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किरीबुरू : आदिवासी रैयतों की जमीन खरीद कर निजी कंपनी हुई फरार, रैयत परेशान

Kiriburu (Shailesh Singh) : पश्चिम सिंहभूम जिला अंतर्गत मनोहरपुर अंचल का राजस्व ग्राम डिम्बुली के कई ग्रामीणों के लगभग 100 एकड़ से अधिक भूमि को उद्योग लगाने के नाम पर एक निजी कंपनी ने खरीद लिया था. फिलहाल उक्त कंपनी फरार हो गई है. अब रैयत अपने आप को ठगा महसूस कर रहे है और अपनी जमीन को पुनः वापस कराने की गुहार लगा रहे है. इस संबंध में रैयतों ने सरकार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव व उपायुक्त को पत्र भी लिखा, लेकिन उन्हें न्याय नहीं मिला. डिम्बुली के रैयतों ने बताया कि वे आदिवासी हैं, तथा उनकी भूमि सीएनटी के अधीन आती है. मेसर्स भीएस डेम्पो एंड कंपनी प्राईवेट लिमिटेड और मेसर्स सेसा रिसोर्सेज लिमिटेड ने झारखंड सरकार के साथ उन्नयन तथा अनुवर्ती मूल्य संवधर्न जनित एक परियोजना स्थापना हेतु 6 अक्टूबर 2005 को एक करार किया था. रैयतों ने क्षेत्र का विकास हो सके और परिवार के एक सदस्य को नौकरी मिले इसलिए कंपनी को अपनी जमीन देने पर सहमति जताई थी. इसे भी पढ़ें : घाटशिला">https://lagatar.in/ghatshila-four-hours-after-the-encounter-amarnath-was-killed-in-dumka/">घाटशिला

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15 वर्षों के बाद भी नहीं हुई औद्योगिक ईकाई की स्थापना

औद्योगिक परियोजना के लिए सीएनटी एक्ट की धारा 49 के तहत रैयतो की 110.53 एकड़ जमीन कम्पनी द्वारा खरीदी गई थी. बिक्री केवला में आदेश पारित किया गया है कि क्रय किये भू-खंड का उपयोग उद्योग लगाने के अतिरिक्त किसी अन्य उद्देश्य से क्रेता नहीं कर सकता हैं. तथा औद्योगिक ईकाई अधिकतम पांच वर्ष के अन्दर स्थापित कर लिए जाने को कहा था. पाँच वर्ष के अन्दर औद्योगिक ईकाई स्थापित नहीं होने पर भूखंड का गैर औद्योगिक इस्तेमाल होने की स्थिति में दी गई अनुमति स्वतः निरस्त समझा जाएगा एवं क्रेत्ता का दायित्व होगा कि इस भूखंड को विक्रेता को हस्तागत कर दे. अन्यथा राज्य सरकार क्रेता पर समुचित कानूनी करवाई करेगी. लेकिन दुर्भाग्य है कि उक्त भूखंड पर 15 वर्षों के बाद भी कोई औद्योगिक ईकाई की स्थापना नहीं की गई. इससे यहां के रैयत अब भी बेरोजगार हैं. डिम्बुली में उपरोक्त कम्पनी का उधोग स्थापना से सबंधित कोई भी गतिविधि नहीं है. रैयतों ने ली गई जमीन को वापस कराने की मांग सरकार से की है. [wpse_comments_template]

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