Kiriburu (Shailesh Singh) : पश्चिम सिंहभूम जिला अन्तर्गत कोल्हान रिजर्व वन क्षेत्र के जंगल व पहाड़ खनिज संपदाओं की जगह विस्फोटकों एंव लैंड माइन के पहाड़ में तब्दील हो गया है. यह स्पेशल ब्रांच व खुफिया विभाग के पदाधिकारियों की नाकामियों की वजह से हुआ है. खुफिया विभाग के अधिकारी और जवान अपने पदस्थापित कार्य क्षेत्रों के बजाय शहरों में बैठकर सिर्फ खाना पूर्ति कर ड्यूटी का कौरम पूरा करने में लगे हैं. शहरों में रहने की वजह से वह नक्सल प्रभावित गांवों के ग्रामीणों की सम्पर्क से दूर रहते हैं. इसी वजह से उन्हें नक्सलियों की गतिविधियों की कोई जानकारी नहीं मिल पाती है.
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लैंड माइन विस्फोट में दर्जनों जवान घायल हो चुके है
उल्लेखनीय है कि भाकपा माओवादी नक्सलियों द्वारा पश्चिम सिंहभूम जिला स्थित कोल्हान रिजर्व वन क्षेत्र के जंगलों में पुलिस व सीआरपीएफ को नुकसान पहुंचाने के लिए टोंटो, गोईलकेरा आदि थाना क्षेत्र के जंगलों में हजारों लैंड माइन, आइईडी और बूबी ट्रैप (पगला जाल) लगाया गया हैं. पुलिस और सीआरपीएफ जब इनके प्रभाव क्षेत्र में घुसने की कोशिश करते है तो नक्सली एक-एक कर लैंड माइन विस्फोट करने लगते हैं. इस विस्फोट में अब तक दो ग्रामीणों व अनेक मवेशियों की मौत के साथ-साथ दर्जनों जवान घायल हो चुके हैं.
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15-20 किलो के हजारों स्टील केन कैसे पहुंच रहा
अहम सवाल यह है कि नक्सली लैंड माइन बनाने में इस्तेमाल होने वाला 1 किलो से लेकर 15-20 किलो वजन तक के हजारों स्टील केन तथा कोडेक्स व अन्य तार एक दिन में तो जंगल में नहीं ले गये होंगे. ऐसे हजारों स्टील केन को नक्सली विभिन्न गांवों के ग्रामीणों से जंगल के आसपास बाजार की दुकान से खरीदकर मंगाये होंगे. दुकानदार भी इस बात को जानते हैं कि ग्रामीण जरूरत अनुसार 1-2 केन हीं खरीद सकते है. अगर कोई 10 या उससे अधिक केन खरीद कर ले जा रहा है, तो निश्चित हीं संदेहास्पद मामला है. केन खरीदने व बेचने वाले ऐसे लोगों पर भी खुफिया विभाग नजर नहीं रख पाई. दूसरी तरफ विस्फोटक कहां से और कौन लोग जंगल में नक्सलियों तक पहुंचा रहे हैं उसकी भी जानकारी खुफिया विभाग व पुलिस नहीं जुटा पा रही है.
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नक्सलियों से मुख्धारा में लौटने की अपील की गई
चाईबासा दौरे पर आये आईजी पंकज कंबोज ने नक्सलियों से मुख्धारा में लौटने की अपील भी की गई है. उन्होंने कहा कि जिन नक्सलियों पर केश नहीं है उन्हें जेल नहीं भेजा जायेगा. सरेंडर करने वाले तमाम नक्सलियों को आत्मसमर्पण योजना का लाभ व इनाम की राशी दी जायेगी. अगर वह सरेंडर नहीं करते हैं तो जल्द उनका खात्मा निश्चित है. क्योंकि अब उनका आधार इलाका घटाकर सीमित कर दिया गया है. सीमित क्षेत्र में भी पुलिस व सीआरपीएफ घुसकर कैंप स्थापित करते हुये उनके खात्मे के काफी करीब पहुंच गये है.
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