Kiriburu : पूर्व विधायक गुरुचरण नायक व उनके अंगरक्षकों पर भाकपा माओवादियों द्वारा किया गया हमले का उद्देश्य सिर्फ हथियार लूटना व दो जवानों की हत्या कर दहशत फैलाना था या कुछ और मंशा थी. उल्लेखनीय है कि नक्सलियों ने जिस प्रकार से घटना को अंजाम दिया उससे स्पष्ट है कि उनकी मंशा पूर्व विधायक की हत्या करना नहीं बल्कि जवानों की हत्या करना था. भारी भीड़ की मौजूदगी में कर उनके एके-47 हथियार लूट लेना था. ऐसा कर वे ग्रामीणों में दहशत फैलाना चाहते थे. ऐसा कर वे लोग ग्रामीणों को नक्सलियों के बारे में कोई भी सूचना पुलिस तक पहुंचाने डराना चाहते हैं. ग्रामीणों में यही भय पैदा करने के लिए कुछ दिन पूर्व दो अलग-अलग घटनाओं में प्रेम सुरीन और बोयराम लोम्गा की हत्या पुलिस मुखबिर के आरोप में कर दी गई थी. अगर गुरुचरण नायक की हत्या करनी होती तो वे झीलरुवां स्कूल मैदान में कर दिए होते, या फिर इस घटनास्थल से लगभग डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर स्थित उनके पैतृक गांव टुनिया घर पर भी हमला कभी भी कर सकते थे.
नक्सली एसपीओ का सफाया करने के लिए दे रहे ऐसी घटनाओं को अंजाम
उल्लेखनीय है कि भाकपा माओवादी के पूर्वी रीजनल ब्यूरो के सचिव सह पोलित ब्यूरो के सदस्य प्रशांत बोस उर्फ किशन दा, उनकी पत्नी शीला मरांडी और चार माओवादियों को गिरफ्तार किया गया था. वे सभी पारसनाथ पहाड़ी से स्कार्पियो कार से सारंडा-कोल्हान जंगल जा रहे थे. 12 नवंबर को सरायकेला जिला के कांड्रा थाना क्षेत्र अन्तर्गत गिद्दीबेड़ा टोल प्लाजा के पास उन्हें गिरफ्तार किया गया था. वे लोग पश्चिम सिंहभूम जिला अन्तर्गत सीमावर्ती सारंडा व कोल्हान रिजर्व वन क्षेत्र के जंगल में आयोजित को-ऑर्डिनेशन कमेटी की बैठक में शामिल होने जा रहे थे. कोल्हान क्षेत्र में भाकपा माओवादी संगठन के शीर्ष नेताओं का जमावड़ा लगा हुआ था. प्रशांत बोस, उनकी पत्नी शीला मरांडी के अलावे चार अन्य नक्सलियों में वीरेंद्र हांसदा, राजू टुडू, कृष्णा बाहंदा, गुरुचरण बोदरा पकडे़ गए थे. इस गिरफ्तारी के दौरान प्रशांत बोस के वाहन से सोनुवा थाना अन्तर्गत नक्सल प्रभावित एक गांव की गरीब महिला व उसका बच्चा भी पकड़े गए थे, जिसे पुलिस ने छोड़ दिया था, क्योंकि नक्सली उसे दबाव बनाकर इसलिये भेजे थे कि पुलिस को चकमा दिया जा सके कि वाहन से कोई सामान्य परिवार जा रहा है.
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: पूर्व विधायक के शहीद अंगरक्षकों का शव रात भर पड़ा रहा घटनास्थल पर, सुबह पहुंची पुलिस इस गिरफ्तारी के बाद से नक्सली पता लगाने में जुटे है कि उनकी सूचना आखिर कहां से और कैसे लीक हुई. कहीं सोनुवा व गोईलकेरा थाना क्षेत्र के उनके करीबी लोग तो इसे पुलिस एसपीओ के माध्यम से लीक तो नहीं करवाए हैं. इन्हीं वजहों से वे अपने प्रभाव वाले क्षेत्रों में बाहरी लोगों की गतिविधियों को बंद या कम करने और पुलिस एसपीओ का सफाया करने में लगे हैं.
नक्सलियों ने अपना जनाधार बढ़ाने के लिए बनाई है बड़ी योजना
नक्सली अपने घटते आधार वाले इलाकों में जनाधार को बढ़ाने के लिए वृहद कार्य योजना बनाए हुए हैं. इस योजना के तहत झीलरुवां जैसी घटना को समय-समय पर अंजाम देकर सुरक्षा कर्मियों के हथियारों को लूटने की तैयारी है. नक्सली गांव हो या शहर कहीं भी पुलिस दल अथवा नेताओं के अंगरक्षकों पर हमला कर उनके हथियार लूटने की घटना को अंजाम दे सकते हैं. इसके लिए नेताओं व पुलिस दोनों को काफी सतर्क रहने की जरूरत है. यह आशंका इसलिए भी जताई जा रही है क्योंकि कुछ वर्ष पूर्व लोकसभा चुनाव में मतदान के दिन सारंडा के छोटानागरा थाना अन्तर्गत तितलीघाट बूथ पर मतदान करा छोटानागरा जा रही पुलिस व पोलिंग पार्टी पर दोपहर तीन बजे नक्सलियों ने पहले लैंड माइन विस्फोट किया फिर फायर कर दिया. इस लैंड माईन विस्फोट में सीआरपीएफ का एक जवान शहीद हो गया था. न्यूज कवरेज कर रहे लगातार न्यूज के संवाददाता मुठभेड़ में फंस गए थे, जिसे फायरिंग कर सीआरपीएफ ने अपने साथ खेत में लेटाये रखा था. इस घटना की जानकारी अखबार के माध्यम से अगले दिन नक्सली नेता अनमोल दा उर्फ समर जी को हुई थी तो उसने हमारे संवाददाता को फोन कर साफ कहा था कि गांव हो या शहर कहीं भी आप पुलिस दल के आसपास नहीं रहें. क्योंकि हमारी टीम मौका देख गांव या शहर कहीं भी पुलिस दल पर हमला करती रहेगी.
नेताओं की सुरक्षा में लगे जवानों का हथियार लूटना हो सकता है मुख्य उद्देश्य
पश्चिम सिंहभूम जिला अन्तर्गत मंत्री जोबा माझी, पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोडा़, सांसद गीता कोडा़, विधायक सुखराम उरांव, विधायक दीपक बिरुवा, विधायक सोनाराम सिंकू आदि भी नक्सल प्रभावित क्षेत्र से आते हैं. ये सभी नेता निरंतर नक्सल प्रभावित क्षेत्र का दौरा करते रहते हैं. सभी को विशेष अंगरक्षक उपलब्ध कराए गए हैं, जिसमें मंत्री जोबा माझी व पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा को विशेष सुरक्षा प्रदान की गई है. इन नेताओं से नक्सलियों की कोई दुश्मनी नहीं लेकिन इनकी सुरक्षा में तैनात जवानों का हथियार लेना मुख्य लक्ष्य हो सकता है. दूसरी तरफ नक्सल प्रभावित थाना क्षेत्रों की पुलिस भी लंबे समय से अपने शहरी क्षेत्रों में भारी लापारवाही से दिन व रात में पेट्रोलिंग करती नजर आती है, जो कभी भी नक्सल घटनाओं का गवाह बन सकती है.
सारंडा रिजर्व वन क्षेत्र नक्सलियों की मुख्य शरणस्थली
फिल्हाल पश्चिम सिंहभूम जिले का कोल्हान और उससे लगा सारंडा रिजर्व वन क्षेत्र नक्सलियों के लिए मुख्य शरणस्थली बना हुआ है. इन जंगलों में गोईलकेरा, सोनुवा, टोंटो, गुवा, छोटानागरा, जराईकेला व मनोहरपुर थाना क्षेत्र का मुख्य भाग आता है. यहां नक्सली हमेशा भ्रमणशील रहते हैं और गोईलकेरा व टोंटो थाना क्षेत्र के जंगलों में निरंतर स्थायी कैंप बनाकर रह रहे हैं. [wpse_comments_template]
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