- वनों को आग से बचाएं, तभी सारंडा विश्व का प्रसिद्ध जंगल होगा
- गुवा वन प्रक्षेत्र एवं टाटा स्टील की विजय टू खदान के संयुक्त तत्वावधान
Kiriburu (Shailesh Singh) : सारंडा वन प्रमंडल अन्तर्गत गुवा वन प्रक्षेत्र एवं टाटा स्टील की विजय-टू लौह अयस्क खदान प्रबंधन के संयुक्त तत्वावधान में सोमवार को बराईबुरु स्थित वन विश्रामागार प्रांगण में 70वां वन्यप्राणी संरक्षण सप्ताह का समापन हुआ. समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि सारंडा के डीएफओ अभिरुप सिन्हा मौजूद थे. इसमें डीएफओ सिन्हा ने कहा कि वन्यप्राणी अपराध की सूचनायें काफी पीड़ादायी होती हैं. इसके खिलाफ हमें कार्यवाही करनी पड़ती है. भारतीय वन्यप्राणी अधिनियम में 2022 में संशोधन हुआ है. इसके तहत अपराध करने वालों के खिलाफ 7 साल की सजा है. यह अपराध किसी भी परिस्थिति में नहीं होना चाहिए, क्योंकि केन्द्र सरकार के स्तर पर भी इसकी रिपोर्ट की जाती है. वन्यप्राणी जब तक हैं तब तक सारंडा का मोल है, इसीलिये पर्यटक यहां आते हैं. पर्यटक आजीविका का बड़ा स्रोत हैं. देश के अन्य जंगलों की तुलना में सारंडा अनेक प्रकार के वन्यप्राणियों, खासकर हाथियों का मुख्य आश्रय स्थल है. सारंडा के मानकी-मुंडाओं, जनप्रतिनिधि व तमाम ग्रामीण वन व वन्यप्राणियों की रक्षा हेतु उलगुलान करना चाहिए. तभी सारंडा आगे भी विश्व प्रसिद्ध रहेगा. वन विभाग सारंडा के विभिन्न गांवों में आजीविका के नये नये प्रयास व कार्य कर रहा है. यह एक सप्ताह भर का कार्यक्रम नहीं बल्कि सालों चलने वाला कार्य होना चाहिए.
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विशिष्ट अतिथि संलग्न पदाधिकारी आईएफएस नीतीश कुमार ने कहा कि वन व वन्यप्राणियों का एक-दूसरे से अटूट नाता है. जंगल कटने से वन्यप्राणी असुरक्षित और उनसे आम जनता असुरक्षित हो रही है. जंगल की आग तमाम प्रकार की विपदा लाती है. पर्यावरण व प्राकृतिक नदी-नाला प्रदूषित होते हैं. भूमिगत जल स्तर घट रहा है. पर्यटकों के कम आने से लोगों को रोजगार व आर्थिक नुकसान हो रहा है. अनमोल वन औषधि नष्ट हो रही है. वनों में रहने वाले तमाम लोगों के सामूहिक प्रयास से जंगल व जंगल में लगने वाली आग से बचाया जा सकता है. वन विभाग समय-समय पर ग्रामीणों व बच्चों के बीच जागरुकता अभियान चला रही है. आपका सहयोग जरुरी है. अंधविश्वास का सहारा ग्रामीण सांप आदि विषैला जानवर काटने पर नहीं लें.
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रेंजर परमानन्द रजक ने कहा कि वन है तो हम और जीव जन्तु है. सभी जीव स्वयं संतुलन बनाये रखते हैं. सभी जीवों का संरक्षण जरुरी है. जंगल में लगने वाली आग जीव-जन्तुओं व पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचाता है. इस आग को किसी भी परिस्थिति में हम लगने नहीं दें और लगी आग को बुझायें. माइंस एजेंट राजीव कुमार ने कहा कि वायोडायवर्सिटी के लिये वन्यप्राणी का काफी अधिक महत्व है. टाटा स्टील ने वन्यप्राणियों के संरक्षण हेतु जागरुकता के लिये अनेक कार्यक्रम, स्वच्छता अभियान स्कूलों, गांवों, खदानों में निरंतर चला रही है. वन विभाग का काफी सहयोग मिल रहा है.
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इस दौरान सारंडा के जंगलों व वन्यप्राणियों की रक्षा करने में महत्वपूर्ण योगदान निभाने वाले 51 समितियों के अलावे ग्रामीण मानकी-मुंडाओं, गुवा, कोयना व समता रेंज के वनकर्मियों आदि को टाटा स्टील ने किट व प्रशस्ति पत्र दिया. मुझे जीने दो नामक नुक्कड़ नाटक, सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति दी गई. बोकना, बराईबुरु, बिचाईकिरी स्कूल के बच्चों ने वन्यप्राणियों की रक्षा व पर्यावरण से संबंधित बेहतर तस्वीरें बनाईं. विजेताओं को पुरस्कृत किया गया. सभी अधिकारियों ने एक पेड़ मां के नाम पर लगाये.
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समारोह में खान प्रबंधक ब्रज बिनोद कुमार, चीफ प्लानिंग अवनीश कुमार, वरिष्ठ प्रबंधक देवाशीष दास, हेमंत पंडा, आलोक विकास गिरि, अरुण सिंह, विजय कुमार, रमेन्द्र कुमार, राजू राम, ललीत महन्तो, छोटेलाल मिश्रा, समित बनर्जी, मुंडा मनचुडि़या सिधु, मुंडा जुनु पूर्ति, मुंडा राउतु चाम्पिया, उप मुखिया रमेश हंसदा, मान सिंह चाम्पिया, संतोष कुमार नायक, सुनील सोय, नारायण बोदरा आदि दर्जनों मौजूद थे.
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