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Kiriburu (Shailesh Singh) : पुलिस अधीक्षक आशुतोष शेखर ने झारखंड जगुआर के शहीद पुअनि अमित कुमार तिवारी एवं आरक्षी गौतम कुमार से संबंधित घटना की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा (माओवादी) के शीर्ष नेता मिसिर बेसरा, रमेश उर्फ अनल, अजय महतो, अनमोल, मोछु, चमन, कांडे, सागेन अंगरिया, अश्विन अपने दस्ता सदस्यों के साथ कोल्हान क्षेत्र में विध्वंसक गतिविधि के लिए भ्रमणशील है. उक्त सूचना के आलोक में इनके विरुद्ध कारगर कार्रवाई के लिए चाईबासा पुलिस, कोबरा 209, 203 बटालियन, झारखंड जगुआर एवं सीआरपीएफ 60, 197, 157, 174, 134, 193, 07, 26 बटालियन की टीमों का एक संयुक्त अभियान दल गठित कर लगातार अभियान संचालित किया जा रहा है.
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शहिदों के शहादत पर किया श्रद्धा सुमन अर्पित
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उन्होंने बताया कि अभियान के क्रम में 14 अगस्त की रात्रि लगभग सात बजे तुम्बाहाका और सरजोमबुरू के बीच में पहाड़ी एवं जंगली क्षेत्र में प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा (माओवादी) के उग्रवादियों एवं सुरक्षा बलों के बीच मुठभेड़ हुआ, इसमें झारखंड जगुआर के पुअनि अमित कुमार तिवारी एवं आरक्षी गौतम कुमार शहीद हो गए हैं. झारखंड पुलिस एवं अभियान में शामिल सभी संयुक्त बल शहीद अमित कुमार तिवारी (2012 बैच ) एवं गौतम कुमार, झारखंड जगुआर को उनकी शहादत के लिए अपनी श्रद्धा सुमन अर्पित करते है.
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सघन जंगल में नक्सली आसानी से छुप सकते है
उल्लेखनीय है कि टोंटो थाना अन्तर्गत तुम्बाहाका एवं सरजोमबुरु के बीच का पहाड़ी व सघन जंगल नक्सलियों के लिये छुपने व गुरिल्ला हमला करने के लिये प्रारम्भ से हीं उपयोगी रहा है. नक्सली बगल से पार हो रहे जवानों का हथियार व बैग आदि भी छिन कर एक सेकेंड में झाड़ियों व जंगलों में आसानी से छुप सकते हैं. ऐसे जंगलों में पुलिस पर घात लगाकर हमला करना कोई बड़ी बात नहीं है.
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तीन अस्थायी कैंप स्थापित कर रखा है झारखंड जगुआर ने
हालांकि ऐसे जंगलों व पहाड़ियों से नक्सलियों को खदेड़ने अथवा सफाया करने के लिए पुलिस ने तुम्बाहाका एवं सरजोमबुरु के बीच जंगल में तीन अस्थायी कैंप स्थापित कर रखे हैं. झारखंड जगुआर के जवान जंगल की ऊंची पहाड़ी पर हीं प्लास्टिक व तंबू डाल स्थायी कैंप में रहकर तथा सीआरपीएफ के दूसरे कैंपों के पदाधिकारियों के सम्पर्क में रहकर नक्सलियों के खिलाफ आपरेशन चलाते हैं. इन पहाड़ियों पर नक्सली तरह-तरह के बुबी ट्रैप, स्पाईक होल, आईईडी, प्रेशर बम आदि से पाट रखे हैं. जहां पग-पग पर मौत के समान बिछे हुये हैं. सूत्रों का कहना है कि झारखंड जगुआर ने इतने खतरनाक जोन में रहकर बड़ी लापरवाही की थी. 14 अगस्त की रात लगभग 7 बजे 5 जवान दूसरे कैंप से खाना लाने गये थे. नक्सलियों ने इनकी इस गतिविधियों को ट्रेस कर रास्ते में घटना को अंजाम दिया. इस घटना में दो जवान शहीद हो गए.
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