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Kiriburu (Shailesh Singh) : सेल की किरीबुरु-मेघाहातुबुरु शहर में कैसे थमेगी मच्छरों का प्रकोप ! मच्छर को नियंत्रित करने में इस्तेमाल होने वाला रसायन व जरूरी सामान पिछले दो माह से खत्म है. बिना व्यवस्था के सेल प्रबंधन मच्छरों को नियंत्रित करने के नाम पर सिर्फ ठेका मजदूरों को काम में लगा खाना पूर्ति करने का काम कर रही है. जबकि मच्छरों से सेल अधिकारी से लेकर सेलकर्मी व शहर की तमाम जनता परेशान है.
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प्राईवेट कंपनी को ठेका दिया था
उल्लेखनीय है कि सारंडा मलेरिया का कोर जोन प्रारम्भ से रहा है. मलेरिया ने पूर्व में कई सेलकर्मियों व ग्रामीणों की जान ले ली है. मलेरिया की वजह से सेलकर्मियों के बीमार रहने की वजह से किरीबुरु एवं मेघाहातुबुरु खदान का उत्पादन भी पूर्व में प्रभावित होता रहा था. इस समस्या के समाधान के लिए सेल प्रबंधन ने शहर को मच्छरों से मुक्त कराने के लिए वर्षों पूर्व एक प्राईवेट कंपनी को ठेका दिया था. उस कंपनी ने शहर को मच्छरों से पूरी तरह मुक्त कर दिया. बाद में सेल प्रबंधन ने इस कार्य को अपने अधीन लेकर स्वंय कराना प्रारम्भ किया. इसमें भी वह सफल रही. शहर मच्छरों से मुक्त रहा. किसी भी घर में मच्छरदानी देखने को नहीं मिलता था. दुकानों में मच्छर से बचाव की समान नहीं बिक्री होती थी. लेकिन पिछले दो माह से मच्छरों का प्रकोप बडे़ पैमाने पर बढ़ गया है. जिससे लोग परेशान हैं.
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ट्रेड यूनियन भी मौन
इस कार्य में लगे विभागीय सूत्रों ने बताया की मच्छरों को नियंत्रित करने वाला कोई रसायन उपलब्ध नहीं है. कमरों का स्प्रे, फौगिंग मशीन से धुआं का काम नही हो रहा है. जल जमाव व मच्छरों के लारवा वाले स्थानों पर रसायन नहीं डाल पा रहे हैं. सिर्फ एक पाउडर दिया गया है जिसे घोलकर छिड़काव किया जा रहा है. इससे मच्छर नियंत्रित नहीं हो सकता. इस मामले में तमाम ट्रेड यूनियन भी मौन है. शायद उन्हें मच्छर नहीं काट रहे होंगे.
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फोटोः- प्रतिकात्मक तस्वीर।
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