HOLY WOUND रिलीज होगी या लगेगी रोक? हाईकोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला
सबसे बड़ी समस्या पीने के पानी की है
सुनील कुमार पासवान ने मंत्री को बाया कि बताया कि किरीबुरु खदान की भौगोलिक स्थिति सेल के अन्य खदानों से भिन्न है. 700 पहाडियों के बीच बसा होने के कारण यहां अनेक समस्याएं हैं. यहां से शहरों की दूरियां करीब 25 से 30 किलोमीटर है. इस क्षेत्र की सबसे बड़ी समस्या पीने के पानी की है. पहाड़ी क्षेत्र होने के नाते ना तो यहां कुआं खोद कर पानी निकाला जा सकता है ना ही नदी, नाला, तालाब की कोई सुविधा है. पेयजल की आपूर्ति ओडिशा राज्य की कारो नदी से इंटेक के माध्यम से सेल प्रबंधन मुहैया कराती आ रही है.इन समस्याओं से भी मंत्री को कराया अवगत
सेल अस्पताल में चिकित्सकों की कमी है. विशेषज्ञ डाक्टरों के नाम पर दो ही डाक्टर हैं. शल्य चिकित्सा विशेषज्ञ, महिला रोग, प्रसूति विशेषज्ञ की कमी से रोगियों को जान भी गंवानी पड़ रही है. यहां से 110 किलोमीटर में आइजीएच राउरकेला, 380 किलोमीटर में भुवनेश्वर और 170 किलोमीटर में जमशेदपुर शहर है. जहां बड़े अस्पताल की सुविधा उपलब्ध है. इममरजेंसी में चिकित्सा सुविधा मुहैया कराना संभव नहीं है. सेल के स्कूल में शिक्षक की कमी से स्थानीय बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है.कठिनाई क्षेत्र विशेष भत्ता का भी मुद्दा उठाया
कठिनाई क्षेत्र विशेष भत्ता (डीएएसए) सीपीएसई के कर्मचारियों को दिया जाता है. एनजेसीएस सब-कमेटी की बैठक से पहले खदानों में कार्यरत कर्मचारियों का यह भत्ता 10% से घटा कर 8% कर दिया गया. यह डीपीई की गाइडलाइन का उल्लंघन भी है. डासा केंद्र सरकार द्वारा दिया गया एक विशेष भत्ता है, जिसे कठिनाई क्षेत्रों में कार्य करने वाले कर्मचारियों को देने का प्रावधान है. इसे कम या अधिक करने का किसी को अधिकार प्राप्त नहीं है. इसे भी पढ़ें: आदित्यपुर:">https://lagatar.in/adityapur-debu-das-was-not-murdered-for-supremacy-who-was-the-person-sitting-behind/">आदित्यपुर:वर्चस्व को लेकर तो नहीं हुई देबू दास की हत्या, कौन था बाइक के पीछे बैठा व्यक्ति [wpdiscuz-feedback id="9adihcqu70" question="Please leave a feedback on this" opened="1"][/wpdiscuz-feedback]