- पहाड़ी क्षेत्रों में खेतों की सिंचाई की कोई व्यवस्था नहीं
- समतल जमीन पर होती है रोपा खेती
- नियमित बारिश नहीं होने से होता है नुकसान
Kiriburu (Shailesh Singh) : किरीबुरु-मेघाहातुबुरु समेत सारंडा क्षेत्र में मानसून की रुक-रुक कर हो रही हल्की व मूसलाधार बारिश ने एक तरफ गर्मी से लोगों को राहत प्रदान की है. वहीं इस बारिश ने किसानों के चेहरों पर खुशियां लौटा दी हैं. सारंडा के प्रायः किसानों की खेती वर्षा पर आधारित है. किसान सारंडा जंगल की ऊंची पहाड़ियों से नीचे की तरफ जाने वाली वन भूमि की जुताई का कार्य हल-बैल के सहारे पहले ही कर देते हैं. पहाड़ी क्षेत्रों में खेतों की सिंचाई (पानी) की कोई सुविधा नहीं होती है. सिर्फ वर्षा का पानी खेती के लिए मुख्य सहारा होता है. वर्षा प्रारम्भ होते ही किसान जुताई किये गये खेतों में धान के बीज का छिड़काव कर देते हैं. इस प्रकार की खेती को गोड़ा खेती कहा जाता है. अर्थात खेतों में छीटे गये धान के बीज हल्की वर्षा का पानी से भी अच्छी फसल बनकर तैयार हो जाते हैं, जिसे पकने के बाद काटा जाता है. कभी-कभी वर्षा नियमित नहीं होने की वजह से किसानों की यह गोड़ा खेती सूख जाती है और किसानों को नुकसान होता है. ऐसी ही स्थिति अन्य फसलों व सब्जियों के साथ होती है.
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समतल जमीन वाले खेत कम हैं सारंडा में
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पहाड़ियों की सबसे निचली व समतल भाग की जमीन जहां वर्षा के पानी का ठहराव होता है, वहां किसान रोपा खेती अर्थात् धान के बीज को एक खेत में तैयार करते हैं. इसके बाद वहां से उखाड़ कर पानी भरे खेतों में रोपाई कर करते हैं. ऐसे खेत सारंडा के किसानों के पास बहुत कम हैं. सारंडा के किसानों की सभी प्रकार की खेती वर्षा पर आधारित है. वर्षा नहीं हुई तो खेती घाटे का कारण बनती है और वर्षा हुआ तो वह सालों भर खाने के लिये अनाज की पैदावार कर लेते हैं.
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नदी व नाला से सिंचाई की उचित व्यवस्था करे
सारंडा के विभिन्न क्षेत्रों से अनेक प्राकृतिक नदी और जिंदा नाला निकला हुआ है. इसमें सालों भर पानी रहता है. अगर इस नदी और नाला से सिंचाई की सुविधा प्रदान कर किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाने की व्यवस्था सरकार कर दे तो किसान सालों भर विभिन्न फसलों को लगा सकते हैं. इससे उनकी आर्थिक स्थिति बेहतर होगी. लेकिन इसके लिये आज तक कोई सकारात्मक प्रयास नहीं किया गया. यही कारण है कि सारंडा के युवक-युवती रोजगार के लिए अन्य शहरों में पलायन करते हैं. वहां वे शोषण के शिकार भी होते रहते हैं.