Kiriburu (Shailesh Singh) : बराईबुरु के ग्रामीणों ने नोवामुंडी प्रखंड प्रमुख पूनम गिलुवा एंव किरीबुरु पूर्वी पंचायत के मुखिया सह भाजपा एससी-एसटी मोर्चा के प्रदेश कार्य समिति सदस्य मंगल सिंह गिलुवा के नेतृत्व में आदिवासी हो समुदाय का पारम्परिक जोमनामा पर्व पूरे रीति-रिवाजों के साथ मनाया. इस अवसर पर काफी संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे. बता दें कि झारखंड के आदिवासी हो समाज के लोग धान की नई फसल तैयार होने के बाद जोमनामा पोरोब मनाते है. इसमें पूजा के साथ नई फसल पूर्वजों को अर्पित किया जाता है. इसके बाद ही हो समाज के लोग नया अन्न खाना शुरू करते हैं.
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घरों में गृहणी करती पूजा
पर्व के दिन दिउरि ऐरा, पुजारी की पत्नी, अपने घर में व्रत रखकर पूजा करती हैं. इसके बाद अन्य घरों में गृहिणी पूजा करती हैं. इस दिन गृहिणी नए हंडी व चाटू में धान को भूंज कर ओखल से कूट चूड़ा बनाती हैं. धान के छिलके को कूट महीन बनाती हैं. गोबर से घर आंगन को लीपने के बाद गृहिणी नहा धोकर पूजन वस्त्र लांगा और गमछा पहन पूजन सामग्री तैयार करती हैं. पूजास्थल के बगल में फूल, भेलुवा पत्ता, धान की बाली और मकई रखकर पूजा की जाती है. इस दिन गृहणी, नए हण्डी में नये धान के चावल से खीर बनाती है.
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हड़िया का भी पूजा में होता है इस्तेमाल
हो समाज में हड़िया के बिना पूजा अधूरी है. गृहिणी जोमनामा पोरोब के लिए हड़िया (डियंग) पहले तैयार कर लेती हैं. हड़िया रसि चावल और रानू से बनती है. इसे तैयार होने में तीन दिन लगता है. इससे हल्का पीला रंग का रस निकलता है, जिसे रसि कहते हैं.
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पूर्वजों को करते हैं याद

यह पूजा अंधेरा होने से पहले किया जाता है. तैयार सामग्री को रसोईघर में सबसे पहले पूर्वजों को अर्पित किया जाता है. गृहिणी कांसा के लोटा में पानी ले पूजन स्थल रसोई घर के एक हिस्से में पानी का छिड़काव करती हैं. माना जाता है कि पानी छिड़क कर पूर्वजों का हाथ,पैर धोया जाता है. चूड़ा व धान के छिकले के महीन चूर्ण को भेलुवा के सात पत्तों में तीन छोटी छोटी चुटकी भर, एक सीधी लाइन बनाकर रख दिया जाता है. नई हंडी में नए चावल का बनाया गया हड़िया और रसि को भी सात साल पत्तों के दोना में रखा जाता है. बगल में एक दोना पानी रखा जाता है.