की हैसियत. जानकार मानते हैं कि अचानक से बढ़ते ऐसी हैसियत का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है. आज सत्ता और विपक्ष के केंद्र बिंदु बने हैं अवधेश कुमार. सूत्र बताते हैं कि जिस स्टाइल में अवधेश कुमार सरकार में राजनीतिक लाभ लेने और माननीय को बदले में लाभ देने का काम कर रहे हैं, उससे राजनीतिक साजिश के शिकार होने से इंकार नहीं किया जा सकता है, जिस तरह से बीरेन्द्र राम के साथ हुआ है, उसे याद रखना चाहिए.
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